कोई पिस्‍टल लेकर चलती थीं तो किसी ने भाग कर रचाई शादी, अब बन गईं मेयर

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ये हैं उत्‍तर प्रदेश की छह महिला मेयर

 कानपुर से भाजपा के टिकट पर प्रमिला पांडेय ने मेयर पद पर जीत हासिल की है। दिनभर शोरगुल के बाद जब वो अपने घर पहुंचतीं तो उन्हें रिसीव करने के लिए पांच की जगह सिर्फ एक देवरानी चाय का कप लेकर आतीं। प्रमिला कहती हैं कि आज वह जो कुछ भी हैं, उसके पीछे उनकी पांच जेठानियों की ताकत है। उन्हीं की वजह से उन्हें जूझने की शक्ति मिली है। 25 साल के राजनीतिक करियर के दौरान अक्सर कई-कई दिनों तक घर नहीं गई, पर देवरानियों ने बेटों व बेटियों को हमारी कमी महसूस नहीं होने दी।

प्रमिला पिछले 25 वर्षों से भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता हैं। इस बीच उन्हें दो बार पार्षद बनने का भी मौका मिला। प्रमिला पांडेय 1989 में राजनीति में कदम रखा और परिवार को संभालने की जिम्मेदारी इनकी देवरानियों पर आ गई।

प्रमिला के छह बच्चे हैं, उनका पालन पोषण कैसे और कितने अच्छे तरीके से हुआ, उन्हें इसका आभास ही नहीं हो पाया। भरे पूरे परिवार के बड़े लोगों ने उनका जीवन आसान कर दिया था। प्रमिला कहती हैं कि ‘हां मैं असलहे रखती हूं, लेकिन वो अपनी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि गरीबों के लिए। जब कोई अफसर ठीक तरह से काम नहीं करता तो उसे डराने के लिए पिस्टल दिखानी पड़ती है।

प्रमिला ने बताया कि इसका उन्होंने कभी इस्तेमाल तो नहीं किया, लेकिन रिवॉल्वर साथ लेकर चलने से वह लोगों और पार्टी के बीच और भी चर्चित हो गईं। लोगों के काम को लेकर उन्होंने कई बार विभागीय अधिकारियों से भी भिड़ने में गुरेज नहीं किया।

प्रमिला ने बताया कि सपा सरकार के दौरान पुलिस-प्रशासन में बैठे अफसर गरीबों की फरियाद नहीं सुनते थे। फरियादी उनके पास आते तो हम कमर में पिस्टल लगाकर उनके साथ अफसर के पास पहुंच जाती थीं और समस्या का निराकरण के लिए कहती। 2016 में नजरीबाद थानेदार ने जब इनकी शिकायत पर अमल नहीं किया तो प्रमिला ने कमर से पिस्टल हाथ में निकाल लिया। थानेदार ने डर के चलते इनकी बात सुनी और आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

तीन बार सांसद रहे हैं मृदुला जायसवाल के श्‍वसुर

 वाराणसी से भाजपा के टिकट पर विजयी मृदुला जायसवाल के श्‍वसुर शंकर प्रसाद जायसवाल तीन बार एमपी, दो बार एमएलए और एक बार एमएलसी रहे हैं।पति राधाकृष्ण जयसवाल लुब्रीकेंट एंड इंडस्ट्रियल ऑयल के बिजनेस से जुड़े हैं। एक फर्म उनके नाम से भी है।

2004 में जिस साल शादी हुई उसी साल ससुर लोकसभा चुनाव कांग्रेस से हार गए थे। उन्होंने कहा था- ”हार-जीत से कभी घबड़ाना नहीं, बल्कि सीखने का प्रयास करना चाहिये।”
करोड़पति हैं मृदुला के पास चल सम्पत्ति- 19 लाख 89 हजार। अचल सम्पत्ति- 98 लाख 78 हजार।जमीन-80लाख।ज्वैलरी- 19 लाख 80 हजार।एलआईसी- 90 हजार।कैश- 1 लाख 22 हजार।पति के पास- एक होंडा बाइक।

 दसवी पास लड़के पर आया था अभिलाषा का दिल

 इलाहाबाद से बीजेपी के टिकट पर मेयर चुनी गयीं अभिलाषा गुप्ता, मंत्री नंद गोपाल नंदी की पत्नी हैं। इन्होंने यूपी इलेक्शन 2017 में उतरने के लिए बीजेपी का दामन थामा। अभिलाषा एक ब्राम्हण परिवार से हैं और इन्हें नंद गोपाल नंदी से प्यार हो गया, जब अभिलाषा ग्रेजुएशन की छात्रा थी। ग्रैजुएशन के दौरान उनका अफेयर नंद गोपाल से हो गया। दोनों एक-दूसरे के प्यार में डूबे थे, लेकिन घरवाले उनके खिलाफ थे। नंद गोपाल ने 10वीं पास करने के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। वो खुद का बिजनेस जमाने की कोशिशों में लगे थे। नंद गोपाल नंदी और अभिलाषा मिश्रा के घर महज 500 मीटर की दूरी पर थे।

