नागपंचमी पर इस बार शुभ योग
हिन्दू धर्म में नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है और इन्हें देवता के रूप में भी पूजा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनञ्जयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्
नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है। लेकिन इस पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है। नागपंचमी के दिन भगवान शिव के आभूषण नागों की पूजा की जाती है।
नागों की पूजा करके आध्यात्मिक और अपार धन की प्राप्ति की जा सकती है।
नागपंचमी का विशेष महत्व और शुभदायक है
नागपंचमी का विशेष महत्व और शुभदायक है। पंचमी तिथि का देवता सर्प है। राहु सर्प का स्वरूप है। लग्न का स्वामी चंद्रमा बुध के साथ है। लग्न में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी मंगल के साथ होने से सर्पयोग बन रहा है। इस प्रकार के योग में सर्प देवता का पूजन करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता। 27 जुलाई को दोपहर डेढ़ बजे से तीन बजे तक राहु काल है।
नागपंचमी पर ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप
नागपंचमी पर ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप सुबह-शाम करना चाहिए। वैसे 27 जुलाई 2017 को प्रात: 7 बजकर 5 मिनट तक भद्रा लगी हुई है, इसलिए इस दौरान पूजा ना करें। पंचमी तिथि प्रात: 7 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 28 जुलाई को सुबह: 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा का विधान है। परंपरा है कि इस दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाये।