13 साल से गरीब बेटियों का कर रहे कन्यादान
गरीब बेटियों के विवाह के लिए अक्सर बहुत से गैर-सरकारी संस्थाएं सामूहिक विवाह का आयोजन कर उसमें उनका विवाह करवाते हैं और उन गरीब मां-बाप को एक ऐसी खुशी देते हैं जिसके आगे दुनिया की शायद कोई भी खुशी मायने नहीं रखती है। क्योंकि हर मां-बाप का सपना होता है कि अपनी बेटी का कन्यादान जब तक नहीं करते हैं तबतक उनके ऊपर एक बहुत बड़ा बोझ होता है। अब आपको बताते हैं कि एक ऐसा शख्स है जो पिछले 13 साल से गरीब बेटियों की शादी करा रहे हैं और अबतक करीब 1845 बेटियों की शादी करा चुके हैं। जी हां ये और कोई बल्कि एक संन्यासी बाबा हैं जो गरीबों के लिए भगवान बने हुए हैं।
सामाजिक सद्भाव का संदेश दे रहे भिखारी बाबा
अनाथ और अभावग्रस्त बेटियों का कन्यादान कराने में इनकी जान बसती है। ‘संतोष ही परम सुख है’ को सूत्र वाक्य मानकर जन सेवा में जुटे भिखारी बाबा सोनभद्र और आसपास के आदिवासी क्षेत्र में डेढ़ दशक में गरीबी उन्मूलन के प्रयास में जुटे हैं। 13 साल में 1845 गरीब और अनाथ युवतियों का ब्याह कराने वाले बाबा मूलत: झारखंड के चतरा जिले के किचार के रहने वाले हैं। युवावस्था तक लोग उन्हें जंगली रमाशंकर के नाम से जानते थे। बचपन से ही गरीबों से लगाव रखने वाले रमाशंकर ने जीवन के 27वें वर्ष में गरीबी उन्मूलन की दिशा में कदम बढ़ाए। संकल्प व दृढ़ इच्छाशक्ति से अभावग्रस्त लोगों की मुश्किलें हल करते-करते कब वे भिखारी बाबा के नाम से मशहूर हो गए, पता ही नहीं चला।
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एक बहन के आंसुओं ने झकझोरा
वर्ष 2005 से पहले समाज सेवा के अन्य कार्यो में रमे भिखारी बाबा का नजरिया रामगढ़ शिव मंदिर के पास एक घटना ने बदला। पन्नूगंज थाना क्षेत्र के लौवारी गांव निवासी एक युवक के जहर खाकर जान देने की सूचना पर बाबा मौके पर पहुंचे। वहां युवक की बहन के दुख ने उन्हें हिलाकर रख दिया। बाबा ने बाद में उसकी शादी कराई।पहली बार रामगढ़ में सामूहिक आयोजन में 21 गरीब बेटे-बेटियों की शादी कराई, जिसमें वहां के तत्कालीन डीएम व एसपी ने भी भागीदारी की।
सभी धर्मों की बेटियों की कराते हैं शादी
आंकड़े के मुताबिक फरवरी 2017 तक भिखारी बाबा हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समुदाय की 1845 बेटियों की शादी करा चुके हैं। पहली बार में 21 युगलों की शादी 1मेरा जीवन गरीबों-अनाथों के लिए है। इनके लिए जो भी थोड़ा बहुत किया यदि उससे लोग सीखते हैं तो समरसता बढ़ेगी। वैसे भी बेटियों का घर बसाने से बड़ा पुण्य और क्या होगा। जन सेवा का यह क्रम सांस रुकने तक चलता रहेगा।
1982 से गरीबी हटाने में लगे हैं भिखारी बाबा
1982 से गरीबी उन्मूलन में सक्रिय 63 वर्षीय भिक्षु भिखारी बाबा को अपने प्रयासों का सार्थक परिणाम वर्ष 2005 में मिलना शुरू हुआ, जब वे आदिवासियों व गरीबों के संपर्क में आए। बाबा को गरीबों की बेटियों की शादी व उसका खर्च जुटाने की समस्या समझ में आई। इसके बाद लोगों के सहयोग से गरीब-अनाथ युवतियों की सामूहिक शादी कराने का उन्होंने बीड़ा उठा लिया।
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