आर्थिक विकास पर चर्चा का मंच है G20, 2023 में मेजबानी कर रहें भारत को जी20 से बड़ा लाभ
आज भारत वाराणसी में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। यह भारत के लिए कई मायनों में काफी खास साबित होगा। पिछले साल 2022 में भारत को जी20 सम्मेलन 2023 की अध्यक्षता सौंपी गई थी। जो आज पीएम मोदी के संसदयी क्षेत्र काशी में आयोजित की जा रही है। साल 2023 में हो रहे जी20 सम्मेलन के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है। यह भारत के लिए गौरव से कम नही है। इस बैठक में मजबूत अर्थव्यवस्था वाले 20 देश शामिल होंगे, जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। जी20 से देश की विदेशी नीतियां प्रगाढ़ होंगी और देश को आर्थिक लाभ मिलेगा। जी20 एक वैश्विक मंच है, जिसका मकसद आर्थिक सहयोग करना है।
वैश्विक मंच है जी20 समूह
जी20 को ग्रुप ऑफ ट्वेंटी भी कहा जाता है। यानी यह यूरोपियन यूनियन और 20 देशों का एक अनौपचारिक समूह है। जी20 शिखर सम्मेलन में समूह से जुड़े नेता हर साल चर्चा के लिए एकत्रित होते हैं। इस जी20 के मंच पर इन देशों के नेता वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक चर्चा करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जी20 एक मंत्रिस्तरीय मंच है, जिसे G7 द्वारा विकसित एवं विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग से गठित किया गया था।
1999 में हुआ था जी20 का गठन
जी20 का गठन दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था। इसकी स्थापना वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों पर सामूहिक चर्चा के लिए एक मंच के रूप में हुई थी। पहली बार यह बैठक एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए की गई थी। लेकिन 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद जी-20 समूह का पूर्ण रूप से गठन हुआ था। जी20 समूह वैश्विक स्तर पर आर्थिक मामलों में सहयोग के लिए काम करता है। सभी देश की आर्थिक नीतियों पर चर्चा के लिए जी 20 का ये शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है। इस साल 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत को मिली है।
जी20 से जुड़े हैं ये देश
गौरतलब है कि साल 2008 में दुनिया ने भयानक मंदी का सामना किया था। इसके बाद इस संगठन में भी बदलाव हुए और इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया। इसके बाद यह निश्चय किया गया कि साल में एक बार G20 राष्ट्रों के नेताओं की बैठक की जाएगी। साल 2008 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इसका आयोजन किया गया। वहीं G-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
जी20 सम्मेलन का मकसद
इस मंच का सबसे बड़ा मकसद आर्थिक सहयोग है। मालूम हो कि इसमें शामिल देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के देशों की 80 फीसदी है। समूह साथ में आर्थिक ढांचे पर तो काम करते ही है। साथ ही आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर भी बातचीत करता है। इसके केंद्र में आर्थिक स्थिति को कैसे स्थिर और बरकरार रखें, होता है. इसके साथ ही मंच विश्व के बदलते हुए परिदृश्य को भी ध्यान में रखता है और इससे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसमें व्यापार, कृषि, रोगार, ऊर्जा, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, आतंकवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। इस मंच की सबसे बड़ी खासियत ये है कि हर साल शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के शीर्ष नेताओं की आपस में मुलाकात होती है। जी20 दुनिया की प्रमुख और व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है । इसके सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75% और दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
2023 में भारत कर रहा जी20 की अध्यक्षता
इस साल 2023 में भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण कर ली है। इसी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले समूह जी-20 के अध्यक्ष बन चुके हैं। पिछले साल ही 2023 के लिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पीएम नरेंद्र दामोदर दास मोदी को जी-20 की अध्यक्षता सौंप दी थी। पीएम मोदी अब 30 दिसम्बर 2023 तक जी20 के अध्यक्ष बने रहेंगे। इसी के तहत आज वाराणसी में जी20 सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इसके अलावा 2023 में ही जी20 खजुराहो शिखर सम्मेलन 23 से 25 फरवरी तक किया जाना है।
2023 में जी20 की थीम
इस साल भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 सम्मेलन की थीम डिजिटल इंडिया है। इसी के तहत जी20 सम्मेलन की तैयारियां की गई हैं। 2023 के जी20 की शुरूआत आज वाराणसी में हो रही है। आज दुनिया ‘डिजिटल इंडिया’ देखेगी। इसमें अलग-अलग देशों के 141 डेलीगेट्स शामिल होंगे। आज से शुरू हो रही जी20 बैठक में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल स्किलिंग पर चर्चा होगी।
जी20 को लेकर भारत की चुनौतियां
भारत के लिए जहां गौरव की बात है तो सामने इसे लेकर कठिन चुनौतियां भी हैं। भारत की जी20 प्राथमिकताओं में समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, अन्य शामिल हैं। वहीं भारत को एक एजेंडा तैयार करना है जिसमें सभी सदस्य एकमत हों। साथ ही आंतरिक शासन सुधार समय की मांग है और भारत को समावेशिता और एकता पर जोर देना होगा। इससे एक आम सहमति बनाने में मदद मिलेगी जो मंच के लिए एक व्यवहारिक, वास्तविक एजेंडा निर्धारित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी। अन्य चुनौतियों में वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय करना और रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक स्पष्ट जी20 नीति शामिल है। ऐसे समय में जब रूस को मंच से निकालने की मांग उठ रही है। भारत को सभी जी20 सदस्यों के लिए ‘आचार संहिता’ पर सख्त बात करनी होगी और यह देखना होगा कि इसे कैसे लागू किया जाए।
जी-20 का सम्मेलन भारत के लिए खास
भारत के लिए जी20 सम्मेलन कई दृष्टिकोणों से काफी खास माना जा रहा है। विदेशी मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारतीय कूटनीति के लिहाज से जी-20 की यह बैठक काफी अहम है। इस मंच के जरिए भारत को यह मौका मिला है कि वह अपनी विदेश नीति के सार्वभौमिक मूल्यों को दुनिया के साथ साझा करें। इस शिखर सम्मेलन के जरिए ही भारत जी20 देशों के साथ अपने अनुभव साझा कर देश की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की नीतियों को अपनाने में सफल हो सकता है। ये विदेशी आर्थिक नीतियां भारत के विकास को और अधिक गति दे सकती हैं। दूसरी ओर जी20 सम्मलेन से जुड़कर भारत वैश्विक आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है। जिससे देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित मुद्दों पर अन्य देशों संबंध स्थापित हो सकें।
जी20 से भारत को होगा फायदा
देश इसके साथ एक उपयुक्त गंतव्य के रूप में उभर रहा है: वैश्विक सोचो, स्थानीय कार्य करो, ‘ग्लोकल’ की सेवा करो। इस अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमते हुए, भारत को अपने बड़े आंतरिक बाजार, निर्यात के लिए रणनीतिक स्थान और एक संपन्न निजी क्षेत्र के साथ एक विशिष्ट लाभ है। यह आंतरिक रूप से और दुनिया के लिए भारत की सेवा करता है।
कनाडा के लैरी समर्स ने की थी जी20 की शुरूआत
कनाडा के अकादमिक और पत्रकारीय स्रोतों ने मार्टिन और उनके अमेरिकी समकक्ष तत्कालीन ट्रेजरी सचिव लैरी समर्स द्वारा शुरू की गई एक परियोजना के रूप में G20 की पहचान की है। हालाँकि, सभी स्वीकार करते हैं कि जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका ने उनकी दृष्टि को वास्तविकता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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