एक और भाजपा विधायक पर अपहरण और बलात्कार का आरोप
बेटी बचाओ बेटी, पढाओ का नारा देने वाली भाजपा अब महिला सुरक्षा के नाम पर सवालों के घेरे में आ गई हैं। पार्टी के नेता ही अपनी करतूतों से पार्टी की लुटिया डुबोने पर तुले हैं। कभी बेतुके बयानबाजी करके तो कभी महिला सुरक्षा के नाम पर। पहले ही उन्नाव में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर युवती से गैंगरेप मामले में योगी सरकार की अच्छी खासी किरकिरी हो चुकी है। दूसरा मामला यूपी के शाहजहांपुर से सामने आया है। एक महिला ने शाहजहांपुर की तिलहर सीट के भाजपा विधायक रोशन लाल वर्मा और उनके पुत्र मनोज वर्मा पर अपहरण और गैंगरेप का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरने पर बैठ गई है।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जिला कलेक्ट्रेट ऑफिस के बाहर एक युवती गुहार लेकर बैठी है। युवती का कहना है कि भाजपा के शाहजहां की तिलहर सीट के भाजपा विधायक रोशन लाल वर्मा और उनके पुत्र मनोज वर्मा ने न सिर्फ उनका अपहरण किया बल्कि उसके साथ गैंगरेप भी किया। 2011 में दोनों पिता और पुत्र ने मिलकर उसका अपहरण किया और उसके साथ बलात्कार किया।
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दरअसल, महिला की शादी विधायक के छोटे बेटे विनोद वर्मा से 2012 में हुई थी, लेकिन एक साल बाद दोनों अलग हो गए। दोनों की एक 5 साल की बेटी भी है जो मां के साथ रह रही है। महिला के अनुसार, वह एक छोटे गांव से ताल्लुक रखती है, उसे विधायक के छोटे बेटे से शादी करने के लिए मना लिया गया था। हालांकि उसे जल्दी यह मालूम हो गया कि विधायक ने अपनी छवि और खुद व अपने बड़े बेटे के खिलाफ रेप केस से बचने के प्रयास में शादी कराई थी।इस दौरान, पुलिस ने बताया कि 2011 में ही रोशन लाल और उनके बेटे मनोज वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 363 (अपहरण) और 366 (किडनैपिंग, गैरकानूनी ढंग से उठाकर ले जाना और शादी के लिए मजबूर करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि उनके खिलाफ कोई पर्याप्त सबूत न होने की वजह से अक्टूबर 2013 में केस बंद कर दिया गया था।
केस वापस लेने का दबाव बनाया गया
युवती का कहना है कि विनोद के छोड़ने के बाद उसने कोर्ट की मदद ली और कोर्ट ने मामले की दोबारा जांच का आदेश देकर 2016 में केस को सीबीसीआईडी (क्राइम ब्रांच क्राइम इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) को सौंप दिया था। महिला ने विधायक पर मामले की जांच को बाधित करने का आरोप भी लगाया। उसने बताया, ‘एक दिन सीबीसीआईडी के इंवेस्टिगेशन ऑफिसर मनोज के साथ मेरा बयान दर्ज करने आए। उन्होंने मुझ पर केस वापस लेने के लिए दबाव बनाया और धमकी दी।
हालांकि मैं किसी दबाव में नहीं आई और लड़ाई जारी रखी।’ सोमवार को अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जेके शर्मा ने उसकी शिकायत को उच्च अधिकारियों के पास भेजने का वादा किया इसके बाद जाकर पीड़िता ने धरना वापस लिया। अडिशनल एसपी (सिटी) दिनेश त्रिपाठी ने बताया, ‘जब तक मामले की जांच सीबीसीआईडी के पास लंबित है, हम इस पर कोई कमेंट या कार्रवाई नहीं कर सकते।’ हालंकि अधिकारियों के अश्वासन के बाद महिला ने धरना समाप्त कर दिया हैं।
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