गुजरात चुनाव में चल रहा है काले धन का खेल

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गुजरात में अगले महीने होने जा रहे विधानसभा चुनाव में काले धन का जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम ने अपनी तहकीकात से चुनाव में अवैध पैसे के इस काले खेल को बेनकाब किया। इसमें सामने आया कि गुजरात चुनाव में आंगड़ियों के नेटवर्क को इस्तेमाल कर काला धन खपाया जा रहा है। हम आपको 5 पॉइंट्स में बता रहे हैं कैसे ये काला धन एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाया जा रहा है। 
इसके बाद यहां से एक कोड जनरेट किया जाता है
आंगड़ियों का नेटवर्क गुजरात समेत कई राज्यों में फैला हुआ है। इस हिसाब से इनके सेंटर और एजेंसियां भी बहुतायत में मौजूद हैं। मान लीजिए कि सूरत के किसी सेंटर पर रुपया जमा कराया गया। ये रुपए अहमदाबाद भेजने थे। इसके बाद यहां से एक कोड जनरेट किया जाता है। साथ ही रुपए डिलीवर करने की जगह और एजेंट का नाम भी बताया जाता है।
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 आंगड़िया पैसा लेकर ट्रैवल नहीं करते। अगर सूरत में रुपया जमा हो गया तो अहमदाबाद में रुपए का इंतजाम किया जाता है। ऐसे में बीच में पैसा पकड़े जाने का खतरा नहीं होता। 24 से 48 घंटे के अंदर ही अहमदाबाद में रुपए का इंतजाम हो जाता है। अहमदाबाद में मौजूद आंगड़ियों के एजेंट या एजेंसी को सूरत में जनरेट कोड को बताना होता है।
पैसा सर्कुलेट करने का काम करते हैं
इसके बाद वो सूरत में जमा पैसे डिलीवर कर देगा। आंगड़िये इस सर्विस के लिए 10-15% पर्सेंट का कमीशन लेते हैं। ये सर्विस पूरी तरह से भरोसे और विश्वसनीयता पर आधारित है। आंगड़िया हीरा व्यापारियों के बीच पैसा सर्कुलेट करने का काम करते हैं। आप इन्हें हीरा व्यापारियों का कूरियर ब्वॉय भी कह सकते हैं। आंगड़िया कैश के साथ ही हीरा ले जाने का काम भी करते हैं। हाल के वर्षों में आंगड़ियों का इस्तेमाल हवाला करोबार के लिए किया जा रहा है। चुनाव आयोग ने गुजरात विधानसभा चुनाव
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में हर उम्मीदवार के लिए अधिकतर चुनावी खर्च की सीमा 28 लाख रुपए रखी है। इसके लिए उनके अकाउंट भी खुले हैं। जिसके द्वारा किए गए लेन-देन पर चुनाव आयोग की नजर है। लेकिन अगर कोई कैश बाहर से मंगाया जाए और बिना बैंक की सूचना के इस्तेमाल किया जाए तो उसपर चुनाव आयोग कार्यवाही नहीं कर पाएगा। इसी सोच के साथ आंगड़ियों का इस्तेमाल काले धन को यहां से वहां पहुंचाने में किया जा रहा है। आंगड़ियों से रुपए ट्रांस्फर कराने में एक फायदा होता है कि रुपए पकड़े जाने पर वो किसी का नाम नहीं उजागर करते। इस तरह से रुपए देने और लेने वाले का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता और दोनों सेफ रहते हैं।
साभार – आजतक
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