हड़ताल के कारण एनसीआर के बैंकों में कामकाज ठप

0

बैंकिंग सेक्टर में सुधार संबंधी प्रस्तावित सरकारी नीतियों के खिलाफ बैंक कर्मियों की एक दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल के चलते मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बैंक सेवाएं प्रभावित हैं।

हड़ताल पूरी तरह सफल है

हड़ताल का आह्वान करने वाले नौ बैंक संघों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) के एक अधिकारी ने कहा कि देश की 1,30,000 शाखाओं में कार्यरत 10 लाख से भी अधिक बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं, जिसके कारण चेक क्लीयरिंग का कामकाज प्रभावित हुआ है।यूएफबीयू बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों और अन्य मुद्दों के खिलाफ विरोध कर रही है।अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संगठन (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस से कहा, “हड़ताल पूरी तरह सफल है। बैंक अधिकारियों ने बैंकों के विलय व निजीकरण की ओर सरकार के कदम के विरोध में पिछली शाम (सोमवार) को शाखाओं के बाहर प्रदर्शन किए।”

read more :  ‘तीन तलाक’ से आजादी ? फैसला आज

हड़ताल के कारण हमारे बैंक के प्रभावित होने की भी संभावना है

हड़ताल यूएफबीयू और भारतीय बैंक संघ, मुख्य श्रम आयुक्त और वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के बीच शुक्रवार को वार्ता असफल होने के बाद हुई है।स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने बीएसई में दर्ज नियामक में कहा, “ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन और ऑल इंडिया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ फेडरेशन यूएफबीयू का हिस्सा होने के नाते हड़ताल में शामिल रहेंगे। हड़ताल के कारण हमारे बैंक के प्रभावित होने की भी संभावना है।”एआईबीईए ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि 17 सूत्री मांगों में प्रमुख मांग सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को पर्याप्त पूंजी देने से इनकार किए जाने से संबंधित है, जिससे निजीकरण की स्थिति पैदा होगी।

जो कुल ऋण का करीब 20 प्रतिशत है…

एआईबीईए ने कहा, “बैंकों के निजीकरण का अर्थ है कि हमारे बैंकों में मौजूद आम जनता के 80 लाख करोड़ रुपये का निजीकरण हो जाएगा।”संगठन ने कहा, “यह देश और जनता के लिए जोखिमभरा है। बैंकों के निजीकरण से कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण नहीं मिल पाएगा।”बयान के अनुसार, “आज बैंकों की प्रमुख समस्या खराब ऋणों का गंभीर स्तर पर बढ़ना है। यह इस समय करीब 15 लाख करोड़ रुपये है, जो कुल ऋण का करीब 20 प्रतिशत है। खराब ऋण का काफी बड़ा हिस्सा बड़े औद्योगिक घरानों और कोरपोरेट हाउसों का है।”

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More