21 मार्च 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि एयरोस्पेस कंपनी बोइंग को अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान यानी 6वीं पीढ़ी का Fighter Jet F-47 (एयर सुपीरियरिटी फाइटर) को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला है. यह विमान अमेरिकी वायुसेना के लिए Next Generation Air Dominance (NGAD) प्रोग्राम के तहत विकसित किया गया है.व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने इसे “अब तक का सबसे उन्नत, शक्तिशाली और घातक लड़ाकू विमान” बताया. USAF अधिकारियों ने पुष्टि की कि इसके प्रायोगिक परीक्षण 2020 से चल रहे थे और इसे दशक के अंत तक पूरी तरह ऑपरेशनल बनाने की है. इसके बाद अमेरिका पहला ऐसा देश होगा जिसके पास 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट होगा.
राष्ट्रपति ट्रंप ने इस ऐतिहासिक फैसले पर कहा, “दुनिया में इसके जैसी कोई चीज नहीं होगी”. यह अब आधिकारिक तौर पर F-47 के नाम से जाना जाएगा, जिसे हमारे जनरलों ने चुना है.”
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चीन के साथ संभावित सैन्य टकराव की आशंका बढ़ रही है. चीन के J-20 ‘माइटी ड्रैगन’ और रूस के Su-57 ‘फेलन’ जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों, विशेष रूप से चीन द्वारा विकसित किए जा रहे छठी पीढ़ी के विमानों को ध्यान में रखते हुए अमेरिका इस नए जेट के जरिए अपनी वायु शक्ति बनाए रखना चाहता है. इससे अमेरिका की वायु युद्ध रणनीति में बड़ा बदलाव आएगा.
तकनीकी विशेषताएं
अमेरिकी वायुसेना ने अभी तक Fighter Jet F-47 की युद्धक क्षमताओं, स्टील्थ फीचर्स और संभावित तैनाती स्थलों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. इसकी तकनीकी विशेषताएं अभी गोपनीय हैं, लेकिन सैन्य अधिकारियों ने संकेत दिया कि F-47 Collaborative Combat Aircraft (CCA), मानव रहित ड्रोन (Ability to Coordinate with Drone Swarms) के साथ मिलकर ऑपरेट करेगा.
- F-47 में F-22 और F-35 की तुलना में अधिक रेंज (Long Range), उन्नत स्टील्थ (Advanced Stealth Capabilities) और बेहतर उपलब्धता होगी.
- यह भविष्य के खतरों के लिए अधिक अनुकूलनीय होगा.
- इसे तैनात करने में कम जनशक्ति और बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी.
F-22 रैप्टर की जगह लेगा F-47
fighter Jet F-47, Lockheed Martin के F-22 रैप्टर की जगह लेने के लिए डिजाइन किया गया है, जो 2005 से अमेरिकी वायुसेना की रीढ़ रहा है. इसकी लागत $300 मिलियन प्रति यूनिट बताई जा रही है, जो F-22 ($150 मिलियन) और F-35 ($80-100 मिलियन) से काफी अधिक है.

अमेरिकी वायु सेना ने F-22 रैप्टर को “फर्स्ट-शॉट, फर्स्ट-किल” क्षमता वाले एयर सुपरियोरिटी फाइटर के रूप में विकसित किया था. यह पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है, जिसे लॉकहीड मार्टिन ने डिजाइन किया और बोइंग ने इसका निर्माण किया.
मुख्य विशेषताएं:
- अत्यधिक गतिशीलता और स्टील्थ क्षमताएं
- ध्वनि की गति से दोगुना तेज उड़ान (लगभग 1,530 मील प्रति घंटे या 2,460 किमी/घंटा)
- पहला हवाई युद्ध में वध (एयर-टू-एयर किल) 4 फरवरी 2023 को, जब इसने उत्तरी कैरोलिना के तट पर एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया.
- F-22 केवल अमेरिकी वायु सेना के पास है और यह किसी अन्य देश को निर्यात नहीं किया गया है.
बोइंग को मिली बड़ी जीत
दुनिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग ने लॉकहीड मार्टिन को पीछे छोड़ दिया, जो पहले से F-22 और F-35 का निर्माता है. बोइंग की यह सफलता उसके F/A-18 सुपर हॉर्नेट और अन्य गुप्त सैन्य परियोजनाओं के अनुभव के कारण संभव हुई.
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी वायु सेना ने बोइंग को 20 अरब डॉलर (लगभग ₹1.66 लाख करोड़) के प्रारंभिक अनुबंध से उत्पादन शुरू करने की अनुमति दी है.
इस घोँषणा के बाद बोइंग के शेयर की कीमत 7% बढ़ गई, जबकि लॉकहीड मार्टिन के शेयर 5.7% गिर गए.
