कितने असरदार मोदी के 4 साल ?

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साल 2014 में हुए आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने एक ऐसा इतिहास रच दिया जिसको शायद ही आने वाले समय में दोहराया जा सके। 2014 में नरेंद्र मोदी का ऐसा जादू चला जिसके आगे सभी पार्टियां धराशायी हो गईं। नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व के दम पर भाजपा आज एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है जिसकी कल्पना खुद नरेंद्र मोदी ने कभी नहीं की होगी। पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक सिर्फ और सिर्फ भाजपा ही नजर आ रही है। आज के समय में ये कह पाना मुश्किल है कि नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्ष के खेमे में कोई ऐसा चेहरा है जिसपर विपक्ष दांव लगा सके। नरेंद्र मोदी सरकार 26 मई को चार साल पूरे कर रही है। ऐसे में ये जानना जरुरी है कि जिस दावे और वादे के साथ भाजपा सत्ता में प्रचंड बहुमत के साथ आई थी वो पूरे कर पाई है या नहीं। बीते चार सालों में मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार कालेधन, गरीबी, शिक्षा स्वास्थ्य को लेकर कितना सजग रही है ये जान लेना भी जरुरी है। मोदी सरकार के कुछ ऐसे भी काम है जो काबिल-ए-तारीफ है तो कुछ ऐसे भी मुद्दे हैं जिसको लेकर ये कहा जा सकता है कि मोदी सरकार इन दावों को लेकर कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई। तो आइए जानते हैं मोदी सरकार के इन चार सालों के सफर के बारे में…

जनधन योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में जनधन योजना की घोषणा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की थी। इस योजना का मकसद देश के हर नागरिक को बैंकिंग सुविधा से जोड़ना है और इन योजना के तहत 31.31 करोड़ लोगों को फायदा भी मिला है। बताया जाता है कि आर्थिक जगत के क्षेत्र में ये दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। इसने एक सप्ताह में सबसे अधिक 1,80,96,130 बैंक खाते खोलने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया।

उज्ज्वला योजना

उज्जवला योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उन परिवारों के लिए वरदान साबित हुई है, जिनके पास गैस कनेक्शन नहीं था और उन्हें खाना बनाने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इस योजना के माध्यम से उन परिवारों तक एलपीजी कनेक्शन पहुंचाया गया और ग्रामीण महिलाओं को सशक्त भी किया गया। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बीपीएल राशन कार्ड धारकों को मुफ्त में कनेक्शन दिया गया।

जीएसटी लागू

जीएसटी का मतलब है एक राष्ट्र, एक टैक्स। इस नए टैक्स सिस्टम में सभी वस्तुओं के अलग अलग टैक्स नहीं देना होगा और पूरे देश में एक ही टैक्स व्यवस्था लागू की गई है। यह साल 1991 के बाद से अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद ये वित्तीय क्षेत्र में सुधार को लेकर सबसे बड़ा कदम है, जिसे लागू करने के लिए पिछली सरकार प्रयासरत थी। मोदी सरकार ने 1 जुलाई, 2017 को सामान और सेवा (जीएसटी) संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात को संसद के विशेष सत्र में शुरू किया।

डिजिटाइजेशन को बढ़ावा

मोदी सरकार ने पिछले चार सालों में डिजिटाइजेशन पर काफी जोर दिया है। अब बैंकिंग क्षेत्र से लेकर अन्य सरकारी कार्यों में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा मिला है, जिससे लोगों को काफी राहत मिली है। इसमें मोदी सरकार की डिजिटल भुगतान को आसान बनाने बनाने वाली भीम एप भी शामिल है। इस एप के तहत पैसे सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) एक गैर-कार्पोरेट, गैर-कृषि लघु-लघु उद्यमों को 10 लाख तक की ऋण प्रदान करने के लिए शुरू की गई योजना है। ये लोन पीएमएमवाई के तहत वर्गीकृत किए गए हैं, ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, आरआरबी, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, एमएफआई और एनबीएफसी द्वारा दिए गए हैं। उम्मीदवार इन संस्थानों से लोन ले सकते हैं। आपको बता दें कि इस योजना को 8 अप्रैल 2015 को लॉन्च किया गया था।

