बुलढानी में मुस्लिम नहीं देंगे कुर्बानी, एकादशी-बकरीद एक दीन होने से लिया फैसला
29 जून को देश में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के दो त्याहौर साथ में पड़ रहे हैं। इस दिन हिंदुओं की व्रती त्यौहार आषाढ़ी एकादशी और मुस्लिम लोगों की बकरीद मनाई जाएगी। ये दोनों त्योहार एक ही दिन होने से बुलढाना शहर में अनोखी पहल देखने को मिलेगी। इस साल बुलढाना का मुस्लिम समुदाय बकरीद पर कुर्बानी नहीं देगा। इस बार यहां के मुस्लिम लोग शाकाहारी बकरीद मनाएंगे। ये फैसला इसलिए लिया गया है, क्योंकि एकादशी के दिन हिंसा नहीं होती है। हिंदू धर्म की आस्था को ठेस ना पहुंचे, इसके लिए बुलढाना जिले के देउलगाँवराजा के मुस्लिमों ने ईद पर बकरे की बलि नहीं देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
शाकाहारी मनाएंगे बकरीद
बता दें, मुस्लिम समुदाय के लिए बकरीद कुर्बानी का दिन होता है। इस दिन ईद पर बकरे की बलि दी जाती है। तभी इस त्यौहार को बकरीद कहा जाता है। लेकिन इस बार बुलढाना में मुस्लिम समुदाय और हिंदू समुदाय भाईचारे की धारणा को जीवंत करेंगे। इस साल यहां बकरीद पर कोई बकरे की बलि नहीं देगा। बिना कुर्बानी के ही यहां के लोग बकरीद मनाएंगे।
बकरीद पर नहीं देंगे कुर्बानी
इस प्रस्ताव पर बुलढाणा के एसपी सुनील कड़ासेन का कहना है कि हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए यह अच्छी पहल है। यहां के मुस्लिम भाइयों से 29 जून को कुर्बानी नहीं देने की अपील की गई थी। इस अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए बुलढाणा जिले के देउलगांवराजा स्थित दरगाह मस्जिद ट्रस्ट ने एक बड़ा एलान किया है। मुस्लिम भाइयों ने देउलगांव राजा थाने में पत्र दिया है कि 29 जून को देउलगांव राजा शहर में मुस्लिम भाई कुर्बानी नहीं करेंगे।
बकरीद के अगले दिन देंगे कुर्बानी
बुलढाना बेहद ही संवेदनशील माना जाने वाला शहर है। जो नंदुरबार जिले में आता है। यहां हिंदू-मुस्लिम एकता की पुष्टि हुई है। एक ही दिन एकादशी और बकरीद होने से कानून व्यवस्था ध्वस्त होने का खतरा था। ऐसे में जब बारा थाना अंतर्गत आयोजित शांति समिति की बैठकों में बकरीद के दिन आषाढ़ी एकादशी आने की बात कही गई थी। प्रस्ताव को मानते हुए मुस्लिम समुदाय ने इस दिन कुर्बानी नहीं देने का फैसला किया है। वहीं, मुस्लिम समुदाय ये भी एलान किया है कि वो लोग अगले दिन कुर्बानी देंगे। इससे दोनों ही समुदायों के बीच भाईचारा बना रहेगा।
एकादशी के चलते के लिए लिया फैसला
कुर्बानी नहीं देने का फैसला जिले के सभी इलाके में लागू होगा। इस फैसले से भविष्य में आने वाले समय में जिले में सामाजिक एकता कायम रखने में मदद मिलेगी। इसके लिए पुलिस की ओर से गांववार शांति समिति की बैठकें भी की गईं। इन बैठकों में सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के कारण जिले में एकादशी और बकरीद हर्षोल्लास के साथ मनाई जायेगी। इससे हिंदुओं को भी राहत मिल गई है। आषाढ़ी एकादशी के दिन हिंदू परिवार अब व्रत-पूजा कर त्यौहार को मना पाएंगे। क्योंकि एकादशी के दिन हिंसा (बलि देना) स्वीकार नही होता है। ऐसे में जगह-जगह खून गिरने से हिंदू आस्था पर आघात होता और इससे हिंसात्मक गतिविधियां भी बढ़ने का खतरा रहता।
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