3 दिनों में बढ़ जाएगा बिपारजॉय चक्रवात, 12-14 जून को हाई अलर्ट, जानिए बिपारजॉय है कितना घातक

0

प्राकृतिक आपदाएं किसी भी देश के लिए किसी श्राप जैसी ही होती हैं। धरती पर आकस्मिक बदलावों की वजह से कई बार विनाशक आपदाओं से लोगों को गुजरना पड़ा है. ये आपदाएं इनता विकराल रूप धर कर आती हैं कि कुछ ही सेकेंड में पूरा का पूरा इलाका ही साफ कर देती है। भारत भी ऐसी कई आपदाओं का दंश झेल चुका है। फिर चाहे वह साल 1999 में आई सुनामी हो या साल 2014 में आया चक्रवाती तुफान हो, इन सबने देश को बड़ी त्रासदी में ढकेल दिया.
चक्रवाती तूफानों की वजह से पिछले साल पूरे दक्षिण एशिया में करीब 11 लाख लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होना पड़ा. केंद्र के अनुसार बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में आई आपदाओं की रिपोर्ट केवल मध्यम से बड़े स्तर की घटनाओं के लिए तैयार की जाती हैं. इसका आशय हुआ कि छोटी-मोटी आपदाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता जो मिलकर विस्थापन के आंकड़े को बढ़ा सकती हैं।

गंभीर चक्रवाती तूफान बिपारजॉय चेतावनी….

भारत मौसम विज्ञान विभाग या आईएमडी ने अपने नवीनतम अपडेट में कहा. कि बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान “बिपारजॉय” जो पूर्व मध्य अरब सागर पर केंद्रित था, पिछले 6 घंटों के दौरान 5 किमी प्रति घंटे की गति से उत्तर की ओर बढ़ा. सुबह 8:30 बजे, यह अक्षांश 14.0°N और देशांतर 66.0°E के पास एक ही क्षेत्र में केंद्रित था. गोवा से लगभग 850 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में, मुंबई से 900 किमी दक्षिण पश्चिम में, पोरबंदर से 930 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में और 1220 किमी कराची के दक्षिण में।

मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की सलाह…

आईएमडी का अनुमान है कि चक्रवाती तूफान “बिपारजॉय” अगले 24 घंटों के दौरान धीरे-धीरे और तेज होगा. और अगले 3 दिनों के दौरान लगभग उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ जाएगा. मछुआरों को चेतावनी देते हुए, आईएमडी ने 12 जून तक पूर्व मध्य और आसपास के पश्चिम मध्य और दक्षिण अरब सागर, उत्तर और आसपास के मध्य अरब सागर में 12 -14 जून के दौरान मछली पकड़ने के कार्यों को पूरी तरह से निलंबित करने का आह्वान किया है. आईएमडी ने मछुआरों से 13 जून तक मध्य अरब सागर और 12 से 14 जून के दौरान उत्तरी अरब सागर के आस-पास के क्षेत्रों में नहीं जाने का आग्रह किया है. मौसम विभाग ने यह भी आग्रह किया है. कि जो लोग समुद्र में हैं उन्हें तट पर लौटने की सलाह दी जाती है।

समुद्र में ऊंची लहरें उठने की संभावना

इस दौरान केरल-कर्नाटक तटों और लक्षद्वीप-मालदीव इलाकों में छह जून और कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर आठ से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है. समुद्र में उतरे मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी गयी है. आईएमडी ने सोमवार को कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने और इसके गहरा होने से मॉनसून का केरल तट की ओर आगमन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है.

कैसे पड़ा चक्रवात का नाम बिपरजॉय…

दरअसल चक्रवात को बाइपरजॉय नाम बांग्लादेश ने दिया था. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) सदस्य देशों द्वारा प्रस्तुत नामों के अनुसार वर्णानुक्रम में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नाम देता है. बांग्लादेश ने बिपरजॉय नाम दिया, जिसका अर्थ बंगाली में “खुशी” है।

बता दे कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) चक्रवात की बारीकी से निगरानी कर रहा है. और आवश्यकतानुसार सलाह जारी करेगा. तटीय क्षेत्रों के निवासियों को चक्रवात से संभावित बाढ़ और अन्य प्रभावों के लिए तैयार रहने की सलाह दी जाती है।

