कभी पेट भरने के लिए दूध तक बेचना पड़ा था इस सीएम को

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कौन नहीं जनता है। 62 साल की ममता बनर्जी भारतीय राजनीति में ‘ममता दीदी’ के नाम से मशहूर हैं। आज हम आपको उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।

ममता का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनके सीएम पद तक पहुंचने का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। बचपन में पिता की मृत्यु की बाद उन्होंने अपने भाई-बहन का पेट भरने के लिए दूध तक बेचा था। तेज-तर्रार नेता के तौर पर मशहूर ममता बेहद लो प्रोफाइल लाइफ के लिए जानी जाती हैं।

फ्रेंड से मिला धोखा, ब्वॉयफ्रेंड का मतलब, पर्सनल लाइफ से जुड़ी कई बातें उन्होंने अपनी बायोपिक Mamata Banerjee: My Unforgettable Memories में शेयर की है।

ब्वॉयफ्रेंड का मतलब नहीं पता

ममता बनर्जी को ब्वॉयफ्रेंड का मतलब तक नहीं पता था। इसकी वजह ये कि उनका सारा वक्त घर, स्कूल, पढ़ाई और खेलने में ही गुजर जाता था। उन्होंने अपनी बायोपिक में बताया था कि एक बार स्कूल से घर लौटते हुए उनकी सहेलियां अपने-अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिलने गईं। वे भी चली गईं सहेलियों के साथ। पार्क में पहुंचकर ममता की सहेलियां लड़कों से मिलीं। सहेलियों को ब्वॉयफ्रेंड्स से बात करते देख उन्हें बहुत अजीब लगा। उनकी बातें सुनकर वे इतना घबरा गईं कि भागकर अपने घर लौट आईं। ममता ने कहा है, ‘मुझे तब ब्वॉयफ्रेंड का मतलब नहीं पता था और इसके बारे में किसी से पूछ भी नहीं सकती थी।’

फ्रीडम फाइटर थे पिता

ममता के पिता फ्रीडम फाइटर थे। बचपन में ही उनकी मृत्यु हो गई थी। आगे चलकर ममता को परिवार चलाने के लिए दूध बेचने का काम करना पड़ा। उन्होंने 70 के दशक में कांग्रेस की स्टूडेंट इकाई से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उस वक्त इस इकाई ने कोलकाता से नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।

दोस्त से मिला धोखा

अपनी बायोपिक Mamata Banerjee: My Unforgettable Memories में उन्होंने बताया कि उन्हें दोस्त से धोखा मिला था। वे स्कूल में पढ़ाई में अव्वल थी। मैथ्स का पेपर तो वो फटाफट हल कर देती थी। एक बार मैथ्स का एग्जाम था और उन्होंने अपना पेपर 15 मिनट पहले ही हल कर दिया था। ये देखकर उनकी एक दोस्त ने पेपर हल करने में उनसे मदद मांगी। ममता ने अपना पेपर दोस्त को दे दिया और उसका पेपर लेकर हल करने लगी। पेपर पूरा हल नहीं हो पाया और परीक्षा का समय खत्म हो गया। उनकी दोस्त ने उनका पेपर अपने नाम से जमा कर दिया। जब रिजल्ट आया तो ममता को सभी विषय में अच्छे नंबर मिले थे, लेकिन वे गणित में फेल हो गई थीं।

कई नौकरियां भी की हैं

राजनीति में आने से पहले ममता बनर्जी ने कई नौकरियां भी की हैं। उन्होंने स्टेनोग्रफर, प्राइमरी स्कूल टीचर, ट्यूटर और सेल्सगर्ल का काम भी किया है। इसके अलावा, वे कविताएं भी लिखती हैं। उनकी कई किताबें पब्लिश हो चुकी हैं। उन्होंने 20 से ज्यादा किताबें लिखी हैं।ममता बनर्जी एक पेंटर भी हैं। वे अपनी पेन्टिंग की एग्जीबिशन भी आयोजित करती हैं। उनकी पेन्टिंग्स से पार्टी के लिए अच्छा-खासा फंड इकट्ठा होता है। हालांकि, अपनी पेन्टिंग्स के कारण उन्हें विवादों का भी सामना करना पड़ा है।

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अपनी डाइट पर पूरा ध्यान

ममता अपनी डाइट पर पूरा ध्यान रखती हैं। उन्हें तेल और मसालेदार खाना ज्यादा पसंद नहीं है। उन्हें पफ्ड राइस, चाय और चॉकलेट पसंद हैं। बस कभी-कभी वे आलू टिक्की खा लेती हैं। वे रोज करीब 5-6 किलोमीटर चलती हैं।

सोशल साइट्स पर एक्टिव

ममता बनर्जी सोशल साइट्स पर भी काफी एक्टिव रहती हैं। वह फेसबुक और ट्विटर जैसे डिजिटल प्लैटफॉर्म के माध्यम से अपने विरोधियों के हमले का जवाब देती रहती हैं।

फोटोग्राफी का शौक

ममता को नेचर से प्यार है। वे हिमालय की पहाड़ियों और मेदिनीपुर के जंगलों में वक्त बिताना पसंद करती हैं। इसके अलावा उन्हें फोटोग्राफी का भी शौक है। जब भी उन्हें समय मिलता है वे नेचर फोटोग्राफी करना पसंद करती हैं।

सुब्रत मुखर्जी लाए थे राजनीति में

ममता ने कानून और शिक्षा के अलावा आर्ट्स में भी डिग्री हासिल की है। शुरुआत में उनको राजनीति में सुब्रत मुखर्जी लाए थे। उनको 1984 से पहले पश्चिम बंगाल के बाहर कोई नहीं जानता था, लेकिन जब उन्होंने इसी साल अपने पहले लोकसभा चुनाव में ही जादवपुर से माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी को हराया तो वह देशभर में मशहूर हो गईं।

मात्रा 24 साल की उम्र में बन गई थी सांसद

ममता ने अपनी मेमोरी में जिक्र किया है कि उनके दो बर्थडे हैं। दरअसल, जब वे 10वीं का एग्जाम दे रही थी, तब वे 15 साल की भी नहीं थीं। ऐसे में, उनके पिताजी ने उनकी उम्र पांच साल बढ़ाकर लिखवा दी थी। इसका फायदा ममता को बाद में मिला। उन्होंने जब पहला लोकसभा चुनाव लड़ा तब उनकी ऑरिजिनल उम्र 24 साल थी। लेकिन सर्टिफिकेट में उनकी उम्र 29 साल थी। उन्होंने चुनाव लड़ा और वे जीत गई थीं।

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