128 महिलाओं को सीएम योगी देंगे ‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’

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उल्लेखनीय काम करने वाली प्रदेश की 128 महिलाओं को गुरुवार को रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार दिया जाएगा। इनमें 98 ग्राम प्रधान हैं, जबकि 30 विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली अन्य महिलाएं। इस समारोह के लिए लोकभवन में भव्य तैयारियां की गई हैैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ ग्र्राम प्रधानों समेत 15 महिलाओं को खुद सम्मानित करेंगे।दो उदीयमान कलाकारों को बेगम अख्तर पुरस्कार भी देंगे।

काम करने वाली महिलाओं को दिया जाता है

रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार अदम्य साहस का प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के साथ ही खेल व समाज सेवा में काम करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए इनमें उन महिला प्रधानों को भी शामिल किया गया है, जिन्होंने गांव के विकास में बड़ा योगदान दिया।

आदित्यनाथ की ओर से सम्मानित किया जाएगा

जिन पंद्रह महिलाओं को गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से सम्मानित किया जाएगा, उनमें मऊ की सिंधु, बाराबंकी के कुंवर दिव्यांश, महिला बाइकर पल्लवी फौजदार, बहराइच की पुष्पा, मऊ की डा. ज्यूड एमएसजे, बहराइच की तारा, मेरठ की रीतिका, लखनऊ की ज्योति श्रीवास्तव, चंदौली की रीमा सिंह, बस्ती की वर्षा सिंह, बाराबंकी की महजबीं, गोरखपुर की रंजना द्विवेदी व अवधेश कुमारी, फर्रुखाबाद की सलीया बानो, वाराणसी की शहनाज बानों हैैं।

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इसके अलावा योगी वाराणसी के पं. धर्मनाथ मिश्र और रामपुर के उस्ताद शखावत हुसैन खान को बेगम अख्तर पुरस्कार से सम्मानित करेंगे।महिला एवं बाल कल्याण के लिए विशेष सचिव रामकेवल ने बताया कि पुरस्कृत होने वाली महिलाओं को लोकभवन तक लाने के लिए विशेष बसों की व्यवस्था की गई है। उन्हें राजधानी में ही अलग-अलग स्थानों पर ठहराया गया है। पुरस्कृत होने वाली सूची में कुछ साहसी बालकों को भी शामिल किया गया है।

इन महिलाओं का होगा सम्मान

सिंधु : मऊ के दोहरीघाट निवासी सिंधु की 12 साल की बेटी खुशबू पर तेंदुएं ने हमला कर दिया। उन्होंने उससे संघर्ष कर अपनी बेटी को बचाया

पल्लवी फौजदार : लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने वाली इस बाइकर ने 5000 मीटर से अधिक पर्वतीय दर्रों पर मोटरसाइकिल से चढ़ाई की।

वर्षा चौधरी : मेरठ के एक गरीब किसान की बेटी वर्षा ने ओपेन इंडिया इंटरनेशनल बाक्सिंग चैैंपियन शिप में मैरीकॉम से लडऩे के लिए बहुत मेहनत की। पिता सुखबीर सिंह न मजदूरी करके बेटी को ङ्क्षरग में उतारा।

डा. ज्यूड एमएसजे : फातिमा हॉस्पिटल, मऊ में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक हैैं। इन्हें मऊ में मदर टेरेसा के नाम से जाना जाता है। 17 साल से ही अपना जीवन मानवता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

कुंवर दिव्यांश : बाराबंकी निवासी कुंवर ने एक सांड़ से मोर्चा लेकर अपनी छोटी बहन की जान बचाई। इन्हें इनोवेशन के क्षेत्र में काम करने के लिए बेस्ट चाइल्ड साइंटिस्ट अवार्ड भी दिया गया।

दैनिक जागरण

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