पटना में विपक्षी नेताओं की बड़ी बैठक, राहुल गांधी व खड़गे की उपस्थिति अहम
बिहार के पटना में 23 जून को विपक्षी दलों के नेताओं की बड़ी बैठक होने जा रही है। ये बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुलाई है। इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भूमिका अहम मानी जा रही है। राहुल गांधी की इस बैठक में उपस्थिति इनती आवश्यक है कि उनके चलते इस बैठक की तारीख को 12 जून से 23 जून कर दिया गया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विपक्षी नेताओं की इस बैठक में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के शामिल होने की पुष्टि कर दी है। उन्होंने साफ कर दिया है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी शीर्ष विपक्षी नेताओं की बैठक में भाग लेंगे।
पटना में होने वाली विपक्षी नेताओं की बैठक के बार में केसी वेणुगोपाल ने एएनआई को बताया, कहा, ‘राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे पटना में विपक्ष की बैठक में भाग लेंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘विपक्षी दलों के बीच देश को बर्बाद करने वाली इन ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट होने का समय आ गया है।’
राहुल-खड़गे के लिए बदली गई तारीख
बता दें, पटना में विपक्ष की बैठक की तारीख 12 जून से बदलकर 23 जून कर दी गई है। यह स्थगन साफ दर्शाता है कि इसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए किया गया है।
आप की वजह से कट रहे थे खड़गे
अध्यादेश वाले मुद्दे पर कांग्रेस की चुप्पी के बीच आप की मौजूदगी ने पार्टी के सामने असमंजस की स्थिति पैदा कर दी थी। लेकिन फिर राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष को समझाया कि पार्टी को विपक्षी एकता का नेतृत्व करना चाहिए। क्योंकि अगर पार्टी बैठक में शामिल नही होती है तो इससे लो-प्रोफाइल प्रतिनिधिमंडल से यह संदेश जाएगा कि पार्टी इसे लेकर उदासीन थी। वहीं, सीएम नीतीश कुमार भी विपक्षियों की बैठक में भारत की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को शामिल करना चाहते थे। काफी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने 12 जून से कुछ दिन पहले ही अपनी मौजूदगी की पुष्टि कर दी है।
ये पार्टियां बैठक में होंगी शामिल
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को ही विपक्षी दलों की बैठक में भाग लेने के लिए हामी भर दी है। इसी के साथ इस बैठक में आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस भी उपस्थित होगी। इस बैठक में ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, केजरीवाल, हेमंत सोरेन, स्टालिन, अखिलेश यादव भी शामिल होंगे। इन सबकी सहमति से बैठक की तारीख तय हुई है।
बैठक में राहुल गांधी व खड़गे क्यों अहम
इस बैठक में राहुल गांधी और खड़गे की मौजूदगी की अहम होंगी। जिसकी वजह है कांग्रेस द्वारा कर्नाटक में भाजपा को हराकर जीत हासिल करना। बिहार के सीएम अच्छी तरह जानते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा और कर्नाटक में सरकार बनने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी की डिमांड बढ़ रही है। जनता अब राहुल गांधी में राजीव गांधी की झलक देखने लगी है। दूसरी बात ये भी है कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। कर्नाटक में चुनाव जीतकर कांग्रेस पार्टी ने यह साबित कर दिया है कि वह अभी भी देश की सबसे ताकतवर पार्टी होने का दम रखती है। साथ ही भारत भर में भाजपा का कोई जवाब अगर हो सकता है तो वह कांग्रेस है।
पटना की बैठक का उद्देश्य
इस बैठक का उद्देश्य 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को लामबंद करना है। पटना की बैठक को इसी दिशा में एक मजबूत बुनियाद के तौर पर देखा जा रहा है। इस बैठक में सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर भाजपा के खिलाफ मजबूत विस्फोटक तैयार करने की प्लानिंग भी तय हो सकती है। जिससे देश भर में फैली भाजपा की मजबूत जड़ों को काटा जा सकें। इस बैठक के बाद कई नए गठबंधन होने के भी संकेत मिल सकते हैं।
1996 में हुई थी ऐसी विपक्षी बैठक
इससे पहले विपक्षी एकता की यह पहल सीपीएम के तत्कालीन महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत ने साल 1996 में की थी। हरकिशन सिंह सुरजीत ने दो महत्वपूर्ण मौके पर राजनीतिक जरूरतों को देखते हुए गठबंधन की राजनीति की नई परिभाषा गढ़ी थी। इसी को बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी दौहरा रहे हैं। हरिकिशन सिंह सुरजीत ने 1996-97 में कांग्रेस के खिलाफ भाजपा समेत सभी विपक्षियों को एकजुट करने और राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की पहल की थी। इसके अलावा उन्होंने 2004 में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस समेत तमाम विपक्षियों को जोड़कर यूपीए को मजबूत करने के लिए एकजुट विपक्षी नेताओं की बैठक की थी।
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