उन्नाव कांड में CBI टीम पहुंची माखी, चार घंटे तक छानबीन
भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जेल में दाखिल करने के बाद सीबीआइ टीम बाइक से माखी पहुंची। जहां टीम थाने से लेकर विधायक के आवास तक करीब चार घंटे छानबीन करती रही। इस बीच टीम ने पीडि़त किशोरी के पिता पर मुकदमा दर्ज कराने वाले उसके चचेरे भाई लापता टिंकू की तलाश की, न मिलने पर उसके भाई और दो अन्य युवकों से भी पूछताछ की।
टीम ने एक बाइक ली और दो सदस्य गांव गए
सीबीआइ टीम के गांव पहुंचते ही एक बार फिर सन्नाटा छा गया। लोगों ने टीम के आने की जानकारी पर दरवाजे बंद कर लिए। सीबीआइ टीम शुक्रवार पूर्वाह्न करीब 11.50 बजे माखी थाने पहुंची। जहां से टीम ने एक बाइक ली और दो सदस्य गांव गए। करीब साढ़े बारह बजे थाने से दो अन्य कर्मियों के साथ गांव के एक लड़के को लेकर टीम गांव पहुंची। काफी देर तक युवक से पूछताछ करती रही।
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करीब ढाई घंटे तक सीबीआइ विधायक आवास के पास रही। सीबीआइ के माखी पहुंचने की सूचना जैसे ही ग्रामीणों को मिली तो गांव में सन्नाटा छा गया। विधायक आवास के आसपास वाले घरों में कुंडी लग गई। इधर लापता टिंकू के भाई व दोनों अन्य युवकों को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे सीबीआइ ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। बताते हैं कि करीब चार घंटे की पूछताछ में सीबीआइ को कुछ अहम सुराग मिले हैं।आरोपित विधायक और सह आरोपित शशि सिंह को शुक्रवार को जिला जेल लाए जाने के बाद जेल प्रशासन आरोपों के घेरे में है।
दिल्ली ट्रांसफर करने की सरकार से गुजारिश की है
किशोरी और उसके चाचा ने कहा है कि आज भी जेल में विधायक की हुकूमत चलती है। कर्मचारी के साथ ही विधायक का रिश्तेदार ही जेल का ठेकेदार है। ऐसे में जेल से आरोपित उनका केस प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने विधायक के उन्नाव जेल में रहने से परिवार और खुद के लिए खतरा बताकर उन्हें किसी दूसरी जेल में शिफ्ट करने या फिर उनके केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की सरकार से गुजारिश की है।शुक्रवार को पीडि़त किशोरी और उसके चाचा को बताया गया कि विधायक और उनकी सहयोगी को जिला जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।
ताकि वह अपने केस की पैरवी निर्भय होकर कर सकें
यह सुनने के बाद से अपनी सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद चाचा ने कहा कि विधायक के जिला जेल में रहने से उनका केस तो प्रभावित होगा ही उनकी और परिवार की सुरक्षा को भी खतरा रहेगा। विधायक के समर्थक गवाहों पर दबाव बना सकते हैं। उनका आरोप था कि पूर्व में जिला जेल में उनके भाई के बंद रहने के दौरान जेल प्रशासन ने विधायक के साथ मिलकर उसको मौत के मुंह में झोंकने में कोई कसर नहीं रखी, आखिर में उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि विधायक को या तो किसी दूसरी जेल में भेजा जाए या केस दिल्ली ट्रांसफर किया जाए ताकि वह अपने केस की पैरवी निर्भय होकर कर सकें।
दैनिक जागरण
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