‘लव जिहाद’ कानून बनाने में जुटी सरकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला…
उत्तर प्रदेश में एक ओर लव जिहाद के खिलाफ सरकार सख्त कानून बनाने की तैयारियों में जुटी है तो वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है।
एक अहम फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे वे समान या विपरीत सेक्स के ही क्यों न हों।
क्या कहा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने-
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला कुशीनगर थाना के सलामत अंसारी और तीन अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया। अदालत ने कहा कि कानून एक बालिग स्त्री या पुरुष को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार देता है।
कोर्ट ने कहा है कि उनके शांतिपूर्ण जीवन में कोई व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यहां तक कि राज्य भी दो बालिग लोगों के संबंध को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता है।
क्या है पूरा मामला-
बता दें कि सलामत और प्रियंका खरवार ने परिवार की मर्जी के खिलाफ 19 अक्टूबर 2019 को मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह शादी की। शादी के बाद प्रियंका खरवार आलिया बन गई। एक साल से वह दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं।
इस मामले में प्रियंका खरवार के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई जिसमें कहा गया कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाया गया है। एफआईआर में आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट लगाया गया है।
जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि प्रियंका खरवार उर्फ आलिया की उम्र का विवाद नहीं है। वह 21 साल की है। ऐसे में पोस्को एक्ट नहीं लागू होता है।
कोर्ट ने कही ये बातें-
इतना ही नहीं कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया को अपने पति के साथ रहने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा प्रियंका खरवार और सलामत को अदालत हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याचियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि ये प्रियंका खरवार की मर्जी है कि वो किससे मिलना चाहती है। हालांकि कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि बेटी परिवार के लिए उचित शिष्टाचार और सम्मान का व्यवहार करेगी।
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