अभिलाषा का ब्राह्मण परिवार यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि उनकी लड़की एक गुप्ता लड़के से प्रेम संबंध रखे। घरवालों का विरोध देखते हुए दोनों ने भागकर शादी करने का फैसला लिया। 2 साल के अफेयर के बाद 1995 में नंदी अभिलाषा को लेकर भाग गए और शादी कर ली। घर वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसलिए उन्होंने नंदी और अभिलाषा से संबंध खत्म कर लिए। समय के साथ घरवालों ने इनके प्यार को समझा और अब दोनों परिवार हंसी-खुशी रहते हैं। नंद गोपाल के करीबियों के मुताबिक उनकी शुरुआती लाइफ गरीबी में कटी है। 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ने वाले नंदी को बिजनेस जमाने का जुनून था। वे शुरुआत में बहादुरगंज की गलियों में बच्चों को ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर 50 पैसे में फिल्में दिखाते थे।

नंद गोपाल नंदी 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे थे। इससे पहले वो बहुजन समाज पार्टी में भी रहे हैं और मायावती की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। आज नंद गोपाल 88 करोड़ रुपए के मालिक हैं। बिजनेस के अलावा वे पॉलिटिक्स में भी एक्टिव रहे हैं। 2007 में वे मायावती सरकार में मंत्री बनाए गए थे।

संयुक्‍ता भाटिया के पति विधायक थे

संयुक्ता भाटिया लखनऊ से भाजपा के टिकट पर मेयर चुनी गयी हैं। काफी वक्त से लखनऊ से बीजेपी मेयर टिकट की मजबूत दावेदार थीं, जिस पर बीजेपी ने मुहर लगाई। संयुक्ता के परिवार की पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी रही हैं। उनके पति सतीश भाटिया लखनऊ कैंट से बीजेपी विधायक रह चुके हैं। सतीश भाटिया ने पहली बार इस सीट पर बीजेपी को जीत 1991 में जीत दिलाई थी।

संयुक्ता के बेटे प्रशांत भाटिया राष्ट्रीय स्वयं संघ के विभाग कार्यवाह (लखनऊ विभाग) हैं। चुनाव से पहले 80 फीसदी वॉर्ड संयोजकों और प्रभारियों ने उनके पक्ष में समर्थन दिया था। इसके अलावा सूबे में बीजेपी सरकार के गठन के बाद अगस्त 2017 में संयुक्ता को महिला आयोग का सदस्य भी नामित किया गया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में संयुक्ता की अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2012 के निकाय चुनाव के दौरान भी संयुक्ता के नाम की अटकलें लगाई जा रही थीं। यहां तक कि संयुक्ता द्वारा नामांकन भी किया गया था, लेकिन बीजेपी ने डॉ. दिनेश शर्मा के नाम पर मोहर लगा दी थी जिसके बाद संयुक्ता ने अपना नाम वापस ले लिया था।

नूतन राठौर ने एमबीए किया है

फिरोजाबाद शहर के मेयर पद पर भाजपा के टिकट पर विजयी प्रत्याशी नूतन राठौर बीजेपी के वरिष्ठ नेता मंगल सिंह राठौर की बेटी हैं। उन्होंने एमबीए किया है। शहर में एनजीओ संचालित करती हैं। बता दें कि फिरोजाबाद शहर के मेयर पद पर बीजेपी की जीत खासी अहम मानी जा रही है, क्योंकि यहां से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव सांसद हैं। इसके बावजूद युवा नेता नूतन राठौर ने बड़ी जीत हासिल की है।

यह सीट पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित है। महज 30 साल के युवा चेहरे पर दांव लगाकर पार्टी ने सभी को चौंका दिया था। नूतन राठौर ने बीएससी से स्नातक के बाद मथुरा की जीएलए यूनिवर्सिटी से MBA किया है। वर्तमान में नूतन अविवाहित हैं और वे बैंक की नौकरी को छोड़कर एनजीओ के लिए काम करने लगीं। इसके बाद राजनीति में आई हैं।

वर्तमान में वे दिल्ली के एनजीओ OXFAM और ‘प्रदान’ से जुड़ कर सेवा कार्य कर रही हैं। नूतन के पिता का कहना है‌ कि राजनीति एक सेवा का कार्य हैं।

बिना हैलमेट और स्कूटी पर किया प्रचार आशा शर्मा ने

सड़क हादसों में मारे गए लोगों की याद में लोगों को नियमों के प्रति सचेत करने के लिए नवम्बर माह को ट्रैफिक पुलिस याताय़ात माह के तौर पर मनाती है। लेकिन चुनाव के खुमार में गाजियाबाद से भाजपा की मेयर प्रत्य़ाशी आशा शर्मा अपने समर्थकों के साथ एक स्कूटी पर बैठकर नियमों का उल्लंघन करते हुए नजर आई थीं जिसपर विवाद भी हुआ था।

कविनगर निवासी आशा शर्मा साल 1995 से 2005 तक दो बार भाजपा की पार्षद रह चुकी हैं। इसके अलावा वह महिला मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री भी रही हैं।

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सुनीता वर्मा के पति पूर्व विधायक हैं

बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मेरठ से विजयी सुनीता वर्मा, जिला पंचायत की सदस्य रह चुकी हैं। उनके पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा हैं। मेरठ की सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित होते ही सुनीता वर्मा के नाम की अटकलें लगायी जा रही थीं। बसपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा ने अपने बारे में बताया कि उन्होंने इंटर तक पढ़ाई की है। वर्ष 2000 से 2005 तक जिला पंचायत सदस्य भी रहीं।

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