Defense One की एक रिपोर्ट के अनुसार, बोइंग ने पिछले कुछ वर्षों में अपने रक्षा व्यवसाय में महत्वपूर्ण निवेश किया है, और NGAD व अन्य अगली पीढ़ी की परियोजनाओं में सफलता प्राप्त करने की उम्मीद में यह सबसे बड़ा दांव है. बोइंग के रक्षा इकाई के अंतरिम सीईओ स्टीव पार्कर ने कहा कि “यह हमारे रक्षा व्यवसाय के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण निवेश है”.
बाइडन सरकार में रुका था प्रोजेक्ट
बाइडन प्रशासन के दौरान, मई 2024 में अमेरिकी वायु सेना के सचिव फ्रैंक केंडल ने NGAD प्रोजेक्ट को अस्थायी रूप से रोक दिया था, क्योंकि इसकी अनुमानित लागत अत्यधिक बढ़ गई थी. इसकी लागत Lockheed Martin F-35 Lightning II की तुलना में तीन गुना अधिक हो गई थी. इस रोक के पीछे एक और कारण यह था कि विमानन और मौजूदा वायु रक्षा प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रहे बदलावों को ध्यान में रखते हुए इसके डिजाइन में बदलाव की समीक्षा किया जा सके. इसके बाद हाल ही में इस प्रोजेक्ट पर किए गए अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि भविष्य में वायु सेना की श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए NGAD आवश्यक है.
अमेरिकी वायु सेना के मेजर जनरल जोसेफ कुनकेल ने कोलोराडो में एक सम्मेलन के दौरान कहा, “हमने कई विकल्प आजमाए, लेकिन इस चुनौतीपूर्ण माहौल में वायु सेना की सर्वोच्चता बनाए रखने के लिए NGAD से बेहतर कोई विकल्प नहीं है,”
“F” से क्यों शुरू होता है अमेरिकी फाइटर जेट्स का नाम?
लेफ्टिनेंट कमांडर थॉमस जे. कटलर, यू.एस. नेवी (सेवानिवृत्त) के अनुसार, अमेरिकी लड़ाकू विमानों (Fighter Jets) के नाम हमेशा “F” अक्षर से शुरू होते हैं, क्योंकि अमेरिका में सभी सैन्य विमानों की नामकरण प्रणाली “मिशन डिज़ाइन सीरीज (Mission Design Series-MDS) पर आधारित होती है. यह प्रणाली 1962 में अपनाई गई थी और इसका उद्देश्य सभी अमेरिकी सैन्य शाखाओं (एयरफोर्स, नेवी, मरीन कॉर्प्स) में विमानों की नामकरण प्रक्रिया को मानकीकृत करना था.
“F” अक्षर का अर्थ और उपयोग
“F” अक्षर विशेष रूप से Fighter (लड़ाकू) विमानों के लिए आरक्षित है. हर विमान का नाम उसके प्राथमिक मिशन + डिज़ाइन नंबर पर आधारित होता है, जिससे उसकी पहचान आसान होती है. इसके लिए प्रत्येक विमान को एक “बेसिक मिशन लेटर” दिया जाता है, जो यह दर्शाता है कि वह विमान मुख्य रूप से किस उद्देश्य के लिए बनाया गया है.
अमेरिकी सैन्य नामकरण प्रणाली में “F” का अर्थ Fighter (लड़ाकू विमान) होता है. चूंकि लड़ाकू विमान (Fighter Jets) का प्राथमिक उद्देश्य हवाई युद्ध करना होता है, इसलिए इनका नाम हमेशा “F” अक्षर से शुरू होता है.
उदाहरण के लिए: F-16 Fighting Falcon, F-22 Raptor, F-35 Lightning II
नामकरण का पूरा ढांचा
अमेरिकी सैन्य विमानों के नाम तीन भागों से मिलकर बनते हैं:
1. स्टेटस प्रीफिक्स (Status Prefix) (अगर हो तो) – यह विमान की विशेष स्थिति को दर्शाता है (जैसे Y = Prototype, X = Experimental).
2. मिशन लेटर (Mission Letter) – यह विमान के प्राथमिक मिशन को दर्शाता है (जैसे “F” = Fighter, “B” = Bomber).
3. डिज़ाइन नंबर (Design Number) – यह विमान के डिज़ाइन नंबर को दर्शाता है (जैसे F-16 में “16” डिज़ाइन नंबर है).
4. सीरीज़ लेटर (Series Letter) (अगर हो तो) – यह दर्शाता है कि उस विमान के कितने वेरिएंट बनाए गए हैं (जैसे F-16A, F-16C आदि).
For example:
• F-16
“F” = Fighter (लड़ाकू विमान)
“16” = डिज़ाइन नंबर 16
• F-22 Raptor
“F” = Fighter
“22” = डिज़ाइन नंबर 22
• F-35 Lightning II
“F” = Fighter
“35” = डिज़ाइन नंबर 35
संशोधित मिशन वाले विमान (Modified Mission)
कुछ मामलों में, संशोधित मिशन के कारण विमान का नाम बदल दिया जाता है.
