लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा सुप्रीमाे ने दिए ये संकेत
लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूपी- उत्तराखंड के सभी प्रभारियों की बैठक
यूपी: देश में आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी दलों की तरह अब बसपा सुप्रीमो मायावती भी सक्रिय हो गयी है. मायावती ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूपी- उत्तराखंड के सभी प्रभारियों की कल बैठक बुलाई थी. बैठक में मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियों को लोकसभा चुनाव से जुड़े कई तरह के दिशा- निर्देश जारी किये. उन्होंने कहा कि- देश और यूपी सहित विभिन्न राज्यों में सरकारों की संकीर्ण, जातिवादी और जनविरोधी नीतियों के कारण राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं. ऐसे में किसी एक पार्टी का वर्चस्व न होकर बहुकोणीय संघर्ष का रास्ता चुनने को लोग आतुर नजर आ रहे हैं. ऐसे में लोकसभा का अगला चुनाव दिलचस्प, संघर्षपूर्ण होने की प्रबल संभावना है.इसमें बसपा की अहम भूमिका होगी.
आपको बता दें कि देश के चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बसपा अब लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी है. इसी सिलसिले में मायावती ने प्रदेश कार्यालय में यूपी और उत्तराखंड के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने अकेले दम पर चुनाव लड़ने के फैसले को अटल बताते हुए जमीनी स्तर पर जनाधार बढ़ाने की बात कही और प्रत्याशी चयन को लेकर निर्देश दिए. उन्होंने संगठन की रिपोर्ट लेने के बाद कमियां दूर करने के निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि कैडर व्यवस्था को मजबूत करें और युवा मिशनरी लोग तैयार करें.
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परिनिर्वाण दिवस पर राजधानी और नोएडा में बड़ा आयोजन
डॉ. आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर बसपा लखनऊ और नोएडा में दो बड़े आयोजन करेगी. नोएडा में राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर छह मंडलों आगरा, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ और सहारनपुर के कार्यकर्ता जुटेंगे. लखनऊ में आंबेडकर स्मारक स्थल पर अन्य 12 जिलों के कार्यकर्ता श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जुटेंगे. पार्टी सूत्रों का कहना है कि मायावती इन दोनों में से किसी आयोजन में शामिल नहीं होंगी. वह अपने आवास पर ही बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी.
छोटी पार्टियों से कोई परहेज नहीं
मायावती एक ओर तो अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात कर रही हैं, वहीं मिलीजुली सरकार की आशंका भी जता रही हैं. उसमें बसपा की भूमिका अहम बता रही हैं. अब सवाल यह है कि आखिर बसपा की रणनीति क्या है? हाल ही में हुए चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से इस बात को समझा जा सकता है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बसपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ समझौता किया. इससे जाहिर है कि I.N.D.I.A. और NDA से पार्टी ने भले दूरी बना रखी है, लेकिन छोटी स्थानीय पार्टियों से कोई परहेज नहीं है. इस तरह बसपा की कोशिश है कि किसी तरह इन राज्यों में अपना पुराना प्रदर्शन बरकरार रख ले या उसमें कुछ और सुधार कर ले. इसके बाद अगर अंतिम समय में कोई संभावना बनती है तो फिर गठबंधन की राह भी खुल सकती है. लोकसभा में कुछ भी सीटें आ गईं तो फिर चुनाव बाद गठबंधन की सरकार में वह शामिल हो सकती है.