अमजद खान को ऐसे मिला था गब्बर का रोल, लोग समझने लगे थे सचमुच का डाकू
बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अमजद खान को उनके नाम से नहीं बल्कि उनके काम से पहचान मिली। 1975 में रिलीज हुई डॉयरेक्टर रमेश सिप्पी की शोले का ‘गब्बर सिंह’ जिसे फिल्म के हीरो-हीरोइन से कम प्यार नहीं मिला।
इस रोल को अमजद खान ने बखूबी निभाया था। खौफनाक आंखे, डरावनी हंसी और खूंखार कारनामे, अमजद खान ने इस रोल को निभाकर सबके दिलों में अपनी एक अलग जगह बना ली थी। ये वो विलेन था किसी हीरो से कम नहीं था।
51 साल में दुनिया को कहा अलविदा-
आज अमजद खान की पुण्यतिथि है। साल 1992 में हार्ट फेल होने के कारण एक महान सितारा और खलनायक इस दुनिया को अलविदा कहा गया। उस वक्त उनकी उम्र केवल 51 साल थी। अमजद खान का जन्म 12 नवंबर 1940 को पेशावर में हुआ था।
गब्बर के लिए पहली पसंद थे ये एक्टर-
जिस रोल के लिए अमजद खान जाने जाते है, वह उसकी पहली पंसद नहीं थे। सबसे पहले अभिनेता डैनी को गब्बर का रोल ऑफर हुआ था। उस वक्त डैनी ने अफगानिस्तान में फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग शुरू कर दी थी और शोले छोड़ दी।
इसके बाद गब्बर का रोल अमजद खान को मिला। सलीम खान ने जावेद अख्तर को अमजद खान का नाम सुझाया था। जावेद अख्तर ने अमजद खान को कई साल पहले दिल्ली में नाटक करते हुए देखा था।
आज भी यादगार हैं गब्बर सिंह के ये डायलॉग-
बॉलीवुड का खूंखार विलेन की छवि रखने वाले अमजद खान आज अगर अमजद खान जिंदा होते तो 77 साल के होते। लेकिन उनका फेमस डायलॉग ‘ये हाथ हमको दे दे ठाकुर’ और ‘यहां से पचास-पचास कोस दूर जब बच्चा रात को रोता है तो मां कहती है सो जा बेटे नहीं तो गब्बर आ जाएगा’ आज भी उनके फैंस की जुबान पर है।
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