18 में 8 राज्यों की बारी,कर्नाटक पर फोकस

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गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पीएम मोदी शनिवार को त्रिपुरा और मेघालय के दौरे पर निकल गए थे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को इन राज्यों के दौरे पर निकल रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अगले हफ्ते कर्नाटक जा सकते हैं। मतलब संकेत साफ है कि साल के अंत में इन दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद सियासत फिर जोर पकड़ेगी और हल्के विराम के बाद अगले साल की शुरुआत से ही हाई वोल्टेज चुनावी अभियान में बदल जाएगी।

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दरअसल 2018 में 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और इनके परिणाम 2019 के आम चुनाव को भी प्रभावित करेंगे।नए साल की शुरुआत नॉर्थ-ईस्ट की तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से होने जा रही है। इन तीनों राज्यों में बीजेपी पहली बार सत्ता पाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी नॉर्थ-ईस्ट के अपने अभियान को आगे बढ़ाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस की कोशिश इस बढ़त को कम करना है। इस चुनाव के तुरंत बाद फोकस कर्नाटक (दक्षिण) पर चला जाएगा।

चुनाव के बाद कुछ महीनों तक शांति रहेगी

कांग्रेस के पास अब पंजाब के बाद सिर्फ कर्नाटक बड़ा राज्य बचा है। कर्नाटक में अभी से सियासत गर्म है। अमित शाह और येदुरप्पा के नेतृत्व में विकास यात्रा निकाल चुकी है। कांग्रेस भी पूरी ताकत झोंक रही है। कर्नाटक को दक्षिण में एंट्री का गेट माना जाता है। बीजेपी 2019 आम चुनाव से पहले हर हाल में इस राज्य को जीतना चाहेगी। इस चुनाव के बाद कुछ महीनों तक शांति रहेगी।

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लेकिन इसके बाद सबसे बड़ी जंग शुरू होगी। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने हैं। मिजोरम को छोड़ बाकी तीन राज्यों में बीजेपी लंबे समय से सत्ता में है। जानकारों के अनुसार, इन चुनाव के परिणाम 2019 आम चुनाव की गति को अंतिम तौर पर सेट करेंगे।

आम चुनावों पर असर

इस चुनाव परिणाम का असर आम चुनाव पर भी पड़ना तय है। गुजरात में 2014 में बीजेपी सभी 26 सीटों को बड़े अंतर से जीतने में सफल रही थी, लेकिन सोमवार को आए परिणाम के बाद कांग्रेस को यहां संभावना दिख रही है। बीजेपी के लिए 2019 में पिछले आम चुनाव का प्रदर्शन को दोहराने के लिए गुजरात जैसे राज्यों में वैसा प्रदर्शन करने का अतिरिक्त दबाव रहेगा। हिमाचल में भी वोट प्रतिशत घटा है। इसका आम चुनाव पर भी पड़ेगा।

उपचुनाव का भी चलेगा दौर

जनवरी में 7 लोकसभा और 14 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। 2014 के बाद पहली बार एक साथ इतने लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। आम चुनाव से लगभग सवा साल पहले होने वाले लोकसभा सीटों के उपचुनाव का बड़ा राजनीतिक महत्व होगा। लोकसभा और विधानसभा सीटों के ये उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं, क्योंकि इनके नतीजों से ही मिशन 2019 की झलक मिल सकेगी।

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