सार्वजनिक-निजी कर्ज के बढ़ने से मंडरा रहा है वैश्विक मंदी का खतरा

0

दुनियाभर में सार्वजनिक और निजी कर्ज जिस तरह से बढ़ते हुए रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है, उससे वैश्विक मंदी का खतरा मंडराने लगा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक वैश्विक कर्ज बढ़कर 164 ट्रिलियन डॉलर यानी 164 लाख करोड़ डॉलर के रेकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच चुका है। अगर इस कर्ज को भारतीय मुद्रा में बदले तो यह करीब 10,66,000000 करोड़ रुपये (करीब 10,660 लाख करोड़ रुपये) है। IMF ने चेतावनी दी है कि अगर बढ़ते वैश्विक कर्ज का यह ट्रेंड इतना खतरनाक है कि वित्तीय स्थिति बिगड़ने पर तमाम देशों के लिए अपने कर्ज को चुकाना मुश्किल हो जाएगा और दुनिया भीषण वैश्विक मंदी के चपेट में आ सकती है।

बढ़ता हुआ कर्ज वैश्विक मंदी का सबब बन सकता है

ब्लूमबर्ग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ता हुआ कर्ज वैश्विक मंदी का सबब बन सकता है। IMF हर 6 महीने में फिस्कल मॉनिटर रिपोर्ट जारी करता है और इस बार उसने बुधवार को यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में ग्लोबल पब्लिक और प्राइवेट कर्ज बढ़ते हुए अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच चुका है और यह दुनिया की जीडीपी का 225 प्रतिशत हो चुका है। इससे पहले वैश्विक कर्ज 2009 में अपने उच्च पर था।

IMF के फिस्कल अफेयर्स डिपार्टमेंट के प्रमुख विटोर गैस्पर ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘164 ट्रिलियन का आंकड़ा एक बहुत ही विशाल संख्या होती है। जब हम आसन्न जोखिमों की बात करते हैं उनमें से एक बड़ा जोखिम पब्लिक और प्राइवेट कर्ज का उच्च स्तर है।’

Also Read : कर्ज लेकर विदेश भागने वालों की जब्त होगी संपत्ति, ऑर्डिनेंस को मंजूरी

निजी कर्ज बहुत ही तेजी से बढ़ रहा

दुनिया में निजी कर्ज बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है खासकर चीन में। दुनियाभर के कुल निजी खर्च का करीब 3 चौथाई हिस्सा तो सिर्फ चीन का है। IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत ज्यादा कर्ज से देशों के खर्च बढ़ाने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ेगा। इससे उनकी विकास दर प्रभावित होगी और वे मंदी के चपेट में भी आ सकते हैं।

1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से देशों से अपने फिस्कल डेफिसिट को लेकर निर्णायक कदम उठाने का सुझाव दिया है। कोष ने अमेरिका से गुजारिश की है कि वह अपनी फिस्कल पॉलिसी को फिर से तय करे। अमेरिका का फिस्कल डेफिसिट जिस गति से बढ़ रहा है, उस हिसाब से वह 2020 में 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।

साल 2000 के आंकड़े से तीन गुना ज्यादा

IMF के मुताबिक कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कुल कर्ज और जीडीपी का अनुपात खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से करीब एक तिहाई के कर्ज उनकी जीडीपी के 85 प्रतिशत से ज्यादा है। यह आंकड़ा साल 2000 के आंकड़े से तीन गुना ज्यादा है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कर्ज और जीडीपी के अनुपात के मामले में सबसे ऊपर जापान है। पिछले साल उसका कर्ज जीडीपी का 236 प्रतिशत था। दूसरे नंबर पर इटली है जहां कर्ज जीडीपी का 132 प्रतिशत है। तीसरे नंबर पर अमेरिका है जिसका कर्ज उसके जीडीपी का 108 प्रतिशत है। आईएमएफ के मुताबिक पिछले साल भारत का कर्ज उसके जीडीपी का 70.2 प्रतिशत था जबकि चीन का 47.8 प्रतिशत था।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More