मुख्तार: ‘खनन…स्क्रैप, शराब और रेलवे ठेकेदारी पर कब्जा’, जानें, कौन है Mukhtar Ansari, जिसने जेल में रहकर जीत लिए 3 चुनाव

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उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसके साथ ही प्रशासन ने उनके परिवारवालों को भी इसकी जानकारी दे दी है. बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई है. जिसको लेकर परिवारवारों ने गंभीर आरोप भी लगाए हैं. उनका कहना है मुख्तार अंसारी को खाने में धीमा जहर दिया गया है. जिससे उनकी तबीयत खराब हुई है.

परिवार का रहा राजनीतिक रसूख

मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. 17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. इसके अलावा चाचा हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं. मुख्तार अंसारी भले ही संगठित अपराध का चेहरा बना हुआ है. लेकिन उसके परिवार की पहचान आज भी राजनीतिक परिवार के रूप में होती है.

जेल में रहकर जीते 3 चुनाव

1996 में BSP के टिकट पर जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले मुख़्तार अंसारी ने 2002, 2007, 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल की. इनमें से आखिरी 3 चुनाव उसने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते. पूर्वांचल से लेकर पूरे देश में मुख्तार अंसारी के नाम का खौफ 2017 से पहले तक था. लेकिन 2017 में यूपी की सत्ता बदलने के साथ ही मुख्तार अंसारी के लिए बुरे दौर की शुरुआत हो गई. कहते हैं कि ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में अंसारी का कब्ज़ा है. जिसके दम पर उसने अपनी सल्तनत खड़ी की है. मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने गाजीपुर पुलिस के सामने सरेंडर किया था. और तभी से वो जेल में बंद हैं. पहले उन्हें गाजीपुर जेल में रखा गया. फिर वहां से मथुरा जेल भेजा गया. फिर मथुरा से आगरा जेल और आगरा से बांदा जेल भेज दिया गया था. उसके बाद से आज तक मुख्तार को बाहर आना नसीब नहीं हुआ.

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कृष्णानंद राय की हत्या में आया मुख्तार का नाम

सियासी अदावत से ही मुख्तार अंसारी का नाम बड़ा हुआ और वो साल था 2002 जिसने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छीन ली. कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई. जिसमें मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया. हालांकि सबूतों के अभाव में मुख्तार अंसारी इस मामले से बरी हो गए.

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