अगर जूट के सामान नहीं खरीदे तो क्या खरीदे…

0

सीएम ने छोटे कारोबारियों को आगे बढाने के लिए ‘एक जिला एक उत्पाद’ के जरिये पहल की है। इसी पहल के तहत लखनऊ महोत्सव में यूपी के सभी जिलों से आये लोगो ने स्टॉल लगाई है। इन स्टॉलों में से एक लखीमपुर से आई आरती राना थारु क्राफ्ट की भी स्टॉल है।

लड़कियों में आजकल जूट के सामान पहली पसंद है। इन दिनों जूट के बैग औऱ चप्पलों का लड़कियों में भी क्रेज है। साथ ही स्टॉल पर घर को सजाने के लिए जूट का गुलदस्ता, दरी और जूट की कढ़ाई किये हुए सोफा कवर और अन्य सामान भी उपलब्ध है। इस स्टॉल पर जूट के बने सभी सामान बहुत आसानी से उपलब्ध है। इन सामानों में पेंसिल स्टैंड, बैग, दरी, डोर मैट और जूट की बनी चप्पल भी इनकी स्टॉल पर आसानी से मिल रही हैं। आपको बता दे कि  अलावा आरती के कारखाने में करीब छह सौ महिलाएं जूट का काम करती है।

also read : भईया ये है ‘तुमसे न हो पाएगा’ वाले कुशन, आपने खरीदा क्या

इन सामानों को आप आर्डर देकर अपने हिसाब से अपनी डिजाइन देकर भी बनवा सकते हैं। दुकान की महिला कारीगर बताती हैं कि वे पिछले पांच साल से ये काम कर रही हैं। 80 रुपये से लेकर चार सौ रुपये के बैग की कीमत है। साथ ही दरी 150 रुपये से लेकर बारह सौ रुपये तक की कीमत है। इस काम के कारीगर गौतम बताते हैं कि जूट को पहले धागे का आकार देकर सुई से मनपसंद वस्तु का आकार दे दिया जाता है। इस काम में बारीकी और सफाई का खास ध्यान रखा जाता है। महोत्सव में लखीमपुर के अलावा भदोही और अन्य जिलों के कारोबारियों ने भी अपनी स्टॉल लगाई है।

नया प्रयोग खरीदारों को भाया

आकर्षित करने वाले डिजाइन वाले बैग, फोल्डर वैसे तो पहले से ही लोगों को पसंद है| इन महिलाओं ने कुछ नया करने के लिए जूट के साथ कॉटन को मिला कर एक नया प्रयोग किया है, जिसे ‘जोकूकॉटन’ नाम दिया गया है| इससे डीलक्स डिजाइन वाले बैग बनते हैं| बाजार में इनकी मांग बहुत है|

also read : यहां मिलती है हर घर को रौशन करने वाली शमा…

क्या है जूट

जूट के रेशे साधारणतया छह से लेकर दस फुट तक लंबे होते हैं, पर विशेष अवस्थाओं में 14 से लेकर 15 फुट तक लंबे पाए गए हैं। तुरंत का निकाला रेशा अधिक मजबूत, अधिक चमकदार, अधिक कोमल और अधिक सफेद होता है। खुला रखने से इन गुणों का ह्रास होता है। जूट के रेशे का विरंजन कुछ सीमा तक हो सकता है, पर विरंजन से बिल्कुल सफेद रेशा नहीं प्राप्त होता। रेशा आर्द्रताग्राही होता है। छह से लेकर 23 प्रतिशत तक नमी रेशे में रह सकती है। जूट की पैदावार, फसल की किस्म, भूमि की उर्वरता, अंतरालन, काटने का समय आदि, अनेक बातों पर निर्भर करते हैं। कैप्सुलैरिस की पैदावार प्रति एकड़ 10-15 मन और ओलिटोरियस की 15-20 मन प्रति एकड़ होती है। अच्छी जोताई से प्रति एकड़ 30 मन तक पैदावार हो सकती है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More