दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार हो रहे सुखोई लड़ाकू

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देश के 40 सुखोई लड़ाकू विमानों में परिवर्तन करने का काम शुरू किया जा रहा है, ताकि वे भारतीय वायुसेना की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करते हुए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को लॉन्च कर सकें। दुनिया की सबसे तेज रफ्तार सुपरसोनिक मिसाइल के आकाश से मार करने वाले संस्करण का सुखोई-30 लड़ाकू विमान से 22 नवंबर को सफल प्रक्षेपण किया गया। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में अधिकारिक सूत्रों ने विस्तृत जानकारी दिये बगैर बताया कि 40 सुखोई विमानों को ब्रह्मोस को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार करने का काम शुरू हो गया है। इस परियोजना की समय सीमा तय हो गयी है। सूचनाओं के मुताबिक, यह परियोजना 2020 तक पूरी हो जाएगी।

ध्वनि से तीन गुना तेज

ब्रह्मोस के प्रक्षेपण के लायक बनाने के लक्ष्य से सरकारी हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में इन 40 सुखोई विमानों में संरचनात्मक बदलाव किये जाएंगे। ढाई टन वजनी यह मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना तेज, मैक 2.8 की गति से चलता है और इसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर है।

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एमटीसीआर की मिली पूर्ण सदस्यता

भारत को पिछले वर्ष मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रेजीम (एमटीसीआर) की पूर्ण सदस्यता मिल गई थी, जिसके बाद उसपर लगे कुछ तकनीकी प्रतिबंध हटने के चलते इस मिसाइल की क्षमता को बढ़ाकर 400 किलोमीटर तक किया जा सकता है। भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम वाला ब्रह्मोस मिसाइल सुखोई-30 लड़ाकू विमानों के साथ तैनात किया जाने वाला सबसे भारी हथियार होगा।

साभार- नवभारत टाइम्स

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