शराब घोटाले मामले में AAP नेता विजय नायर को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत…
नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के इंचार्ज रहे विजय नायर को आज सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. विजय नायर को दिल्ली शराब घोटाले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. इससे पहले शराब घोटाले मामले में आप के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और BRS नेता के कविता को जमानत मिल चुकी है.
जस्टिस रॉय और भट्टी की बेंच ने की सुनवाई…
बता दें कि याचिका में सुनवाई करते हुए जस्टिस हषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी ने कहा की अगर किसी मामले में आरोपी को इतने समय तक रखा जाएगा तो इससे जमानत नियम और जेल अपवाद का नियम पूरी तरह से फेल हो जाएगा. सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत सभी को स्वतंत्रता का अधिकार है. सख्त प्रावधान वाले मामलों में इसका पालन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा की विजय नायर करीब 23 महीने से जेल में बंद है.
मनु सिंधवी ने दी दलील…
बता दें कि, विजय नायर की तरफ से वरिष्ठ वकील मनु सिंधवी ने दलील पेश की हुए कहा कि उनका मामला दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है.सिंधवी ने बताया की कोर्ट ने आप नेता के मामले में मुकदमें में देरी के चलते राहत दी थी और यह नियम नायर पर भी लागू होगा. ED बहुत लोगों से पूंछताछ करेगी इसमें बहुत समय लगेगा.
ALSO READ: सुप्रीम कोर्ट का सर्वोच्च आदेश…आरोप साबित पर नहीं चलेगा बुलडोज़र…
ED ने नायर को आरोपी नहीं खिलाड़ी बताया…
कोर्ट में सुनवाई के दौरान मनु सिंधवी ने कहा कि आरोपी पहले ही जेल में 672 दिन बीता चुका है. इस मामले में उन्होंने दिल्ली को सीएम को भी जमानत देने की बात का हलवा दिया था लेकिन सिंधवी ने कहा की जो लोग इस मामले में मास्टरमाइंड है उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. ED ने नायर को आरोपी नहीं खिलाड़ी बताया था.
ALSO READ: गूगल पे लाया धमाकेदार फीचर, अब बिना अकाउंट के भी कर पाएंगे पेमेंट…
सॉलिसिटर जनरल राजू ने किया नायर की जमानत का विरोध…
ईडी की ओर से केस लड़ रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत देने की सीमा बहुत अधिक है. उन्होंने कविता के जमानत आदेश से नायर के मामले को अलग करने की भी मांग की, यह तर्क देते हुए कि बाद में धारा 45 पीएमएलए के प्रावधान के तहत महिलाओं को विशेष विचार की अनुमति के आधार पर जमानत दी गई थी.