अच्छा, तो इसलिए कांग्रेस से दूरी बना रही हैं ममता

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क्या पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी की सुप्रीमो ममता बनर्जी खास रणनीति के तहत कांग्रेस से दूरी बना रही हैं? 18 दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम और राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस की कमान संभालने के बाद ममता बनर्जी ने ऐसी रणनीति बनाई है। इसका असर संसद में भी दिख रहा है, जहां टीएमसी कांग्रेस की अगुआई वाली विपक्ष के साथ दिखने से परहेज कर रही है और ‘एकला चलो रे’ की नीति का पालन कर रही है।

अभी पत्ते खोलने के मूड में नहीं

ममता बनर्जी की मंशा है कि 2019 के आम चुनाव से पहले वह अपने पत्ते नहीं खोलेंगी। इस बीच वह कांग्रेस और बीजेपी से समान दूरी बनाकर रखेंगी। राज्य में बीजेपी का विरोध करेंगी और केंद्र में अहम बिल पर बीजेपी को समर्थन भी दे सकती हैं। तीन तलाक बिल पर भी टीएमसी अप्रत्याशित तरीके से पूरे बहस से दूर रही। विपक्षी पार्टी की मीटिंग से भी उनके सांसदों ने दूरी बना रखी है।

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कांग्रेस के साथ भी कुछ इसी तरह की रणनीति रहेगी, जहां वह पूर्व निर्धारित कोई स्टैंड नहीं रखेगी। टीएमसी सूत्रों के अनुसार, 2019 से पहले ममता बनर्जी के सामने किसी गठबंधन के साथ जाने की कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं है। अपने राज्य में वह अब भी मजबूत हैं। ऐसे में ममता किसी एक गठबंधन के साथ जाकर अपनी राजनीतिक कीमत को कम करना नहीं चाहेंगी।

नजर दिल्ली पर भी

इसके अलावा कोलकाता में अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद ममता बनर्जी की नजर दिल्ली पर भी है। नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के बाद विपक्षी गठबंधन में आम चेहरे का अभाव था। राहुल गांधी भी बहुत सक्रिय नहीं थे। लेकिन हाल के दिनों में राहुल की बढ़ती सक्रियता के बाद ममता समानांतर ताकत बनना चाहती हैं, ताकि अगर 2019 में गैर कांग्रेस या गैर बीजेपी किसी चेहरे की जरूरत हो तो वह अपना दावा पेश कर सकतीं हैं। यही कारण है कि भले कांग्रेस से उनकी दूरी हो रही हो, बाकी विपक्षी दलों से वह रिश्ते सुधार रही हैं।

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नवीन पटनायक, शरद पवार के अलावा हाल के दिनों में उन्होंने शिवसेना तक से दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। इसमें ममता का 2019 का गणित भी शामिल है। गुजरात चुनाव परिणाम के तुरंत बाद ममता ने हार्दिक पटेल को बधाई दी और उन्हें अपने राज्य आने का न्योता दिया। वहीं, ममता के बीजेपी के प्रति नरम रुख अपनाने के बाद पार्टी पर टीएमसी नेताओं को अपनी ओर खींचने की आक्रामक चाल को भी रोकना पड़ सकता है। हाल में ममता की सबसे करीबी नेताओं में से एक मुकुल राय ने बीजेपी जॉइन कर ली थी।

कांगेस से रही है नाराजगी

दरअसल, हालिया दिनों में कुछ राजनीतिक घटनाक्रम से भी कांग्रेस की ममता बनर्जी से दूरी बनी है। कांग्रेस ने ममता बनर्जी की बजाय लेफ्ट को ज्यादा तरजीह दी है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में लेफ्ट के साथ कांग्रेस ने गठबंधन किया, जबकि ममता कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को इच्छुक थीं। पश्चिम बंगाल में बड़ी जीत के बाद ममता बनर्जी ने कहा था कि किस तरह वह विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से गठबंधन के लिए दिल्ली में तीन दिनों तक थीं, लेकिन पार्टी के किसी नेता ने बात तक नहीं की। इसके अलावा कई दूसरों मुद्दों पर टीएमसी ने आरोप लगाया कि उन्हें विपक्षी एकता की कोशिशों के दौरान विश्वास में नहीं लिया गया।

(साभार-nbt)

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