बिंदास पत्रकार ‘खुशवंत सिंह’
खुशवंत सिंह भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। एक पत्रकार के रूप में इन्होंने बहुत लोकप्रियता प्राप्त की। उन्होंने पारंपरिक तरीका छोड़ नए तरीके की पत्रकारिता शुरू की। खुशवंत सिंह भारतीय लेखकों और पत्रकारों में हर समय सर्वोपरि रहने वालों में से एक थे। वह एक ऐसे लेखक, पत्रकार और इतिहासकार थे जो अपनी बेबाक जीवनशैली के लिए आजीवन जाने जाते रहे। खुशवंत सिंह जितने भारत में लोकप्रिय थे उतने ही पाकिस्तान में भी लोकप्रिय थे।
जन्म
खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी सन 1915 को पंजाब के ‘हदाली’ नामक स्थान(अब पाकिस्तान में) पर हुआ था।
शिक्षा
खुशवंत सिंह जी ने ‘गवर्नमेंट कॉलेज’, लाहौर और ‘कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी’ में शिक्षा पाई थी। इसके बाद लंदन से ही कानून की डिग्री ली। उसके बाद उन्होंने लाहौर में वकालत शुरू की।
पारिवारिक विवरण
खुशवंत सिंह का परिवार एक अमीर परिवार था। उनके पिता का नाम सर शोभा सिंह था जो एक बिल्डर और ठेकेदार थे। उनकी माता का नाम लेडी वर्याम कौर था। उनका विवाह कवल मलिक से हुआ था जिनसे एक पुत्र राहुल सिंह थे, और एक पुत्री माला थी। उल्लेखनीय है कि प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री अमृता सिंह उनकी भतीजी थी जोकि उनके भाई दलजीत सिंह की पुत्री हैं।
पत्रकारिता में पदार्पण
एक पत्रकार के रूप में भी खुशवंत सिंह ने बहुत ख्याति अर्जित की। 1951 में वे आकाशवाणी से जुड़े थे और 1951 से 1953 तक भारत सरकार के पत्र ‘योजना’ का संपादन किया। इसके बाद 1980 तक मुंबई से प्रकाशित प्रसिद्ध अंग्रेजी साप्ताहिक ‘इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया’ और ‘न्यू डेल्ही’ के संपादक रहे।
1983 तक दिल्ली के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ के संपादक भी वही थे। तभी से वे प्रति सप्ताह एक लोकप्रिय ‘कॉलम’ लिखते हैं, जो अनेक भाषाओं के दैनिक पत्रों में प्रकाशित होता है। खुशवंत सिंह उपन्यासकार, इतिहासकार और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में विख्यात रहे हैं।
प्रसिद्ध उपन्यास
खुशवंत सिंह ने कई अमूल्य रचनाएं अपने पाठकों को प्रदान की हैं। उनके अनेक उपन्यासों में प्रसिद्ध हैं- ‘डेल्ही’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘दि कंपनी ऑफ वूमन’। इसके अलावा उन्होंने लगभग 100 महत्वपूर्ण किताबें लिखी। अपने जीवन में सेक्स, मजहब और ऐसे ही विषयों पर की गई टिप्पणियों के कारण वे हमेशा आलोचना के केंद्र में बने रहे। उन्होंने इलेस्ट्रेटेड विकली जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
उपलब्धियां
साल 1947 से कुछ सालों तक खुशवंत सिंह ने भारत के विदेश मंत्रालय में महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे। कांग्रेस पुस्तकालय में उनके 99 कार्यों जोकि खुशवंत सिंह द्वारा किए गए है रखे हुए है।
योगदान
साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय था। उन्होंने अपने व्यंग्य लेखन के माध्यम से अपने पाठकों का भरपूर मनोरंजन किया था
पुरस्कार
1974 में वह भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किए गए। हालांकि 1984 में उन्होंने भारतीय सेना के स्वर्ण मंदिर में घुसने और एक अभियान चलाने के कारण विरोध स्वरुप इस सम्मान को लौटा दिया था।
वर्ष 2007 में खुशवंत सिंह को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2006 में उन्हे पंजाब सरकार द्वारा पंजाब रतन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
जुलाई 2000 में उन्हें अपनी बहादुरी और ईमानदारी ‘प्रतिभाशाली तीक्ष्ण लेखन’ के लिए सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस संगठन द्वारा ‘आनेस्ट मैन आफ द ईयर अवार्ड’ दिया गया।
2010 में उन्हे भारत के साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य अकादमी फेलोशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें अखिल भारतीय अल्पसंख्यक फोरम वार्षिक फैलोशिप का अवार्ड दिया गया।
उन्हें आर्डर आफ खालसा (निशान-ए-खालसा) सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।
निधन
खुशवंत सिंह की हृदय गति रुक जाने के कारण 20 मार्च 2014 को 99 वर्ष की आयु में निधन हो गया।