आया महीना बैंकों को चूना लगाने का!
आशीष बागची
बैंकों को चूना लगाने का सीजन जैसे आ गया है। धड़ाधड़ बैंक फ्राड हो रहे हैं। पहले ललित मोदी, फिर विजय माल्या, तत्पश्चात नीरव मोदी औऱ अब इस लिस्ट में एक औऱ नाम जुड़ गया है। ये नाम है मशहूर पेन कंपनी रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी का। ऐसा लग रहा है जैसे बैंकों से पैसा लेकर भागने का सीजन सा आ गया है। जैसे परीक्षाओं का सीजन आता है, लगभग वैसा ही। जिसे देखो बैंकों को चपत लगाकर रफूचक्कर हुआ जा रहा है। अगर इसी गति से बड़े बड़े घोटालेबाज पैसे लेकर भागते रहे तो आम आदमी का बैंकिंग सिस्टम पर से भरोसा उठ जाएगा। अब तो चट्टी-चौराहों, गांवों की गलियों, शहरों के फुटपाथों पर भी यह चर्चा हो रही है कि कौन किस राज में कितना माल लेकर रफूचक्कर हुआ है?
हजारों करोड़ का चूना लगाकर विदेशों में मौज कर रहे
जितनी मुंह उतनी ही बातें हो रही हैं। हजारों करोड़ का चूना लगाकर लुटेरे विदेशों में मौज कर रहे हैं जो गरीब जनता है, वह इन जालसाजों द्वारा उड़ाये गये पैसों को गाढ़ी कमाई से भर रही है। अब तो लोग कहने भी लगे हैं कि जिस कंपनी का जितना बड़ा विज्ञापन आयेगा, समझ लीजिये, उस कंपनी के मालिक जनता की गाढ़ी कमाई उड़ाकर विदेशों में बसने व एनआरआई बनने की जमीन तैयार करने में लग गया है।
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सरकार सिर्फ और सिर्फ लकीर पीट रही है। उसकी ओर से लगातार कहा जाता है कि बस कल ही उसे पकड़कर भारत लाया जायेगा पर किसी ऐसे जालसाज को पकड़ पाने में सरकारी एजेंसियां नाकाम रही हैं। खाने का तेल बेचने वाली एक प्रख्यात कंपनी के बारे में तो पहले ही धारणा बन गयी है कि वह किसी भी दिन भागेगी।
ताजा नाम विक्रम कोठारी का
इस कड़ी में ताजा नाम विक्रम कोठारी का आया है। यह शख्स रोटोमैक नामक बाल पेन का विज्ञापन सलमान खान जैसे बड़े सितारों से कराता था। सुना जा रहा है कि उसके हाथ पांच हजार करोड़ की बड़ी रकम लगी है। हालांकि उसे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है, पर उससे सरकार धेला भी वसूल पायेगी इसमें संदेह जताया जा रहा है।
बैंकों से ऋण लेकर नहीं चुकाया
कानपुर निवासी विक्रम कोठारी पर आरोप है कि उसने इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सरकारी बैंकों से ऋण लिया। ऋण लेने के सालों बाद तक उसने न तो मूलधन चुकाया और न ही उस पर बना ब्याज बैंकों को दिया। पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया था।
नीरव मोदी की कहानी
नीरव मोदी, उनके रिश्तेदारों और सहयोगी कंपनियों से जुड़े फ्रॉड में बैंकों के फंसे कर्ज की रकम 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है जो शुरुआती अनुमान का करीब-करीब दोगुना है। इस रकम में सहयोगी कंपनियों को दिया गया कर्ज भी शामिल है, जिसे अब बैड लोन घोषित किए जाने का रिस्क है। पहले फ्रॉड की रकम 11,300 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। कहा जाता है कि सरकार इसे लेकर बहुत परेशान नहीं है क्योंकि नीरव मोदी और उनके सहयोगियों की काफी संपत्ति पहले ही जब्त की जा चुकी है। सरकार यह नहीं बता पा रही है कि बाकी रकम का क्या होगा? क्या जनता से उसे वसूला जायेगा?
सरकार कह रही है कि जांच तेज हुई है
सरकार कह रही है कि पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के 11,300 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच तेज हो गई है। कहा तो यह जा रहा है कि जिन बैंकों की विदेशी शाखाओं से पीएनबी के धोखाधड़ी वाले साख पत्रों (एलओयू) के जरिये कर्ज दिया गया उनके अधिकारी भी जांच के घेरे में आ गए हैं। भारतीय बैंकों इलाहाबाद बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, यूको बैंक और एक्सिस बैंक की हॉन्ग-कॉन्ग शाखाओं के अधिकारी इस पूरे घोटाले में शामिल हैं। जहां जनता के पैसों का रक्षक ही भक्षक बना बैठा हो, वहां क्या जांच और क्या रिकवरी?
किसी डेप्यूटी मैनेजर की इतनी हैसियत कैसे बढ़ाई गयी?
यहां यह देखनेवाली बात है कि मोदी-चौकसे-पीएनबी महाघोटाले में डायमंड कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसे की मदद के लिए बैंक का पूर्व डेप्युटी मैनेजर गोलकुनाथ शेट्टी ने बड़ी तत्परता दिखाई थी। शेट्टी ने अपने रिटायरमेंट के पहले नीरव और चौकसे के लिए लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग्स खूब तेजी के साथ जारी किए थे। जांच एजेंसियां अब बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर कैसे इतनी जल्दी-जल्दी इतने लेटर जारी किए गए। जब आम जनता बैंकों से कर्ज मांगने जाती है उस समय तमाम परेशानियां खड़ी की जाती हैं पर इन घोटालेबाजों को तेजी से रकम भी विदेशों में मिल जाते हैं। ऐसा कौन सा मेकेनिज्म है कि ये घोटालेबाज तो मौज करते हैं बेचारे किसानों को बैंकों के रिकवरी एजेंटों की प्रताड़ना के चलते आत्महत्या करनी पड़ती है?
देखना है क्या सरकार कुछ वसूल पायेगी
पूछा जा रहा है कि क्या कोठारी से एजेंसियां कुछ माल मत्ता हासिल कर पाती हैं या नहीं। वहीं बैंकों के अधिकारी कह रहे हैं कि वे कोठारी की संपत्ति बेचकर अपनी रकम हासिल करेंगे। देखना है कि रोटोमैक के मालिक कोठारी साहब के फ्राड पर बैंक कुछ कर पाते हैं या फिर वो भी जमानत कराकर यूरोप की वादियों में बैंकों से लिए कर्ज पर ऐश करके अपनी जिंदगी मजे से गुजार देते हैं?