नोटबंदी : 8 नवंबर की वो काली रात और……….!
बैंकों और एटीएम के बाहर लगी लम्बी कतारें…हैरान- परेशान, रोते बिलखते लोग… याद है न आज का दिन। भूल भी कैसे सकता है कोई 8 नवम्बर 2016 की वो काली रात जिस दिन पीएम मोदी के एक ऐतिहासिक फैसले ने पूरे देश को हिला दिया।
8 नवम्बर 2016 ऐतिहासिक तारीख है
8 नवम्बर 2016 ऐतिहासिक तारीख है, जिसे शायद ही कोई भूला हो। रोजाना की तरह सभी अपने घरों में दुबक कर टीवी देख रहे थे कि अचानक पीएम मोदी की एक घोषणा ने पूरे देश को हैरान करके रख दिया। संबोधन शुरू हुआ था-‘ भाईयों और बहनों…… ’। आगे था- एक हजार और पांच सौ के नोट लीगल टेंडर न रह जाने का ऐलान।
ऐतिहासिक फैसले ने लोगों की नींद उड़ा दी
पीएम मोदी के इस ऐतिहासिक फैसले ने लोगों की नींद उड़ा दी। चाहे वो अमीर हो या गरीब। पीएम की इस घोषणा के बाद से पूरा देश सकते में आ गया। न जाने कितने लोगों की मौत हो गई तो कितनी लड़कियों की शादियां टूट गईं।
लोग इस घटना को भूल नहीं पाये हैं
पीएम के इस ऐतिहासिक फैसले से उनकी जी भर कर आलोचना भी हुई। नोटबंदी के बाद आधी रात से लोगों के लाइन में लगने का सिलसिला शुरू हो गया। पेट्रोल पंपों पर भारी भीड़ लगने लगी थी। लोग किसी भी तरह से पांच सौ, एक हजार के नोटों को भुनाने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हो रहे थे। आज भी लोग इस घटना को भूल नहीं पाये हैं।
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आज के दिन क्या था नजारा?
नोटबंदी के बाद आज के दिन न जाने कितने घरों में मातम छा गया था। घोषणा के बाद कुछ लोगो की तो हार्टअटैक से मौत तक हो गई।
न जाने कितनी बारातें लौट गईं
नोटबंदी के दिन यानी 8 नवम्बर के बाद से जिनकी शादियां आदि थीं उनकी शादियां रुक गईं। कुछ लोगों ने तो शादियां ही तोड़ दीं।
सोशल मीडिया पर इसकी जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही है
आज नोट बंदी की सालगिरह के मौके पर सोशल मीडिया पर इसकी जमकर खिल्ली उड़ाई जा रही है। सोशल मीडिया में अनगिनत पोस्ट पेट्रोल भरवाने से लेकर 500 और 1000 हजार के नोटों के पुराने अनुभवों से भरे पड़े हैं। आईये आपको बताते हैं सोशल मीडिया पर कैसे मन रही है नोटबंदी की सालगिरह। सोशल मीडिया पर किसी ने उन लोगों की आत्माओं को बुलावा भेज दिया है जो लाइनों में खड़े खड़े मारे गये हैं।
जी हां एक महाशय ने सोशलमीडिया पर कहा कि नोटबंदी के कारण जिनकी मौतें हुईं हैं कृपा करके वो नीचे उतर आयें और उन लोगों को परेशान करें जो आज नोटबंदी की सालगिरह पर जश्न मना रहे हैं। एक व्यक्ति ने ट्वीट किया-देश के लिए विकास को पैदा करने के चक्कर में तीन बेटियां जीएसटी, नोटबंदी और महंगाई पैदा कर दीं। अब मोदी जी गर्व से कहेंगे कि ‘म्हारी तीन छोरियां छोरों से कम हैं के’। किसी ने कहा नोटबंदी को सालभर हो गया है और इस एक साल में देश में बहुत बदलाव हुआ है।
इतना बदलाव कि गांधी जी के चेहरे का डाय़रेक्शन बदल गया है। तो किसी ने चुटकी लेते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद से कई लोग सदमे में हैं। सदमा भी ऐसा कि उन्होंने अपने सभी नोट बैंकों में जमा कर ही चुके हैं, बच्चों के गुल्लक भी तोड़कर निकले पैसे भी बैंकों में जमा कर दिये हैं यह सोच कर कि कहीं फिर ऐसी कोई घोषणा हो तो वो तैयार रहें। किसी ने नोटबंदी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि मैंने हाल में ही एपल नोट 8 मोबाइल लिया है कि कहीं पीएम मोदी उसे भी बड़ा नोट समझ कर बंद न कर दें।
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एक रुपये के छोटे सिक्के बंद होने की अफवाह
इस पूरे साल और कुछ हुआ हो या न हुआ हो एक अफवाह जरूर फैली कि एक रुपये के छोटे सिक्के बंद होंगे। अफवाहों से जाहिर है कि नोटबंदी का असर अब भी बाजारों में दिख रहा है। कोई भी दुकानदार एक रुपए का सिक्का लेने को तैयार नहीं है। इस अफवाह के चलते लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि कभी छोटे सिक्के बंद न किए गए हो, कांग्रेस सरकार में 25 पैसे तथा 50 पैसे के सिक्के बंद किए गए थे, लेकिन आज बाजार में यह अफवाह फैली हुई है कि छोटा सिक्का बंद कर दिया गया है, जिसके चलते बाजार में खुले पैसों को लेकर समस्या आ खड़ी हुई है।
आज बाजार में कोई भी दूकानदार, ठेले वाला या ऑटोरिक्शा चालक एक रुपये के सिक्कों को अपनी जेब में नहीं रखना चाहता।जब हम उन दुकानदारों से सिक्का न लेने की वजह पूछते हैं, तो उनका बस एक आसान सा जवाब होता है कि एक रुपये के छोटे सिक्के सरकार द्वारा बंद कर दिए गए हैं। दिक्कत दुकानदार तक ही सीमित नहीं है।
थोक व्यापारी भी सिक्के स्वीकार नहीं कर रहे हैं, ऐसा करके वो सीधे भारतीय मुद्रा का अपमान कर रहे हैं| उधर आरबीआई का कहना है कि सिक्के बंद होने की अफवाह पूरी तरह से झूठी है, ऐसा निर्णय सरकार ने कभी नहीं लिया और इस मामले पर सख्ती करते हुए आरबीआई ने आदेश दिया कि जो दुकानदार या कोई भी व्यक्ति इन सिक्कों को लेने में आनाकानी करता है, सरकार उसके खिलाफ सख्त से सख्त सख्त करवाई करेगी|
क्या कहते आर्थिक विशेषज्ञ
सीए कौशल पांडे ने बताय़ा कि देश में नोटबंदी के बाद से भय का माहौल है। अगर देश की अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के प्रभाव की बात करें तो इसका मिलाजुला परिणाम देखने को मिला है। अगर इनकम टैक्स सेक्टर में देखा जाये तो, टैक्स भरने वालों की संख्या बढ़ी है। जो लोग अपना बिजनेस पेपर पर नहीं दिखाते थे वे टैक्स फाइल करने लगे हैं। अगर निम्न आयवर्ग को देखें तो उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। नोटबंदी के बाद लोग डरे हुऐ हैं। इन्वेस्टमेंट नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं रोजगार में भी कमी आई है।
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