जेटली पलटवारः  2011 में भी हुआ था ऐसा, अतीत को करें याद

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संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को साफ तौर पर कहा कि यह सत्र जरूर होगा और सरकार जल्द ही इसकी तिथि की घोषणा करेगी।
पुननिर्धारित करने का काम पहले भी हुआ है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में अगले माह होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते कथित तौर पर अब तक सत्र आहूत नहीं किए जाने के विपक्ष के आरोपों के बीच जेटली ने कहा कि चुनाव के चलते संसद के सत्र को पुननिर्धारित करने का काम पहले भी हुआ है। स्वयं कांग्रेस भी अपनी सरकार के दौरान ऐसा किया है। ऐसा 2011 में भी किया गया था।
यह चुनाव के कार्यक्रम के साथ न टकरा जाए
उन्होंने बाद में अहमदाबाद में पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस की ओर से दिल्ली में कहा गया कि एनडीए की सरकार संसद सत्र से भाग रही है। पर कांग्रेस नेतृत्व को इतना ज्ञान होना चाहिए कि कांग्रेस शासन में भी जब जब चुनाव होते थे तो भी संसद के शीतकालीन सत्र की तिथि को इस तरह से व्यवस्थित किया जाता था कि यह चुनाव के कार्यक्रम के साथ न टकरा जाए। चुनाव में राजनीतिक नेतृत्व अपने मूल दायित्व के तहत जनता के बीच रहता है। चुनाव के चलते शीतकालीन सत्र को टालने के कई उदाहरण है।
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यह इस बार निश्चित तौर पर होगा और कुछ ही दिन में सरकार उसकी तारीख घोषित करेगी। संसद के सत्र में विपक्ष जो भी चाहेगा उस विषय पर चर्चा भी होगी। इससे पहले उन्होंने राजकोट में कहा कि कांग्रेस नीत यूपीए की 2004 से 2014 तक की सरकार सबसे भ्रष्ट सरकार थी जबकि मोदी सरकार अब तक की सबसे ईमानदार सरकार है। कांग्रेस जबरदस्ती इस सच को झूठ में नहीं बदल सकती। गुजरात के चुनाव प्रभारी के तौर पर यहां मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नामांकन के मौके पर उपस्थिति के लिए राजकोट आए जेटली ने कहा कि भाजपा अच्छी-खासी सीटें जीत कर एक बार फिर विजयी रहेगी।
रणनीति को समाज को बांटने की तरफ मोड़ दिया है
अरुण जेटली ने दावा किया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गुजरात में बढ़-चढ़ कर चुनाव प्रचार करने का नतीजा वैसा ही होगा जैसा उत्तर प्रदेश में हुआ था।गुजरात चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी जेटली ने कहा कि विकास के विरोध के साथ गुजरात में प्रचार अभियान की शुरुआत करने वाली कांग्रेस ने अब अपनी रणनीति को समाज को बांटने की तरफ मोड़ दिया है।
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जबकि भाजपा ने विकास को ही अपना एजेंडा बनाया है। गुजरात की जनता ने सामाजिक विभाजन के प्रयास को 1980 के दशक में भी खारिज कर दिया था। भाजपा विकास और स्थिरता का प्रतीक है जबकि दूसरी ओर कांग्रेस जैसी ताकतों के साथ जुड़ रहीं है उनकी शुरुआत और अंत अराजकता ही है।  कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी को गलत तरीके से लागू करने की वजह से लोगों में काफी नाराजगी है।
मंत्रियों के हितों के टकराव और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएगी
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार समझती है कि संसद को बंद कर वह मुद्दों को उठाने को मौका नहीं देगी। तो सरकार की राय गलत है। कांग्रेस लोगों के बीच मंत्रियों के हितों के टकराव और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार देश के सामने मौजूद सवालों से बचने के लिए गुजरात चुनाव का बहाना कर शीतकालीन सत्र टाल रही है। पर प्रधानमंत्री को यह समझना चाहिए कि वह गलती कर रहे हैं।’
सका असर गुजरात चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है
सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों से नहीं बच सकती। सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार जानती है कि संसद में भ्रष्टाचार, रक्षा सौदे में गड़बड़ी जैसे मुद्दों पर सवाल पूछे जाएंगे। गुजरात चुनाव से पहले सरकार इन मुद्दों से बचना चाहती है। इसलिए वह संसद के शीतकालीन सत्र को टाल रही है। संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाए जाने को लेकर कांग्रेस सभी विपक्षी दलों के संपर्क में हैं। सभी दलों से चर्चा के बाद इस मुद्दे पर पार्टी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गुहार लगा सकती है। इसके साथ अदालत का विकल्प भी खुला है।राष्ट्रपति से गुहार लगाने के साथ कांग्रेस इस मुद्दे को लोगों के बीच भी उठाएगी। लोगों को बताएगी कि गुजरात चुनाव के मद्देनजर सरकार संसद सत्र नहीं बुला रही है। क्योंकि, इसका असर गुजरात चुनाव के नतीजों पर पड़ सकता है।
साभार – हिंदुस्तान
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