Article 370 : धारा 370 हटाने का निर्णय वैध या अवैध ? आज आएगा सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

जानें 4 साल, 4 महीने, 6 दिन में कितना बदला कश्मीर ..

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Article 370 : केन्द्र शासितप्रदेश के दर्जे वाले राज्य जम्मू कश्मीर से धारा 370 के निरस्त करने की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सुनाने जा रहा है. साल 2019 में संसद ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने का फैसला किया था, इसके साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट कर दोनों राज्यों को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था.

इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई थी , सभी अर्जियों को सुनने के बाद सितंबर में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज फैसले की घड़ी आ गई है. यानी आज पूरे 4 साल 4 महीने, 6 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला करेंगा की केन्द्र सरकार द्वारा धारा 370 को हटाने का फैसला सही था या गलत. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ, जो पांच जजों से मिलकर बनी है, सुनाएगी. शीर्ष अदालत के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत हैं.

Article 370 के खिलाफ याचिकाकर्ताओं का तर्क

स्थायी प्रावधानों में से एक था अनुच्छेद 370:
अनुच्छेद 370 को बदलने के लिए संविधान सभा की सिफारिश की जरूरत थी, इसलिए यह स्थायी रहा. हालांकि, 1957 में संविधान सभा ने काम करना बंद कर दिया.

केन्द्र ने संविधान सभा की अदा की भूमिका:
संविधान सभा की अनुपस्थिति में केंद्र ने अप्रत्यक्ष रूप से संविधान सभा की भूमिका अदा की और राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से शक्तियों का प्रयोग किया.

राज्य सरकार से नहीं ली गयी सहमति :
जम्मू-कश्मीर के संविधान में किसी भी कानून को बदलते समय राज्य सरकार की सहमति लेनी चाहिए थी, यह ध्यान में रखते हुए कि अनुच्छेद 370 को हटाने के समय जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन और राज्य सरकार की सहमति नहीं थी.

राज्यपाल का भूमिका :
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि राज्यपाल विधान सभा को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना भंग नहीं कर सकते थे।याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अंतिम उपाय उचित नहीं था और केंद्र की कार्रवाई संवैधानिक रूप से अनुचित थी।

केन्द्र सरकार का तर्क

कानून का नहीं हुआ उल्लंघन:
केंद्र ने कहा कि संविधान में निर्धारित सही प्रक्रिया का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और केंद्र को राष्ट्रपति को आदेश देने का अधिकार था. इसके आगे केंद्र ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया में कोई “संवैधानिक धोखाधड़ी” नहीं हुई.

संविधान के तहत राष्ट्रपति के पास होता है अधिकार:
केंद्र ने तर्क दिया कि दो अलग-अलग संवैधानिक अंग – राष्ट्रपति, राज्य सरकार की सहमति से – जम्मू-कश्मीर के संबंध में संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन करने की शक्ति रखते हैं.

अनुच्छेद 370 का “विनाशकारी असर” हो सकता था:
केंद्र ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने से “विनाशकारी प्रभाव” हो सकता था. केंद्र ने कहा कि पूर्ण एकीकरण के लिए विलय आवश्यक था, अन्यथा स्थान पर एक प्रकार की “आंतरिक संप्रभुता” होगी. केंद्र ने कहा कि अनुच्छेद 370 संविधान में केवल एक अस्थायी प्रावधान था, न कि एक स्थायी अनुच्छेद.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील: कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन,दुष्यन्त दवे, गोपाल शंकरनारायणन, जफर शाह.

केंद्र की तरफ से इन वकीलों ने रखा पक्ष: अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमण, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी और वी गिरी.

आपको बता दें कि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सरकार की शानदार जीत के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए, जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाले सभी विशेषाधिकारों को हटा दिया गया था. सरकार का दावा है कि, जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. फिर भी, आज यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या केंद्र का निर्णय संवैधानिक रूप से वैध था या नहीं ? इसके साथ ही आइए जानते है Article 370 के हटने से 5 अगस्त 2019 से अब तक कितना बदला जम्मू कश्मीर ?

