काशी की धरोहर को बचाने के लिए निकला जुलुस

0

ललिताघाट में दिन के लगभग 11 बजे। गंगाघाट पर गली यात्रा में शामिल होने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा थे। जिसमें महिलाएं भी थीं। गलीयात्रा में शामिल होने के लिए उनमें गजब का उत्साह था। कई विदेशी पर्यटक भी वहां थे। वो जानना चाहते थे कि गंगा किनारे लोग क्यों एकत्रित हुए हैं। कुछ क्षेत्रीय नागरिक उन्हें बता रहे थे कहानी। इसी बीच दशाश्वमेध घाट की तरफ गंगा में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बजड़ा आता दिखाई पड़ा। तो घाट पर खड़े लोगों ने हर-हर महादेव के उद्गघोष से उनका स्वागत किया।

banaras

धरोहर बचाने के लिए गली में पदयात्रा

घाट पर उनकी प्रतीक्षा में खड़े लोग शंख, घंटा व पारम्परिक वाद्ययंत्र बजा रहे थे। सबसे पहले स्वामी जी घाट के किनारे स्थित ललिता गौरी मंदिर व काशी देवी में दर्शन-पूजन किए। उसके बाद पशुपतेश्वर मंदिर में पूजन किए। फिर शुरू हुई धरोहर बचाने के लिए गली में पदयात्रा। धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, जान देंगे मकान नहीं, साथियों साथ दो, अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे आदि नारे लग रहे थे।

व्यासजी की मकान भी ध्वस्त कर दी गई है

उल्लेखनीय है कि विश्वनाथ मंदिर काॅरिडोर व गंगा पाथ-वे बनाने की योजना के तहत विश्वनाथ मंदिर के पास कई मकानों व मंदिरों को पिछले दिनों बुलडोजर से ध्वस्थ कर दिया गया था। जिसमें गणेशजी व भारत माता मंदिर भी शामिल है। व्यासजी की मकान भी ध्वस्त कर दी गई है। व्यास जी शंकराचार्य से शास्त्रार्थ करने वाले प्रसिद्ध विद्वान मंडन मिश्र के वंशज हैं।

kash

पक्कामहाल की गलियों में लगभग 2-3 घंटे की पदयात्रा के बाद स्वामी जी उस स्थल पर पहुंच गए, जहां मंदिर व भवन को पिछले दिनों प्रशासन ने पुलिस की उपस्थिति में ध्वस्त कर दिया था। क्षेत्रीय नागरिकों ने विरोध किया, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। जनप्रतिनिधि भी मौन रहे। उल्लेखनीय है कि कैंट दक्षिणी से चुने गए भाजपा विधायक नीलकंठ तिवारी यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री भी हैं।

also read :  यू-ट्यूब मुख्यालय में गोलीबारी, 4 घायल, महिला शूटर की मौत

जहां गणेशजी का मंदिर ध्वस्त किया गया है, वहां पहुंच कर स्वामीजी इतने भावविह्वल हो गए कि वहीं मलवे पर वो शाष्टांग लेट गए। यह दृश्य देखकर वहां खड़े लोग अवाक रह गए। कुछ देर तक स्वामी जी जमीन पर ही लेटे रहे। फिर उठे ! और धरती मां को प्रणाम किए, जहां मंदिर का मलवा बिखरा था।

प्रशासन के सभी आदेश ध्वस्त हो गए

इस स्थल पर पुलिस का कड़ा पहरा है। किसी को वहां जाने नहीं दिया जाता है। फोटो खींचना भी प्रतिबंधित है। लेकिन स्वामी जी के उस स्थल पर पहुंचते ही प्रशासन के सभी आदेश ध्वस्त हो गए। पदयात्रा के दौरान स्वामीजी क्षेत्रीय नागरिकों से भी सलाह-मशविरा करते रहे। कुछ विदेशी पर्यटक भी जुलूस में शामिल हो गए थे। लम्बे समय बाद पक्कामहाल के लोग गली में जुलूस देखे।

shivnagri

गली काफी पतली थी। इसके बावजूद आने-जाने वाले लोगों को जुलूस में शामिल लोग जाने का रास्ता दे देते थे। पदयात्रा के दौरान स्वामी जी लगभग 25 – 30 मंदिरों में दर्शन-पूजन किए। और शंख, घंटा व नगाड़े बजते रहे। नीलकंठ मंदिर में पहुंच कर स्वामी जी क्षेत्रीय नागरिकों को सम्बोधित किए।

मंदिरों व मकानों को ध्वस्त करने की निंदा की

स्वामी जी ने कहा कि पक्कामहाल क्षेत्र के मंदिर व मकानों को ध्वस्त किए जाने के सम्बन्ध में लोग मुझे जानकारी दे रहे थे। इसलिए वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए मैने पदयात्रा की है। उन्होंने शासन की कार्रवाई की तीखी आलोचना करते हुए मंदिरों व मकानों को ध्वस्त करने की निंदा की। कहा यह धर्म विरूध कार्य है। मंदिर बनवाने के नाम पर भाजपा सत्ता में आई और अब मंदिर ही तोड़े जा रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रीय लोगों से बातचीत करके आन्दोलन की रूपरेखा तैयार करने की अपील की।

कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि प्रदेश में एक योगी की सरकार है और मंदिर तोड़े जा रहे हैं। मठ, मंदिर और आश्रम को न तो बेचा जा सकता है और न ही कोई खरीद सकता है। लोगों की इच्छा के विपरित उनकी मकानें भी नहीं खरीदी जा सकती हैं। जुलूस व पदयात्रा में धरोहर बचाओ संघर्ष समिति के राजेन्द्र तिवारी, संजीव सिंह, किशन दीक्षित, राजनाथ तिवारी, डाॅ. आनन्द प्रकाश तिवारी, एके लारी, अमृत कुमार आदि शामिल थे और व्यवस्था में भी लगे रहे।

SURENDRA

सुरेश प्रताप, वरिष्ठ पत्रकार

अनेक साधु-संत भी पदयात्रा में शामिल थे। उल्लेखनीय है कि पक्कामहाल की 167 मकानें विश्वनाथ काॅरिडोर व गंगा पाथ-वे बनाने के लिए प्रशासन लेना चाहता है। जिसमें से कुछ मकानें खरीदी जा चुकी हैं। और कुछ मकानों को खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। यही कारण है कि क्षेत्रीय नागरिक इसके विरोध में गोलबंद हो रहे हैं। आन्दोलन भी चल रहा है। उनका कहना है कि बनारस की गलियां यहां की संस्कृति की पहचान हैं। इसे नष्ट मत करो विदेशी सैलानी भी इन गलियों को देखने के लिए ही आते है। बनारस को बनारस ही रहने दो।
  

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More