कौशल विकास योजना

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना कौशल विकास एवं उद्यमता मंत्रालय की ओर चलाई जाती है। इस स्कीम का उद्देश्य है देश के युवाओं को उद्योगों से जुड़ी ट्रेनिंग देना है जिससे उन्हें रोजगार पाने में मदद मिल सके। इसमें ट्रेनिंग की फीस सरकार खुद भुगतान करती है। सरकार इस स्कीम के जरिए कम पढ़े लिखे या 10वीं, 12वीं कक्षा ड्रॉप आउट युवाओं को कौशल प्रशिक्षिण देती है।

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मेक इन इंडिया पहल की शुरूआत

मोदी सरकार ने भारत के निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेक इन इंडिया पहल की शुरूआत की। इसके तहत कैपिटल गुड्स के साथ नई तकनीक और आधुनिकता को बढ़ावा दिया जाता है। इस स्कीम के लिए 930 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।

इसलिए फेल रही मोदी सरकार

सत्ता में काबिज होने के बाद मोदी सरकार ने एक से बड़कर योजनाओं को देश में लागू किया उसके लिए लाखों करोड़ों का फंड भी रिलीज किया, देश में इस योजनाओं को जमकर प्रमोट भी किया गया। लेकिन 2014 से 2017 तक क्या किसी योजनाओं पर सरकार ने सफलता हासिल की। जवाब है नहीं। सरकार लगभग अपने हर योजनाओं में फेल साबित हुई है। लेकिन किसी को इसकी भनक तक भी लगने नहीं देती। क्योंकि केंद्र की मार्केंटिंग टीम बहुत अच्छा काम कर रही है।

नमामि गंगे को लेकर कितने ईवेंट रचे गए लेकिन गंगा साफ नहीं हुई

आपको भी पता है कि एन जी टी ने नमामि गंगे के बारे में क्या क्या कहा है। 13 जुलाई 2017 के इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एनजीटी ने कहा है कि दो साल में गंगा की सफाई पर 7000 करोड़ ख़र्च हो गए और गंगा साफ नहीं हुई। ये 7000 करोड़ कहां ख़र्च हुए? कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा था क्या? या सारा पैसा जागरूकता अभियान में ही फूंक दिया गया? गंगा की सफाई करते करते मंत्री तक बदल गए लेकिन गंगा की सफाई आज भी अधर में लटकी है।

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सांसद आदर्श ग्राम योजना के दावे फेल

लाल किले से सांसद आदर्श ग्राम योजना का एलान हुआ था। चंद अपवाद की गुज़ाइश छोड़ दें तो इस योजना की धज्जियां उड़ चुकी हैं। आदर्श ग्राम को लेकर बातें बड़ी बड़ी हुईं, आशा का संचार हुआ मगर कोई ग्राम आदर्श नहीं बना। लाल किले की घोषणा का भी कोई मोल नहीं रहा।

काशी को क्योटो बनाने की योजना ठंडे बस्ते में

बनारस में क्योटो के नाम पर हेरिटेज पोल लगाए गए हैं ये हेरिटेज पोल क्या होते हैं। नक्काशीदार महंगे बिजली के पोल हेरिटेज पोल हो गए? ई-नौका को कितने ज़ोर शोर से लांच किया गया था। अब बंद हो चुका है। वो भी एक ईवेंट था। शिंजो आबे जब बनारस आए थे तब शहर के कई जगहों पर प्लास्टिक के शौचालय रख दिए गए। मल मूत्र की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं हुई। जब सड़ांध फैली तो नगर निगम ने प्लास्टिक के शौचालय उठाकर डंप कर दिया।

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