New Year 2024 : यह तो नव वर्ष है ही नहीं…..

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New Year 2024 :  देश भर में बीते दस दिनों से नव वर्ष के आगमन की तैयारियां चल रही थी, इसके साथ ही आज नए साल की शुरूआत का जश्न देशभर में मनाया जा रहा है. इस जश्न में हर कोई शामिल हो रहा है, लेकिन क्या आपको पता है सनातनी हिंदू कैलेडर जो कि सबसे पुराना है, उसके अनुसार तो, यह नव वर्ष है ही नहीं. हिन्दू धर्म का नव वर्ष चैत्र माह से शुरू होता है. इस साल 2024 में सनातनियों का नववर्ष 26 मार्च को माना जाना है.

लेकिन उस दिन कोई शुभकामनाएं देते हुए नहीं नजर आता है. यह काफी बड़ी विडंबना है कि, हमें हमारे ही नववर्ष के विषय में जानकारी ही नहीं है. हम पूरी तौर पर पश्चिमी सभ्यता से ग्रसित है. यह हमारे समाज का एक कड़वे सत्य के समान है. क्या आपने कभी किसी को हिंदू पंचांग के अनुसार, जन्मदिन मनाते देखा है, शायद नहीं या फिर देखा भी होगा तो बहुत कम. लेकिन इस चीज को समझने के लिए आपको जरूरत हिन्दू पंचांग को समझने की है. इस लेख के माध्यम से हम आपको हिंदू पंचाग समझाने का प्रयास कर रहे है. सबसे पहले आपको बता दें कि, हमारे घरों में मौजूद कैलेंडर सनातन पंचांग नहीं है, यह अंग्रेजी कैलेंडर है, जिन्हें ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है. हमारे सनातन धर्म में विक्रम संवत पंचांग के अनुसार चलता है, जोकि ग्रेगोरियन से भी पुराना है इस विक्रम संवत की शुरूआत राजा विक्रमादित्य ने की थी.

विक्रम संवत के अनुसार ये हैं महीने

चैत्र (मार्च-अप्रैल),
वैशाख (अप्रैल-मई)
, ज्येष्ठ (मई-जून)
, आषाढ़ (जून-जुलाई),
श्रावण (जुलाई-अगस्त)
, भाद्रपद (अगस्त-सितंबर)
, अश्विनी (सितंबर-अक्टूबर)
, कार्तिका (अक्टूबर-नवंबर)
, मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर),
पौष (दिसंबर-जनवरी)
, माघ (जनवरी-फरवरी)
, फाल्गुन (फरवरी-मार्च)

हैं.

अधिक मासिक:—

यह मास हर साल की तरह नहीं होता है, यह तीन साल बाद होगा, ज्योतिषी कहते हैं. (हिंदू कैलेंडर में बारह महीने आते हैं, जो चंद्रमा की गति पर आधारित हैं. सूर्य कैलेंडर में प्रत्येक वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे रहते हैं. जबकि हिंदू कैलेंडर के अनुसार चंद्रमा का वर्ष 354 दिनों का होता है. दोनों वर्षों में लगभग ग्यारह दिन का अंतराल है. 11 दिनों का अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर है, इस अंतर को दूर करने के लिए हर तीन वर्ष में एक चंद्र महीना होता है. शास्त्र में अधिक मास को पुरषोत्तम मास या मलमास भी कहते हैं.

हिंदू पंचांग में होते हैं इतने माह

हर महीने को दो चरणों में विभाजित किया जाता हैं: –

हर महीने को दो चरणों में विभाजित किया गया है
. शुक्ल पक्ष (15 दिन) – अमावस्या से आरंभ होता है और पूर्णिमा (पंद्रवे दिन ) समाप्त होता है.
कृष्ण पक्ष (15 दिन)- पूर्णिमा से आरंभ होता है और अमावस्या (पंद्रवे दिन) समाप्त होता है.

30 दिन की गणना इस प्रकार होती है-

कृष्ण–पक्ष प्रतिपदा,
कृष्ण–पक्ष द्वितीय,
कृष्ण–पक्ष तृतीया,
कृष्ण–पक्ष चतुर्थी,
कृष्ण–पक्ष पंचमी,
कृष्ण–पक्ष षष्ठी,
कृष्ण–पक्ष सप्तमी,
कृष्ण–पक्ष अष्टमी,
कृष्ण–पक्ष नवमी,
कृष्ण–पक्ष दशमी,
कृष्ण–पक्ष एकादशी,
कृष्ण–पक्ष द्वादशी,
कृष्ण–पक्ष त्रयोदशी,
कृष्ण–पक्ष चतुर्दशी,

अमावस्या
शुक्ल–पक्ष प्रतिपदा,
शुक्ल–पक्ष द्वितीया,
शुक्ल–पक्ष तृतीया,
शुक्ल–पक्ष चतुर्थी,
शुक्ल–पक्ष पंचमी,
शुक्ल–पक्ष षष्ठी,
शुक्ल–पक्ष सप्तमी,
शुक्ल–पक्ष अष्टमी,
शुक्ल–पक्ष नवमी,
शुक्ल–पक्ष दशमी,
शुक्ल–पक्ष एकादशी,
शुक्ल–पक्ष द्वादशी,
शुक्ल–पक्ष त्रयोदशी,
शुक्ल–पक्ष चतुर्दशी.

हिंदू पंचांग के अनुसार कैसे समझे तिथि ?

कृष्ण पक्ष – दशमी – महीने का 10 वां दिन
अमावस्या माह का 15 वां दिन
शुक्ल पक्ष – प्रतिपदा 16 वां दिन
पूर्णिमा – माह का 30 वां दिन, चंद्र देव को भगवान शिव ने बचाया था दक्ष के श्राप से. इसलिए चंद्रमा 15 दिवस में घटते और बढ़ते हैं.

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कैसे लिखते हिंदू पंचांग की तिथि

इसका प्रारूप इस प्रकार है –
माह – पक्ष- दिन – साल
कार्तिक, शुक्ल पक्ष, पंचमी 2080.

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