रघु राय: सच्चाई बोलता है उनका कैमरा

0

अगर रघु राय को भारत का महानतम जीवित फोटोग्राफर कहा जाए तो अधिकतर लोगों को आपत्ति नहीं होगी। जो दुनिया को नजर भी न आया, उसे रघु राय ने अपने कैमरे की लेंस में उतारा है। पिछले 50 सालों में राय के कैमरे से ऐसी अद्भुत तस्वीरें खीची गई हैं जिनका पूरी दुनिया लोहा मानती है। रघु राय की नजर की खासियत ही है, जो नीरस-सी खबरों की तस्वीरों को भी कला का खास नमूना बनाते रहे हैं। पहली बार जब उनके भाई ने उन्हें कैमरा थमाया था, तब से आज तक वे अपने कैमरे से हर दौर के इतिहास और खूबसूरती को कैद करने में जुटे हैं।

जन्म व शिक्षा

प्रसिद्ध फोटोग्राफर रघु राय का जन्म पंजाब के झांग (अब पाकिस्तान में) में सन 1942 में हुआ था। सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले राय ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें फोटोग्राफर बनना है।

फोटोग्राफी को बनाया करियर

सन 1964-65 में राय अपने बड़े भाई एस पॉल के साथ दिल्ली में थे। उनके भाई के एक मित्र अपने गांव जा रहे थे तो राय भी अपने भाई से एक कैमरा मांगा और गांव चल दिए। गांव पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई थी। वहां राय ने एक गधे के एक छोटे से बच्चे की तस्वीर लेना चाहते थे, लेकिन वो भाग गया।

फिर राय ने उसका पीछा किया और थक हारकर जब वो रुक गया तो उन्होंने तस्वीर खींच ली। वापस लौटकर जब वह तस्वीर उन्होंने अपने भाई को दिखाई, तो उन्हें बहुत पसंद आई और उन्होंने वह तस्वीर ‘लंदन टाइम्स’ में भेज दी, जो अखबार के आधे पन्ने पर रघु के नाम के साथ छपी। और यहीं से रघु राय का फोटोग्राफी का सफर शुरू हुआ।

फोटो पत्रकारिता का सफर

रघु राय ने 1965 में ‘द स्टेट्समैन’ अखबार में फोटो पत्रकार और ‘इंडिया टुडे’ के लिए दस साल तक बतौर फोटो संपादक काम किया। अपने कैमरे की तीसरी आंख से इंडिया टुडे के लिए 10 साल तक राजनैतिकों कलाकारों, साधु-संन्यासियों, दागियों-लांछितों, अदाकारों और मशहूर हस्तियों की तस्वीरें उतारते रहे हैं। अब तक उनकी फोटोग्राफी पर 18 से ज्यादा किताबें आ चुकी हैं, जिनमें ‘रघु रायज डेल्ही’, ‘द सिख्स’, ‘कलकत्ता’, ‘ताजमहल’, ‘खजुराहो’, ‘मदर टेरेसा’ आदि हैं।

पद्मश्री से सम्मानित

बांग्लादेशी युद्धबंदियों और शरणार्थियों की जिंदगी को अपने कैमरे में कैद करने की उनकी अभूतपूर्व कोशिशों के चलते उन्हें 1972 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रघु राय को अब तक कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। वह प्रतिष्ठित मैग्नम फोटो  कंपनी के लिए चुने गए पहले भारतीय फोटोग्राफर हैं।

भोपाल गैस त्रासदी की तस्वीर दुनिया भर में प्रसिद्ध

भोपाल में 1984 में हुई गैस त्रासदी के बाद उन्होंने अपनी तस्वीरों के माध्यम से इस भीषणतम हादसे का दस्तावेजीकरण किया। त्रासदी के बाद एक नन्हे से बच्चे को दफनाए जाने की उनकी तस्वीर दुनिया भर में इस त्रासदी का प्रतीक बन गई है।

ra 2

दरअसल, तस्वीर एक बच्चे की थी, जिसे दफनाया जा रहा था। उन्होंने देखा कि एक कब्र में तीन बच्चों को दफनाया जा रहा था। एक बच्चे की आंखे खुली हुई थीं और उस पर मिट्टी डाली जा रही थी, तभी राय ने उसकी तस्वीर कैद कर ली। इस तस्वीर को जिसने भी देखा उसे झकझोर कर रख दिया। उन्होंने ग्रीनपीस के लिए भोपाल गैस त्रासदी पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई।

खुद को भारत तक ही रखा सीमित

रघु राय की लगभग सभी तस्वीरें भारत से जुड़ी हैं। जबकि वे जाने-माने अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफर हैं, फिर भी वे अपने आप को भारत तक ही सीमित रखा। इस बारे में उनका कहना है कि जब एक ही देश में, एक ही धरती पर किसी की दुनिया मिल जाए तो उसे क्या चाहिए।

raghu_rai

राय ने कहा कि हिंदुस्तान को समझने के लिए उन्हें कई जन्म चाहिए। यूं तो दुनिया में रोम, एडिनबरा, पेरिस कई खूबसूरत शहर हैं, लेकिन भारत की बात ही अलग है। राय के मुताबिक, उन्हें अपने देश से प्यार है, तो फिर बाहर भटकने की क्या जरूरत है।

इंदिरा गांधी रही हैं प्रिय विषय

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी राय की प्रिय विषय रही हैं। राय के मुताबिक जब इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री बनीं थी लगभग तभी उन्होंने भी अपना करियर शुरू किया था।

indira-gandhi

देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यह तस्वीर उनके मजबूत और बहुआयामी व्यक्तित्व को ईमानदारी से उकेरती है। खास मुद्रा में उनके हाथ इस तस्वीर को और दिलचस्प बना गए। जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो उस समय राय ‘इंडिया टुडे’ में थे और उन्होंने विशेष संस्करण निकाला था।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More