बीजेपी ने पूरे देश में बनाए 50 साल से कम उम्र के जिलाध्यक्ष, वजह है बेहद खास…
भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) में उम्र देखकर पद दिए जाने का सिलसिला शुरू हुआ है। पार्टी ने युवा टीम तैयार करने के मकसद से योग्यता की शर्तो में उम्र को भी जोड़ दिया गया है। इस रणनीति पर चलते हुए बीजेपी ने पूरे देश में 50 साल से कम उम्र वाले लोगों को जिलों की कमान सौंपी है।
ऊर्जावान चेहरों को संगठन चलाने का मौका
कुछ राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों के मामले में भी यही नीति अपनाई गई। मध्य प्रदेश में विष्णु दत्त शर्मा जहां 49 साल के हैं, वहीं दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता भी 50 साल के हैं। अन्य कई राज्यों के अध्यक्ष 55 साल के अंदर के हैं। अधिक उम्र वालों की जगह कम उम्र वालों को मौका देने के पीछे पार्टी की सोच है कि ऊर्जावान चेहरों को संगठन चलाने का मौका मिले। इससे हर स्तर पर नई लीडरशिप को आगे आने का मौका मिलेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के एक शीर्ष नेता ने बताया, “इस दौर में राजनीति जिस तरह से तेज हुई है, वह ऊर्जावान चेहरे मांगती है। अब राजनीति पार्टटाइम नहीं बल्कि फुलटाइम होने लगी है। निचले स्तर पर कम उम्र में जिम्मेदारियां दिए जाने पर नए नेताओं को उभरने का मौका मिलता है। अगर कोई 40 साल में मंडल अध्यक्ष बनता है तो फिर उसके पास जिले से लेकर प्रदेश की राजनीति में जाने तक की काफी उम्र रहती है।
भाजपा में 50 साल से कम उम्र के बने सभी जिलाध्यक्ष
भाजपा नेता ने कहा, “सोची-समझी रणनीति के तहत जिला इकाइयों के अध्यक्षों के लिए 50 साल अधिकतम उम्र को एक पैमाना बना दिया गया। कुछ मामले अपवाद हो सकते हैं, लेकिन पहली बार भाजपा में लगभग सभी जिलाध्यक्ष 50 साल से कम उम्र के बने हैं।”
भाजपा सूत्रों ने मीडिया को बताया कि संगठन चुनाव के दौरान ही पार्टी मुख्यालय से सभी राज्य इकाइयों को उम्र देखकर अध्यक्ष बनाने का निर्देश दिया गया था। निर्देशों के मुताबिक, जिलाध्यक्ष पद के लिए अधिकतम 50 साल और मंडल अध्यक्ष के लिए 40 साल उम्र सीमा तय की गई थी।
भाजपा के देश में हैं कुल 907 संगठनात्मक जिले
भाजपा के देश में कुल 907 संगठनात्मक जिले हैं। पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर यहां 50 साल से कम उम्र के चेहरों के हाथ पार्टी ने कमान सौंपी है। इसी तरह भाजपा के देश में कुल 13,796 मंडल हैं। इन मंडलों के अध्यक्ष पद पर अधिकतम 40 साल उम्र के लोग बैठाए गए हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कम उम्र के लोगों को संगठन की कमान मिलने से पार्टी से जुड़े युवाओं में उत्साह का संचार होता है। उन्हें भी लगता है कि कम उम्र में वे अच्छे पद तक जा सकते हैं। राष्ट्रीय स्तर से जारी होने वाले कार्यक्रमों को कहीं बेहतर तरीके से कम उम्र के लोग जमीन पर उतारने में सफल होते हैं। जमाना तकनीक का है, ऐसे में कम उम्र के लोग इसमें ज्यादा रुचि लेते हैं।
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