Explainer : राहुल गांधी की याचिका खारिज, क्या मानहानि मामले के बाद लड़ पाएंगे चुनाव

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरनेम वाले मानहानि मामले में बुरी तरह फंसते दिखाई दे रहे हैं। आलम ये है कि अब राहुल गांधी की चुनाव लड़ने पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी के मोदी सरनेम वाले बयान से जुड़े मानहानि के मामले को गुजरात हाई कोर्ट ने सही ठहरा दिया है। हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही बताया है। इससे अब राहुल गांधी की चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।

राहुल गांधी को गुजरात कोर्ट से झटका

बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। ऐसे में अब कांग्रेस पार्टी के दिग्गज इस मामले में गहन मंथन करने में जुट गए हैं। कांग्रेस ने इस मामले में बड़े-बड़े दिग्गज वकील खड़े किए हैं। बताया जा रहा है कि गुजरात हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को कांग्रेस ले जाएगी। निश्चित तौर पर इस मामले में राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में मामले को चुनौती दी जाएगी। इसके अलावा अब राहुल गांधी के पास कोई और विकल्प भी नहीं बचा है।

क्या है मानहानि का मामला

राहुल गांधी पर मानहानि का ये मामला साल 2019 का है। जब राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान गुजरात में पीएम मोदी के सरनेम को लेकर एक बयान दिया था। राहुल गांधी ने कहा था, टसारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं। आप जानते हैं कि मोदी सरनेम पिछड़े और अतिपिछड़े समाज के लोगों का होता है।’ इस बयान के बाद राहुल गांधी पर बीजेपी की ओर से मानहानि का मामला दर्ज हुआ था। जिसपर अब हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की ओर से दायक की गई याचिका को ठुकरा दिया है और मामले को रही करार दिया। बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन माफी मांगना उनकी फितरत में नहीं है। मानहानि मामले में राहुल गांधी अपराधी हैं।

 

मार्च में कोर्ट ने सुनाई थी राहुल गांधी को सजा

गौरतलब है कि  निचली अदालत ने 23 मार्च 2023 को राहुल गांधी को आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। उसके बाद उनकी सदस्यता चली गई थी और वह पूरा मामला तूल पकड़ चुका था। अब गुजरात हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसमें राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली और निचली अदालत की जो दो साल के कारावास की सजा थी, उसे बहाल रखा और हाई कोर्ट ने कहा, ये आदेश बिल्कुल न्यायसंगत है, उचित है और वैध है।अदालत का कहना था कि जो दोषसिद्धि है उस फैसले पर रोक लगाने के लिए कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। और ये भी कहा कि राहुल गांधी का जो मामला है, उसमें जो भी कोशिश की जा रही है, जो आधार दिए गए हैं, दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए वे बिलकुल बेबुनियाद हैं। यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि दोषसिद्धि पर रोक कोई नियम नहीं है, बल्कि अपवाद है।

राहुल गांधी पर मानिहानि के और 10 मामलें

हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से दायर राहुल गांधी के खिलाफ 10 आपराधिक मामले पहले से पेंडिंग हैं। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर के मामले में उनके पोते की अर्जी है। उसमें भी उन्होंने अपमानजनक बयान का आरोप लगाया हुआ है। इस तरह के तमाम मामले हैं जो राहुल गांधी के खिलाफ निचली अदालतों में पेंडिंग है। और हाई कोर्ट ने कहा कि दोषसिद्ध यानी जो कन्विक्शन है, उसको स्टे करना कोई नियम नहीं है। ये विरले केस में होता है और राहुल गांधी को कोई राहत नहीं दी और दो साल की सजा को बहाल रखा है।

राहुल गांधी के चुनाव-2024 पर मंडराया खतरा

यहां यह जानना बहुत जरूरी है अगर दोषसिद्धि पर रोक नहीं तो राहुल गांधी को चुनाव लड़ने पर जो तलवार लटक रही है, वो चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। वो तलवार अभी भी लटक रही है, क्योंकि दोषसिद्ध पर स्टे नहीं हुआ है। तो राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का विकल्प बचा हुआ है और सुप्रीम कोर्ट से भी कल अगर मामला खारिज हो जाता है तो रिव्यू पिटिशन और क्यूरेटिव पिटिशन बाद का मामला है। लेकिन फिलहाल राहुल गांधी सुप्रीम का रुख करेंगे और सुप्रीम कोर्ट से पहली कोशिश यही होगी कि राहुल गांधी केश पेंडिंग रहने के दौरान जमानत पर रहें और दूसरा जो कन्विक्शन है, उसको स्टे करवाया जाए। क्योंकि कन्विक्शन जब तक स्टे नहीं होगा, तब तक राहुल गांधी को कोई राहत नहीं होगी क्योंकि स्टे के बाद ही राहुल गांधी को चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो पाएगा। सदस्यता बहाल होनी तो बाद की बात है। अभी सबसे बड़ा सवाल है कि राहुल गांधी 2024 का इलेक्शन लड़ पाएंगे या नहीं और ये तब तक नहीं होगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट से इनको राहत नहीं मिलती। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का जो विकल्प है, उसे खंगालने की कोशिश की जाएगी।

राहुल गांधी चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं

इस मामले को अलग-अलग विकल्प के तौर पर देखना जरूरी है। इस मामले में कई सारी संभावनाएं हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट में मामला जाता है और सुप्रीम कोर्ट पहली नजर में राहुल गांधी के खिलाफ हाई कोर्ट का जो जजमेंट है, उस पर स्टे करता है और उनका जो कन्विक्शन है उसको स्टे किया जाता है। देखिए, सजा पर स्टे और कन्विक्शन पर स्टे, दोनों अलग-अलग मामले हैं। सजा पर स्टे का मतलब होता है कि जेल नहीं जाना होगा। लेकिन कन्विक्शन स्टे होने का मतलब है कि उनको जो अयोग्य ठहरा दिया गया है, फिर वह अयोग्यता वापस हो जाएगी और राहुल गांधी चुनाव लड़ सकेंगे।

 

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