• A-6 Intruder (हमला विमान) को EA-6 Prowler में बदल दिया गया, जब इसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए संशोधित किया गया.
• कुछ लड़ाकू विमानों में “F” के साथ अन्य अक्षर भी जोड़े जाते हैं, जिससे उनके विशेष मिशन दर्शाए जाते हैं.
F/A-18 Hornet
“F” = Fighter
“A” = Attack (यानी यह विमान लड़ाकू होने के साथ-साथ ग्राउंड अटैक भी कर सकता है).
EA-18G Growler
“E” = Electronic Warfare (इलेक्ट्रॉनिक युद्ध)
“A” = Attack
1962 से लागू यह Tri-Service Aircraft Designation System अमेरिकी सैन्य विमानों को एक संगठित और तार्किक नामकरण प्रणाली प्रदान करता है.
अब सवाल ये कि 47 क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि F-47 का नाम “Generals” ने चुना. बाद में अमेरिकी वायु सेना ने पुष्टि की कि यह नाम ट्रंप को सम्मान देने के लिए रखा गया, लेकिन इसके पीछे अन्य ऐतिहासिक कारण भी बताए:
1. P-47 थंडरबोल्ट को सम्मान देने के लिए, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
2. 18 सितंबर, 1947 में अमेरिकी वायु सेना की स्थापना को चिह्नित करने के लिए.
3. 47वें राष्ट्रपति (ट्रंप) के नेतृत्व में इस विमान के विकास को समर्थन देने के लिए.
अन्य देशों के संभावित 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट
हालांकि अमेरिका के अलावा अन्य देश भी 6वीं पीढ़ी के फाइटर जेट बना रहे है, लेकिन अन्य देशों की परियोजनाएं 2035 या उसके बाद पूरी होने की संभावना है. जैसे- यूरोप, चीन, जापान 2035 तक वहीं रूस मिग-41(PAK DP) का पहला उड़ान परीक्षण 2025 तक होने की संभावना है, और इसे 2030 के दशक की शुरुआत में सेवा में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि इस परियोजना में देरी हो सकती है, जिससे निर्धारित समयसीमा प्रभावित हो सकती है. जबकि अमेरिका पहले ही अपने NGAD प्रोटोटाइप का परीक्षण कर चुका है और 2030 तक F-47 को ऑपरेशनल करेगा.
- चेंगदू J-36 (चीन का संभावित 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट)
- शेनयांग J-50 (चीन का संभावित 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट)
- मिकोयान PAK DP/ MiG41: यह मिकोयान मिग-31 कि जगह लेगा. (रूस का संभावित 6वीं पीढ़ी का फाइटर जेट)
- ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) (ब्रिटेन, इटली और जापान द्वारा विकसित हो रहा फाइटर जेट प्रोग्राम)
- फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम (FCAS) (फ्रांस, जर्मनी और स्पेन द्वारा विकसित हो रहा फाइटर जेट प्रोग्राम)
अन्य देशों के प्रमुख लड़ाकू विमान
1. रूससुखोई Su-57: Su-57 एक पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है जिसमें सुपीरियर एरोबैटिक्स, उन्नत एवियोनिक्स और मल्टी-रोल क्षमताएं हैं.
2. चीन
चेंगदू J-20: J-20 एक पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान है जिसमें लंबी दूरी, उच्च गति और उन्नत स्टील्थ क्षमताएं हैं.
3. यूरोप
डसॉल्ट राफेल: डसॉल्ट राफेल एक चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है जिसमें उन्नत एवियोनिक्स, हथियार प्रणालियां और सुपीरियर एरोबैटिक्स हैं.
4. भारत
HAL तेजस: तेजस स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (LCA) है, जिसमें आधुनिक एवियोनिक्स और हथियार प्रणालियाँ हैं. यह एक चौथी पीढ़ी (4th Generation) का लड़ाकू विमान है, लेकिन इसमें कुछ विशेषताएं 4.5वीं पीढ़ी (4.5th Generation) के विमानों की भी है.
जैसै: उन्नत एवियोनिक्स और रडार (AESA रडार – Mk1A में), कम अवलोकनीयता (Low Radar Cross Section – RCS), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम.
अमेरिका का F-47 NGAD प्रोजेक्ट भविष्य के युद्ध के लिए अत्याधुनिक लड़ाकू विमान विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इससे पहले के fighter Jet F-22, F-16 और F-15 जैसे 5वीं पीढ़ी के विमान अपनी-अपनी श्रेणियों में बेहद प्रभावशाली रहे हैं, लेकिन अब भविष्य की हवाई श्रेष्ठता के लिए 6वीं पीढ़ी का Fighter Jet F-47 तैयार किया जा रहा है.
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