मतदाताओं ने मनोज सिन्हा के विकास कार्यों की अनदेखी की
लक्ष्मी कांत द्विवेदी
केंद्रीय राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने पूरे पूर्वांचल में विकास की गंगा बहाई लेकिन सपा-बसपा गठजोड़ के कारण जातिवाद के शिकार हो गये। अन्य स्थानों पर जातिवाद पहले जैसा मजबूत नहीं रह गया है, लेकिन पूर्वांचल में अब भी इसकी जड़ें बरकरार हैं।
गाजीपुर से अफजाल अंसारी से मिली मनोज सिन्हा को हार:
2014 में सपा-बसपा अलग-अलग लड़ी थीं। उनके वोट बंटने के कारण मनोज जी जीत गये थे लेकिन इस बार दोनों पार्टियों के वोट जुड़ गये थे। उनके मतदाता आंखों पर जातिवाद की पट्टी बंधी होने के कारण उनके द्वारा किये गये विकास कार्यों को देख ही नहीं पाये।
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दरअसल जब किसी की आंखों पर किसी भी चीज की पट्टी बंधी होती है, तो वह चीजों को उनके वास्तविक स्वरूप में देख नहीं पाता। अब यह पट्टी जाति, सम्प्रदाय, राजनीतिक विचारधारा, क्षेत्र, भाषा चाहे किसी भी चीज की हो, वस्तुस्थिति देखने नहीं देती। अरे, जब तीस-चालीस साल के अनुभवी पत्रकार भी इनकी वजह से वस्तुस्थिति को देख पाने में नाकाम रहते हैं, तो गाजीपुर की जनता को क्यों दोष दें।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)