भाई दूज आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

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आज बुधवार 15 नवंबर को भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है, इस त्यौहार के साथ ही दिवाली का पंचदिवसीय पर्व भी खत्म हो जाएगा. इसदिन बहनें पूजा करके अपने भाईयों को तिलक करती है, साथ ही हाथ पर कलावा बांधकर सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करती हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन जो भाई बहन को तिलक लगाता है, वह अकाल मृत्यु से बचते है. आइए जानते हैं भाई दूज का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि….

भाईदूज का शुभ मुहूर्त

भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने के दो शुभ समय बन रहे है, जिसमें से पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे 44 मिनट से 9 बजे 24 मिनट तक है, यही कारण है कि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजे 40 मिनट से दोपहर 12 बजे तक चलता है. इसके बाद राहुकाल होगा.

ऐसे मनाएं भाई दूज का पर्व

भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर चन्द्रमा को देखकर स्नान करें, बहनें भाई दूज पर भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती हैं. कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी सब इसमें शामिल होना चाहिए. तिलक करने से पहले चावल का मिश्रण लगाएं. भाई को इस चावल चौक पर बिठाया जाए और बहनें उसे तिलक करें. तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने देकर उनकी आरती करें. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार दें और उनकी सदा रक्षा करने का वादा करें.

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भाईदूज का पौराणिक कथा

भाई दूज मनाने की पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार, इसी दिन, यमुना ने अपने भाई यमराज को लंबे समय तक जीवित रहने के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था. कथा कहती है कि इसी दिन यमराज ने अपनी बहन को देखा था. यमुना, यम की बहन, अपने भाई से मिलने के लिए बहुत व्याकुल थी. यमुना अपने भाई को देखकर बहुत खुश हो गई. यमुना प्रसन्न हो गई और अपने भाई के स्वागत में लग गयी.

इससे यम ने प्रसन्न होकर यमुना को वरदान दिया कि, इस दिन अगर भाई – बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्रनान करते है, को उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी. इस कारण से इस दिन यमुना में भाई बहन के साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है. इसके अलावा यम ने यमुना ने भाई से वचन लिया कि, आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घऱ जाना चाहिए, तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा की शुरूआत हुई है. यम द्वितीया, या भाई दूज, पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनें व्रत भी रखती हैं. भाई दूज के दिन, यमराज और उसके सचिव चित्रगुप्त भी पूजे जाते हैं.

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