कब दस्तक देगा मॉनसून…

मौसम विभाग ने केरल में मॉनसून के आगमन की संभावित तारीख नहीं बताई. निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काइमेट वेदर’ ने बताया कि केरल में मॉनसून आठ या नौ जून को दस्तक दे सकता है लेकिन इस दौरान हल्की बारिश की ही संभावना है. उसने कहा, ‘अरब सागर में मौसम की ये शक्तिशाली प्रणालियां अंदरुनी क्षेत्रों में मॉनसून के आगमन को प्रभावित करती हैं. इसके प्रभाव में मॉनसून तटीय हिस्सों में पहुंच सकता है लेकिन पश्चिम घाटों से आगे जाने में उसे संघर्ष करना पड़ेगा।

चक्रवात बिपरजॉय के कुछ संभावित प्रभाव…

-भारी वर्षा
-तेज़ हवाएं
-बाढ़
-भूस्खलन
-बिजली में व्यवधान
-संचार व्यवस्था में व्यवधान
-संपत्ति और बुनियादी ढांचे को नुकसान

भारत में आए अब तक के सबसे बड़े चक्रवात…

-14 अक्तूबर 2014 में बंगाल की खाड़ी से उठे हुदहुद तूफान व उसके प्रभाव से हुई मूसलाधार बारिश ने आंध्रप्रदेश व ओडिशा में तबाही मचाई. इसने बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में भी व्यापक असर डाला. इस तूफान की वजह से 25 लोगों की मौत हुई।

-12 अक्तूबर 2013 में ओडिशा और आंध्रप्रदेश में आए पाइलीन तूफान से माली नुकसान तो हुआ. लेकिन जान का नुकसान ज्यादा नहीं हुआ. इस तूफान को लेकर पहले ही केंद्रीय एजेंसियों और राज्य सरकारों ने सतर्कता बरती थी. और निपटने के लिए जरूरी इंतजाम कर लिए थे. पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले ही भेज दिया गया था. तूफान से खतरे को देखते हुए 72 घंटे पहले ही अलर्ट जारी कर दिया गया था।

-31 अक्तूबर  2012 में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके में चक्रवाती तूफान ‘नीलम’ आया था इसमें दो लोगों की मौत हुई थी. तूफान की गति 110 किमी प्रति घंटा थी।

-2 जून 2010 में अहमदाबाद के अरब सागर में उठे चक्रवात ‘फेट’ ने भयंकर रूप धारण किया. इसकी वजह से गुजरात के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई थी।

-21 मई 2010 में आंध्रप्रदेश में लैला नामक तूफान ने तटीय इलाकों में तबाही मचाई। इसकी चपेट में आने से 23 लोगों की मौत हुई. तूफान से 20,000 हेक्टेयर फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी।

-14 अप्रैल 2010 में पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में 125 किलोमीटर की रफ्तार से आए भयंकर चक्रवात ने 120 लोगों की जान ले ली थी. और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए।

-2021 में ताउते चक्रवात ने दक्षिण भारत, गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र में भारी वर्षा और शक्तिशाली तेज़ हवाओं का कारण बना. साथ ही गुजरात में सौराष्ट्र प्रायद्वीप के दक्षिणी तट पर लैंडफॉल बनाया।

-2011में चक्रवाती तूफान ठाणे ने 30 दिसंबर को तमिलनाडु में कुड्डालोर के ऊपर लैंडफॉल बनाया जो हिंद महासागर में कहीं भी लैंडफॉल बनाने के लिए एक चक्रवात की सबसे उन्नत तिथि को इंगित करता है।

-1999 में ओडिशा चक्रवात उत्तर हिंद महासागर में सबसे ऊर्जावान पंजीकृत उष्णकटिबंधीय चक्रवात था और इस क्षेत्र में सबसे घातक चक्रवात था.  यह 25 अक्टूबर को अंडमान सागर में एक उष्णकटिबंधीय अवसाद में बदल गया.  विनाश से 15,000 मौतें होती हैं।  साथ ही भारत में सबसे बड़े चक्रवात के रूप में रिकॉर्ड में।

read also- SHO साहब लूट ले गए लूट का समान, कमरे में मिली 50 किलो चांदी…

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More