जानें, कैसे होता है भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव?

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राष्ट्रपति चुनाव के बाद अब उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग 5 अगस्त को होगी। जिसके बाद देश को नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा। वर्तमान में हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन हैं। आइए आप को बताते हैं कि उपराष्ट्रपति पद के लिए कौन वोटिंग करता हैं और कैसे देश के उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है?

कौन करता है वोट?

उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा सदस्य और राज्यसभा के सदस्य अपना मत देकर चुनते हैं। इसमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी वोट करते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है। इस पद पर चुना गया व्यक्ति जनप्रतिनिधियों की पसंद होता है। ये चुनाव इसलिए भी अहम होता है क्योंकि उप राष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है।

790 निर्वाचक लेते हैं चुनाव में हिस्सा

दोनों सदनों के 790 निर्वाचक इस चुनाव में हिस्सा लेते हैं। जिसमें राज्यसभा के 233 (12 मनोनीत सदस्य) होते हैं जबकि लोकसभा के 543 (2 मनोनीत सदस्य) होते हैं। उपराष्ट्रपति के कार्यकाल के खत्म होने के 60 दिनों के अंदर ही चुनाव कराना होता है।

चुनाव आयुक्त एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है

इसके लिए चुनाव आयुक्त एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करता है जो एक सदन का सेक्रेटरी जनरल होता है। उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के पास 20 प्रस्तावक और कम से कम 20 अनुमोदक होना अनिवार्य है। ये अनुमोदक किसी एक सदन के सदस्य ही होंगे। उम्मीदवार को जमानत के तौर पर 15 हजार रुपए की राशि जमा करना होता है।उसके बाद इसके निर्वाचक अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और उम्मीदवारों के नाम बैलेट में शामिल करता है।

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उपराष्ट्रपति पद के लिए कौन होता है योग्य?

1- कोई भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए तभी योग्य हो सकता है जब वो भारत का नारृगरिक हो और 35 साल की उम्र पूरी करता हो

2- उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाने वाला व्यक्ति भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्यरत नहीं होना चाहिए।

3- अगर कोई राज्यसबा या लोकसभा का सदस्य उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना जाता है तो उसके बाद उसके बाद समझा जाता है कि उसने अपने पद को छोड़ दिया है।

चुनाव प्रकिया

a- उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है, जिसे सिंगल ट्रांसफेरबल वोट सिस्टम कहा जाता है।

b- इसके तहत वोटर को मतदान तो एक ही करना होता है लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है।

c- मतदाता बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली दूसरी और इसी क्रम में प्राथमिकता देता है।

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इस तरह से होती है वोटों की गिनती

सबसे पहले देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं फिर सभी पहली प्रथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है कुल संख्या को 2 से भाग दिया जाता है और बचे हुए वोटों में एक जोड़ दिया जाता है। इस तरह जो संख्या मिलती है उसे कोटा माना जाता है जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने का निर्धारण करता है।

अगर कोई उम्मीदवार पहली गिनती में जीत के लिए जरुरी कोटे के बराबर या इससे ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे जीता हुआ मान लिया जाता है। जब ऐसा नहीं होता है तो प्राक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।

वोटों की गिनती हो जाने के बाद निर्वाचन अधिकारी नतीजे का ऐलान करता है और रिजल्ट को चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय के पास भेज देता है। जिसके बाद केंद्र सरकार अपने अधिकारिक गैजेट पर चुने हुए उम्मीदवार का नाम प्रकाशित करती है।

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किसके सामने लेना होता है शपथ?

उपराष्ट्रपति को पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति के सामने या उसके द्वारा नियुक्त व्यक्ति के सामने शपथ लेनी होती है।

किसको सौंप सकता है इस्तीफा?

अगर कभी उपराष्ट्रपति को अपने पद से त्यागपत्र देना हो तो ऐसे में वो अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति के पास भेजता है। जब राष्ट्रपति इस्तीफे को स्वीकार करता है तभी त्यागपत्र मान्य होता है और उपराष्ट्रपति अपने पद से मुक्त हो जाता है।

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