Akshay Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी….
Akshay Tritiya 2024: काशी में शुक्रवार को पूरे आस्था के साथ अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है. इस दौरान श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. विभिन्न घाटों पर स्नान-दान का दौर चला. शुभ मुहूर्त से ही श्रद्धालु गंगा में स्नान करते दिखाई दिए. धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर स्नान-दान से हर पाप की मुक्ति हो जाती है. दोष मिट जाते हैं. पुराणों में इसे दिव्य स्नान की भी मान्यता दी गई है. पुरोहितों के अनुसार, अगर भक्त गंगा स्नान नहीं करने नहीं जा पा रहा है तो गंगाजल की कुछ बूंदे पानी में डालकर भी नहा सकता है. ऐसा करने से भी तीर्थ का लाभ मिलता है. इस दिन भक्तों ने दान पूण्य भी किया.
मणिकर्णिका मां देंगी श्रद्धालुओं को दर्शन
काशी में अक्षय तृतीया पर मां मणिकर्णिका गंगा घाट की गलियों में श्रद्धालुओं को दर्शन देने निकलेंगी. शुक्रवार को मां की प्राचीन मूर्ति महंत आवास से चक्र पुष्करिणी कुंड तक पालकी पर लाई जाएगी. रात भर चक्रपुष्करणी कुंड पर विराजमान मां के दर्शन के लिए श्रद्घालु उमड़ेंगे. कुंड का जल भी मां के पूजन से ऊर्जित होगा. काशी के प्राचीन तीर्थ चक्रपुष्करणी पर अक्षय तृतीया पर रात में मां मणिकर्णिका का वार्षिक शृंगार किया जाएगा. मणिकर्णिका मां की सवारी ब्रह्मनाल स्थित तीर्थ पुरोहित जयेंद्रनाथ दुबे बब्बू महाराज के आवास से निकलेगी. रात में मणिकर्णिका माई की अष्टधातु वाली ढाई फीट ऊंची प्रतिमा तीर्थ कुंड में स्थित 10 फीट ऊंचे पीतल के आसन पर स्थापित की जाएगी. इसके बाद देवी की फूलों औेर नए वस्त्रों से झांकी सजाई जाएगी.
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कुंड से निकली थी मणिकर्णी माता की प्रतिमा
मान्यता है कि मणिकर्णी माई की अष्टधातु की प्रतिमा मणिकर्णिका कुंड से निकली थी. यह प्रतिमा वर्षभर ब्रह्मनाल स्थित मंदिर में विराजमान रहती है. सिर्फ अक्षय तृतीया को पालकी पर सवार होकर दर्शन-पूजन के लिए कुंड पर स्थापित की जाती है. देवी की प्रतिमा को कुंड में स्नान कराया जाता है. इसके बाद सवारी निकलकती है. मान्यता है कि मणिकर्णिका माता के स्नान के बाद तीर्थ कुंड का जल अगले एक वर्ष के लिए सिद्ध हो जाता है और इसी जल में स्नान करने से श्रद्धालुओं के पाप और कष्ट दूर होते हैं.