वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) के न्यूरोलॉजी विभाग ने सोमवार को आईएमएस ऑफिस से रैली निकाली. इस दौरान “बैगनी बनारस” अभियान के तहत सभी सीनियर्स, जूनियर, न्यूरोलॉजी विभाग के कर्मचारी और छात्र बैगनी टीशर्ट में अस्पताल आए मरीजों को “मिर्गी नहीं है लाइलाज” का संदेश दिया. रैली को झंडी आईएमएस निदेशक प्रोफेसर एस. शंखवार ने दिखाया. रैली का नेतृत्व न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने किया.
शोध के लिए किया प्रोत्साहित…
आईएमएस निदेशक ने बीएचयू न्यूरोलॉजी विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए नए शोध के लिए प्रोत्साहित किया. उप चिकित्सा अधीक्षक सर सुंदर लाल चिकित्सालय एवं बाल रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो अंकुर सिंह थे उन्होंने बच्चों के मिर्गी के बारे में बताया.
14 साल से चल रहा जागरूकता अभियान…
प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि हम जिला प्रशासन के साथ मिलकर पैरामेडिकल स्टाफ को यह प्रशिक्षण देने जा रहे है कि कैसे मिर्गी के लक्षण को पहचाने? न्यूरोलॉजी विभाग पिछले 14 साल से पूर्वांचल के विभिन्न हिस्सों में जनजागरूकता कार्यक्रम चलवा रहा है. उन्होंने बताया कि 17 नवंबर को “राष्ट्रीय मिर्गी दिवस” के रुप में मनाया जाता है, पूरा महीना हम न्यूरोलॉजिस्ट अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाते है.
मरीज के प्रति है घृणा
प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि मिर्गी को लेकर विभाग द्वारा चलाए जा रहे जनजागरूकता कार्यक्रम के दौरान देखने को मिलता है कि मरीज के प्रति लोगों में घृणा है. कई बार झटके आने से लड़के-लड़कियों की शादी तक टूट जाती है. ससुराल में लड़कियों को झटका आने पर उनका जीवन नरक हो जाता है. ऐसे में मरीजों के प्रति सहानुभूति रखें, उसका इलाज करवाएं. कई महान क्रिकेटर, उद्योगपति और राजनेता मिर्गी बीमारी से पीड़ित है और दवा खाकर सामान्य जीवन यापन कर रहे है.
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी
प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि मिर्गी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां है. उन्होंने बताया कि मिर्गी का दौरा आने पर लोग जूता सुंघाते है, उसे खटमल खिलाते है, कोई चिता पर सेंकी रोटी भी खिलाता है. यह सब मरीज के साथ हुई प्रताड़ना है. मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. इसका इलाज संभव है. मिर्गी कई तरह के होते है, यह जांच में न्यूरोलॉजिस्ट पता करते है. मिर्गी का मरीज दवा के साथ सामान्य जीवन यापन कर सकता है.
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30 सेकेंड तक आता है झटका
प्रोफेसर विजयनाथ मिश्र ने बताया कि 85 प्रतिशत मरीजों को 30 सेकेंड तक झटके आते है. उसके बाद करीब मरीज 5 मिनट तक बेहोश रहता है. उसके बाद वह सामान्य व्यक्ति की तरह ठीक हो जाता है. यह झटके पानी में तैरते, आग के पास, यात्रा के दौरान, गाड़ी चलाते समय आने से मौत तक हो जाती है. मिर्गी के मरीजों को अकेले नहीं रहना चाहिए, वह किसी न किसी के साथ रहे. झटका आने पर मरीज को करवट लिटा दें, कमीज ढीली कर दें. झटके की वीडियो बनाकर न्यूरोलॉजिस्ट से जरूर मिले.