BJP नेता : बाबर भक्त और खिलजी के रिश्तेदार हैं राहुल
गुजरात चुनाव के इतर राम मंदिर मुद्दा एक बार फिर सियासत को गर्मा रहा है। नेताओं की बयानबाजी भी लगातार जारी है। बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने बुधवार सुबह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला और उन्हें ‘बाबर भक्त-खिलजी का रिश्तेदार’ बता डाला।
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जीवीएल ने ट्वीट किया, ”अयोध्या में राम मंदिर का विरोध करने के लिए राहुल गांधी ने ओवैसिस, जिलानिस से हाथ मिला लिया है। राहुल गांधी निश्चित रूप से एक “बाबर भक्त” और “खिलजी के रिश्तेदार” हैं। बाबर ने राम मंदिर को नष्ट कर दिया और खिलजी ने सोमनाथ को लूट लिया। नेहरू वंश दोनों इस्लामी आक्रमणकारियों के पक्ष में। बता दें कि अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 8 फरवरी तक टल गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि सुनवाई 2019 तक टाल दी जाए। जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर बीजेपी ने सीधा कांग्रेस पर हमला बोल रही है।
शाह ने भी पूछा था सवाल
इस मुद्दे पर मंगलवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सीधे राहुल गांधी से सवाल दागा था। उन्होंने पूछा कि राम मंदिर को लेकर आपकी पार्टी और आपका क्या स्टैंड है? राम मंदिर के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अमित शाह ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि जल्द से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो और फैसला आए। जिससे अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन सके, जो कि देश की आस्था से जुड़ा हुआ है।
मंदिर-मंदिर राहुल तो विरोध क्यों?
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि आखिरकार राम मंदिर मामले की सुनवाई रोकने से क्या हासिल होने वाला है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केस की सुनवाई को लेकर कांग्रेस पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी गुजरात में मंदिर जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ राम जन्मभूमि केस पर सुनवाई को टालने के लिए कपिल सिब्बल का उपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
क्या थी सिब्बल की दलील?
बता दें कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट को देश में गलत संदेश नहीं भेजना चाहिए, बल्कि एक बड़ी बेंच के साथ मामले की सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के 2014 के घोषणापत्र में शामिल है, कोर्ट को बीजेपी के जाल में नहीं फंसना चाहिए।
(साभार – आजतक)