आखिर क्यों मनाई जाती है नागपंचमी …?
देश भर में आज नागपंचमी का त्यौहार मनाया जा रहा है, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर वर्ष नागपंचमी मनाया जाता है। बताया जाता है कि, इस दिन घरों में नागदेवता की पूजा की जाती है । लेकिन क्या अपने सोचा आखिर क्यों , इसके पीछे क्या कहानी रही होगी, कब से इस पर्व की शुरूआत की गयी होगी तो, आइए आज जानते है नागपंचमी मनाने की पीछे की पूरी कहानी …
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क्यों मनाई जाती है नागपंचमी ?
वैसे तो नागपंचमी का पर्व मनाने के पीछे के कई कारण बताए जाते है, इसके पीछे कई कथाओं का भी उल्लेख मिलता है। उन कथाओ में एक कहानी ये भी है, इसमें बताते है कि, भोलेनाथ अपने गले में वासुकि नाग को धारण रखते हैं। ऐसे में नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से कुंडली में कालसर्प दोष खत्म होता है।
नागपंचमी मनाने के पीछे ये है पौराणिक कथा
इसके अलावा नागपंचमी मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक कथाओं का भी उल्लेख किया गया है, उनमें एक कथा ये भी मिलती है। बताते है कि, अपने पिता की मृत्यु से नाराज धनुषधारी अर्जुन के पोते और राजा परीक्षित के बेटे जन्मजेय ने नागों के पूरे कुल के नाश का संकल्प किया था। इसके लिए जन्मेजय ने एक विशेष यज्ञ का आयोजन भी कराया था, वही जब ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि को इस यज्ञ के बारे मालूम पड़ा तो उन्होंने इस यज्ञ को अथक प्रयास करते हुए रोक दिया।
जिससे नागों का कुल नाश होने से बच गया । आपको बता दें कि, आस्तिक मुनि ने नागों के कुल को बचाने के लिए सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर रोका गया। जिसके बाद से उन्होने नागों को आग की तपिश से बचाने के लिए कच्चा दूध पिलाया था, तब से ही नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है।
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नागपंचमी के दिन पूजन विधि
नागपंचमी के अवसर पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें, तत्पश्चात शिवलिंग का पानी, कच्चा दूध, दही और शहद आदि से अभिषेक करें। इसके बाद नाग देवता का भी अभिषेक करें और दूध का भोग लगाएं। इसके बाद नाग देवता की आरती करें।