चुनाव में इन खामियों के साथ कैसे लायेंगे परिवर्तन, देखें वीडियो

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देश में परिवर्तन लाने है  के लिए इकलौता हथियार मतदान है। अगर चंद अफसरशाहों की गलती के चलते आम आदमी अधिकार से वंचित रह जाता है तो इसका कसूरवार कौन है? मतदान हर नागिरक का अधिकार है और अपने देश में ये किसी उत्सव से कम नहीं होता। महीनों नहीं सालों पहले से इसकी तैयारियां होने लगती है। लेकिन इस बार निकाय चुनाव में हुई बड़ी गड़बड़ियों ने आयोग और इन तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
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मतदान एक आम आदमी का अधिकार है, लेकिन जिस तरह बड़े पैमाने में निकाय चुनाव में खमियां देखने को मिली है। क्रिमीनल कॉस्परेशी से कम नहीं है।

बड़े पैमाने में कई खामियां देखने को मिली है
मकान के मकान को सूची से गायब कर दिया गया। मेयर से लेकर सांसद तक चूक गये। आम आदमी से लेकर नेताओं तक का नाम सूची से गाय़ब है। इस बार यूपी में निकाय चुनाव में बड़े पैमाने में कई खामियां देखने को मिली है।
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लखनऊ और आसपास इलाकों में चुनाव चल रहे हैं और कहीं होने वाले है। 5 से 10 मोहल्लें ऐसे हैं जो सूची से गायब हो गये है। क्या इसे लोकतंत्र कहेंगे ? जिसमें लापरवाही के चलते नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया।
कालराज मिश्र और डीजीपी सुलखान का नाम भी लिस्ट से गायब
खामियों के जिम्मेदार बेईमान अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नही की जा रही है। आयोग भी चुप्पी साधे है। जबकि महीनों पहले से ही चुनाव की तैयारियां होती है ऐसे में ये खामियां बड़ा सवाल है। आम आदमी के नाम तो सूची से गायब हैं ही दिग्गज नेता जैसे कालराज मिश्र और डीजीपी सुलखान का नाम भी लिस्ट से गायब थे। तो आम आदमी का क्या होगा आप अंदाजा लगाया जा सकता है।
(साभार- भारत समाचार)

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