BSP विधायक की पसंद थी बाबा साहेब की भगवा प्रतिमा

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बदायूं में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति तोड़े जाने के बाद नई मूर्ति जब भगवा (saffron) रंग में लगी नजर आई तो बवाल मच गया। एक बार फिर योगी सरकार कटघरे में आई क्योंकि इस बार बदली गई मूर्ति का रंग भगवा था। इससे पहले कि मामला साफ होता बवाल बढ़ चुका था, लेकिन सच्चाई सामने आई तो पता लगा कि मूर्ति तोड़े जाने के बाद प्रशासन ने बीएसपी के स्थानीय नेताओं से मदद ली थी और बीएसपी के जिलाध्यक्ष ने नई मूर्ति के रूप में भगवा रंग में रंगी मूर्ति को पसंद किया था, जिसे आगरा से मंगवा कर लगवाया गया था और इसमें स्थानीय लोगों की सहमति भी थी।

दल-बल के साथ मूर्ति को रंगने चल पड़े

प्रशासन कटघरे में आया तो सफाई देने के लिए बीएसपी की जिला इकाई सामने आ गई। बीएसपी के जिलाध्यक्ष ने पहले चिट्ठी जारी कर कहा कि यह मूर्ति उनकी सहमति से लगाई गई है और फिर तुरंत वो दल-बल के साथ मूर्ति को रंगने चल पड़े। कुछ ही घंटों के अंदर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को भगवा रंग से नीले रंग में रंग दिया गया।

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बीएसपी के जिलाध्यक्ष हेमेंद्र गौतम ने खुद अपने साथियों के साथ जाकर मूर्ति को भगवा से नीला किया। बदायूं के कुंवरगांव में कुछ शरारती लोगों ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया था जिसे दोबारा स्थापित किया गया। लेकिन इस बार नई प्रतिमा नीले रंग की जगह भगवा रंग की लगाई गई। अंबेडकर के कपड़ों को भगवा रंग में रंगा गया था।

सरकार को बदनाम करने की साजिश है

बीजेपी अब इस मुद्दे को लेकर हमलावर है और कह रही है कि बीएसपी ने भगवा रंग की प्रतिमा चुनी, लेकिन इल्जाम योगी सरकार पर लगाया गया। बीजेपी के प्रवक्ता चन्द्रमोहन ने कहा कि इसमें प्रशासन का कोई रोल नहीं है। ऐसे में ये सरकार को बदनाम करने की साजिश है। सवाल ये है कि आखिरकार जब मूर्ति टूटी तो प्रशासन ने मूर्ति खुद क्यों नहीं लगवाई और क्यों राजनीतिक पार्टियों की मदद से ये मूर्ति लगवाई गई।

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