‘मोदी केयर’ का लाभ उठा पाएंगे 10 करोड़ परिवार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आधी जनसंख्या को स्वास्थ्य बीमा देने की योजना पर प्रति वर्ष लगभग 11 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस खर्च का बोझ केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के खजाने पर भी पड़ेगा। केन्द्रीय बजट 2018 में वित्त मंत्री द्वारा ऐलान किए गए नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम ‘आयुष्मान भारत’, जिसे केन्द्र सरकार ‘मोदीकेयर’ की संज्ञा भी दे रही है, का लाभ 10 करोड़ परिवारों को मिलेगा जिसमें लगभग देश की आधी जनसंख्या शामिल रहेगी।

सरकार के खाते से लगभग 5500-6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे

केन्द्र सरकार के ऐलान के मुताबिक लगभग 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस दिया जाएगा और इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रति वर्ष 1.72 डॉलर (11 हजार करोड़ रुपये) का बोझ सरकारी खजाने पर डालना होगा। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि इस स्कीम के लिए केन्द्र सरकार के खाते से लगभग 5500-6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। केन्द्रीय बजट में सरकार ने इस स्कीम के लिए केन्द्र के खजाने से 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस रकम का प्रावधान वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान लोगों को स्वास्थ बीमा देने के लिए किया गया है।

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वहीं केन्द्र सरकार में सूत्रों का दावा है कि आगे चलकर इस योजना के लिए केन्द्र सरकार और बजट का प्रावधान कर सकती है। गौरतलब है कि देश में कई राज्य सरकारें किसी न किसी तरह के स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान करती है लेकिन इन्हें लागू करने की दिक्कतों के चलते उनकी योजनाएं ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। लिहाजा कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार अपनी योजना के लिए राज्य सरकारों की योजनाओं को राष्ट्रीय योजना के साथ मिलाने की पहल करेगी। अमिताभ कांत ने कहा कि इस योजना के लिए 60 फीसदी खर्च केन्द्र और बचा हुआ 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करेंगी।

2019 में आम चुनावों का सामना करना है

सूत्रों का यह भी कहना है कि केन्द्र सरकार के अनुमान के मुताबिक देश में एक व्यक्ति को यह बीमा देने की लागत लगभग 1100 रुपये आएगी। मोदी सरकार को अगले वर्ष यानी 2019 में आम चुनावों का सामना करना है। माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार की यह योजना चुनावों को देखते हुए शुरू की जा रही है और कहा जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है। हालांकि वित्त सचिव हसमुख अधिया का कहना है कि इस योजना को अमली जामा पहनाने में 6 महीने का वक्त लगेगा और इस दौरान केन्द्र और राज्य सरकारें इसे देशभर में प्रभावी तरीके से लागू करने का रोडमैप तैयार करेंगी।

aajtak

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