केजीएमयू में लिवर व जीबी सिंड्रोम का और बेहतर इलाज
देश भर में लिवर व गिल्लन बारी (जीबी) सिंड्रोम समेत दूसरी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को केजीएमयू में और बेहतर इलाज मिलेगा। इन बीमारियों में जब दवाओं ठीक से काम नहीं करती हैं तो प्लाज्मा एफेरेसिस से इलाज मुहैया कराया जा सकता है। इसके बाद मरीज को दवाएं कम खानी होंगी। यह जानकारी केजीएमयू ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चन्द्रा ने दी।
वह शनिवार को एफेरेसिस इंडीकेशन एंड प्रोसीडयूरस विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं। डॉ. तूलिका चन्द्रा ने कहा कि जीबी सिंड्रोम का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह ऑटो इम्यून डीसीज अनुवांशिक है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर के खिलाफ काम करने लगती है। मरीज की मांसपेसियां कमजोर होने लगती है। केजीएमयू में हर महीने 5 से सात मरीज आ रहे हैं। मर्ज बढऩे पर दवाएं ठीक से काम नहीं करती हैं। अभी तक मरीज की जान बचाने के लिए इंट्रा विनस इम्यूनोग्लोबलिन इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ती है।
उन्होंने बताया कि एक इंजेक्शन की कीमत दो लाख रुपये है। आठ से 10 दिन में मरीज को इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है। प्लाज्मा एफेरेसिस से मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसमें मरीज के एक हाथ से प्लाज्मा निकालते हैं। प्लाज्मा में पनपने वाले हानिकारक तत्वों को मशीन के माध्यम से साफ कर दूसरे हाथ से शरीर में प्रवेश कराते हैं।
शरीर पर चक्कते पड़े तो लें डॉक्टर की सलाह
केजीएमयू बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. शैली अवस्थी ने बताया कि बच्चों में थ्रोम्बोटिक थ्रोमसाइटोपैनिक पुरपुरा (टीटीपी) में बच्चों के शरीर में चक्कते पड़ जाते हैं। बच्चे को बुखार आ जाता है। आमतौर पर लोग इसे डेंगू मान लेते हैं। उसी दिशा में डॉक्टर इलाज भी शुरू कर देते हैं। नतीजतन बच्चे की सेहत में इलाज के बावजूद फायदा नहीं होता है। उन्होंने बताया कि अभी बीमार के स्पष्ट कारण का पता नहीं चल पाया है लेकिन लक्षणों की समय पर पहचान कर इलाज मुहैया कराया जा सकता है।
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पीलिया का समय पर कराएं इलाज
पेशाब पीली हो रही है। कमजोरी महसूस हो रही है। आंखों में पीलापन हो। पैरों, पेट में सूजन बढऩे लगे। भूख न लगे तो डॉक्टर की सलाह लें। यह लिवर की गंभीर बीमारी हो सकती है। व्यक्ति को पीलिया चपेट में हो सकता है। केजीएमयू मेडिसिन विभाग के डॉ. डी हिमांशु ने कहा कि पीलिया का समय पर इलाज होना चाहिए। देरी से मर्ज बढ़ जाता है। कई बार लिवर की गंभीर बीमारी में दवाएं काम नहीं करती हैं। ऐसे मरीज को लिवर प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है। ऐसे मरीजों को प्लाज्मा एफेरेसिस के जरिए बचाया जा रहा है।
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