लावारिस महिला का अंतिम संस्कार करके डीएम बने हीरो
कहते हैं जिसका कोई नहीं होता, ऊपर वाला उसका सहारा बनाता है। उस वृद्ध महिला जिसे लोग ‘अम्मा’ कहते थे, उसका भी कोई नहीं था, लावारिस थी लेकिन फिर भगवान ने रूप में फैजाबाद जिले के जिलाधिकारी डॉ़क्टर अनिल कुमार पाठक की मुलाकात हुई और ‘अम्मा’ को सहारा मिल गया।
सड़क पर पड़ी लावारिस महिला का इलाज कराया, लेकिन लाख कोशिशों को बाद भी वो उस वृद्ध महिला को बचा नहीं सकें। फैजाबाद के जिलाधिकारी ने बेटे का फर्ज निभाया और एक लावारिस वृद्ध महिला का किया अंतिम संस्कार कर मानवता की मिशाल पेश की।
लोगों ने जिलाधिकारी को खूब तारीफ की
जानकारी के मुताबिक, जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार पाठक ने करीब एक महीने पहले सड़क दुर्घटना में घायल वृद्धा का न सिर्फ इलाज करवाया बल्कि एक महिला की मृ्त्यु के बाद एक सगे बेटे की तरह विधि विधान से महिला का अंतिम संस्कार भी करवाया। इस बात को लेकर लोगों ने जिलाधिकारी को खूब तारीफ की।
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लखनऊ-फैजाबाद राजमार्ग पर गोड़वा के पास एक लावारिस वृद्ध महिला जख्मी हालत में सड़क के किनारे पड़ी थी। उसी रास्ते से गुजर रहे जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक की नजर वृद्धा पर पड़ी। ये देख जिलाधिकारी ने तुरंत गाड़ी रुकवाई और महिला को इलाज के लिए फौरन अपने वाहन से लेकर अस्पताल लेकर निकल पड़ें। अस्पताल वृद्ध महिला का सड़क दुर्घटना में जबड़ा टूट गया था और पैर फैक्चर हुआ था।
श्मशान पर वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार किया
इलाज के एक महिने बाद ही वृद्ध महिला का निधन हो गया जिसे जिलाधिकारी ‘अम्मा’ कहकर बुलाते थें। इसके बाद सरकारी प्रक्रिया के तहत 24 घंटे तक मृत महिला के परिजनों का इंतजार किया गया। महिला का शव लेने जब कोई नहीं पहुंचा तो डॉ. अनिल कुमार पाठक ने जमथरा घाट स्थित श्मशान पर वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार किया।
इस दृ्श्य को देख वहां मौजूद लगभग हर किसी के आंखों में आंसू आ गया, इस घटना पर खुद जिलाधिकारी की आंखे भी नम थी। जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक ने उन तमाम अधिकारियों तथा आम जनों के लिए एक मिसाल कायम किया है जो अपने मां बाप को बोझ समझते हैं।साभार
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