1. संपत्ति के अधिकार मे बदलाव

2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में विशेष दर्जा के चलते बाहर के लोगों को जमीन खरीदने की अनुमति नहीं थी. अनुच्छेद 35ए ने ऐसी खरीददारी को सिर्फ “स्थायी निवासियों” तक सीमित किया, विशेष दर्जा खत्म होने के बाद, केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम में संशोधन किया और एक अधिसूचना जारी करके शब्द “स्थायी निवासी” को हटा दिया, अब बाहरी लोग जम्मू-कश्मीर में कृषि योग्य जमीन खरीद सकते हैं.

2. रणबीर दंड संहिता हुई निरस्त

विशेष दर्जे के तहत जम्मू और कश्मीर को एक संविधान और झंडा था, यह निर्धारित करता था कि जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान का कौन सा भाग लागू होगा. इसे रणबीर दंड संहिता कहा जाता था. लेकिन विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद सरकारी कार्यालयों में अब सिर्फ राष्ट्रीय ध्वज और भारतीय तिरंगा फहराया जाता है, जम्मू-कश्मीर राज्य का झंडा हटा दिया गया.

3. महिलाओं को मिली समानता

अगस्त 2019 से पहले, जम्मू-कश्मीर की महिलाओं को गैर-स्थानीय व्यक्ति से शादी करने पर संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं था, उनके पतियों को जम्मू-कश्मीर का निवासी नहीं माना जाता था और उन्हें विरासत में संपत्ति खरीदने की भी अनुमति नहीं थी. अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार, महिलाओं के जीवनसाथी को गैर-स्थानीय होने पर भी अधिवास का दर्जा मिलता है. वे अब संपत्ति खरीद सकते हैं और सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं.

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4. आतंकी घटनाओं में आयी कमी

अनुच्छेद 370 को हटाने के तीन साल बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक चित्र जारी किया था. इसमें पुलिस ने 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 और 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच हुई आतंकी घटनाओं, शहीद हुए सैनिकों और आम लोगों की संख्या की तुलना की गयी थी. इसके अनुसार, 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 930 आतंकी घटनाएं हुईं, जिसमें 290 युवा और 191 आम लोग मारे गए. वहीं, 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान और 110 आम लोग मारे गए. 2021, 2022 और 2023 में कश्मीर में पर्यटकों की बहुतायत आई है. इतना ही नहीं, विश्वविद्यालयों और बाकी शैक्षणिक संस्थानों में ताले नजर नहीं आते है.

5.युवाओं को मिला रोजगार

गृह मंत्रालय ने पिछले साल राज्यसभा को बताया था कि, 2019 से जून 2022 तक जम्मू-कश्मीर में 29,806 लोगों को सरकारी सेवा में रखा गया था. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में भी कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, सरकार का अनुमान है कि स्व-रोजगार कार्यक्रमों से 5.2 लाख लोगों को काम मिलेगा. जम्मू कश्मीर में दो अस्पतालों को खोलने की अनुमति दी गई है. जम्मू में एक एम्स होगा और कश्मीर में दूसरा 2015 में प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत करीब 80 हजार करोड़ रुपये के 20 से अधिक परियोजनाएं पूरी हो गईं. विभिन्न परियोजनाओं पर काम जारी है.

6. निवेश – कारोबार में हुई बढौतरी

जम्मू-कश्मीर में विश्व निवेश सम्मेलन भी हुआ था, इस समिट में 13,732 करोड़ रुपये के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2022 में कहा कि, आजादी के बाद सात दशकों में निजी निवेशकों ने 17 हजार रुपये का निवेश किया था, जबकि अगस्त 2019 से अब तक 38 हजार रुपये का निवेश हुआ है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि, प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत 53 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनका बजट 58,477 करोड़ रुपये है. विभिन्न क्षेत्रों (रोड, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, कृषि और स्किल डेवलपमेंट) में ये परियोजनाएं शुरू हुई हैं.

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