क्यों रोने पर आते है आंसू? जानें इसके पीछे का विज्ञान

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अक्सर आपने देखा होगा कि जब भी कोई रोता है तो उसकी आंखों से आंसू आने लगते हैं. क्या कभी आपने ये सोचा है कि आखिर रोते समय आंखों में आंसू क्यों आते हैं? आंसू आने की असली वजह क्या होती है? आखिर भावनाओं और आंसूओं के बीच क्या कनेक्शन होता है. असल में आंखों से आंसू आने के पीछे भी विज्ञान होता है. आइए जानते हैं रोने पर आने वाले आंसूओं के पीछे क्या विज्ञान है और ऐसा किस वजह से होता है.

क्यों आते हैं आंसू?…

वैज्ञानिकों के अनुसार आंख में आंसू कई वजहों से आते हैं. पहले आंसू आंख को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करते हैं. इसलिए रोज आंखों से कुछ देर के लिए आंसू बहना आंखों के लिए अच्छा भी होता है क्योंकि आंसू आंख में नमी बनाए रखने के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होते हैं. इस तरह के आंसू आंख से बाहर नहीं आते यानी बहने वाले आंसू नहीं होते हैं.

कोई बाहरी पदार्थ…

आंसू आने का एक मतलब यह भी है कि आंखों में कोई अवांछनीय .यानी गैर जरूरी कण आ गए हैं जैसे कि धूल या फिर प्याज का रसायन जिसकी प्रतिक्रिया में आंख उसे आंसुओं के जरिए बाहर निकालने का प्रयास करती है. ऐसे में यदि बाहरी तत्व ज्यादा देर तक आंख में रहता है तो ज्यादा देर तक आंसू निकलते हैं जिससे आंखें लाल भी दिखने लगती हैं.

नमी लौटाने का काम…

आज कर के कम्प्यूटर मोबाइल के दौर में लोगों को ड्राय आई की समस्या में आखों का नम होना काफी काम आता है. यानी थोड़े आंसू आंखों की नमी को लौटाने का काम भी कर जाते हैं, लेकिन यह समस्या का ऐसा समाधान नहीं जिसे कोशिश के जरिए उपयोग में लाया जा सकता है. वहीं हम जिसकी बात कर रहे हैं वे उन आंसुओं की हैं जिनका हमारे भावनात्मक स्थितियों से संबंध है.

आंसुओं की ग्रंथि…

आंख ठीक से काम करे इसके लिए आंखों में विशेष तरह की ग्रंथियां काम करती हैं जो आंख में जरूरत पड़ने पर आंसू लाने का काम करती हैं. सामान्य रूप से एक दिन में आधी चम्मच से भी कम के आंसू निकलना पर्याप्त है. ये ऐसा पानी होता है जिसमें थोड़ा सा नमक मिला होता है और साथ ही थोड़ा सा तेल, म्यूकस और रोगाणु मारने वाले रसायन भी होते हैं.

आंसू, भावना और दिमाग…

पलक झपकने से आंसू पूरी आंख में बराबर फैल जाते हैं और उसका म्यूकस आंख से नमी चिपकाए रखने के काम आता है. बचे हुए आंसू नाक के जरिए बाहर निकल जाते हैं. जब कोई रोता है आंसू के फव्वारे का स्विच ऑन हो जाता है जो सीधे हमारे दिमाग के उस हिस्से से संकेत लेता है जो भावनाओं को नियंत्रित करता है. ऐसी स्थिति में कुछ ही मिनटों में आधा कप आंसू निकल आते हैं.

दिमाग से संकेत…

इसका संबंध हमारी नाक से भी होता है क्योंकि जब आंसू ज्यादा होते हैं तो वे नाक से पानी के रूप में बहने लगते हैं. इन्हें अतिरिक्त आंसू की तरह माना जा सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि भावनात्मक आंसू और समान्य आंसू अलग अलग होते हैं. यानि जब भी व्यक्ति भावुक होता है तो दिमाग का भावना नियंत्रण करने वाला हिस्सा उसी समय आंसुओं की ग्रंथियों को सक्रिय करने के संदेश भेज देता है और आंसू निकलने शूरू हो जाते हैं.

देखने में आया है कि लोगों की संवेदनशलीता पर भी आंसुओं का बहना निर्भर करता है. यह सिद्ध करता है कि आंसू का भावनाओं से कितना गहरा संबंध है. यही वजह है कि भावुक लोगों की आंखों में आंसू जल्दी आ जाते हैं और कई बार भावनाओं को नियंत्रण करने के प्रयास करने पर या भावनाएं बदलने पर ही आंसू बहना बंद हो जाते हैं. यही कारण हैं बच्चे जल्दी रोते हैं तो चुप भी जल्दी हो जाते हैं.

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