जिस घटना ने बदल दी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा, प्रभावित हुआ था गांधी का आंदोलन

0

भारत को आजादी पाने के लिए अगणित बलिदान देने पड़े थे। हजारों वीर स्वतंत्रता सेनानियों और हमारे सैनिकों की शहादत के बाद यह आजादी मिली है। अंग्रेजी शासन काल के काले दौर में स्वतंत्रता को लेकर कई ऐसी घटनाएं हुईं हैं जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अमर हो गईं उन्हीं में से एक गोरखपुर में हुआ चौरी चौरा कांड भी है। आज उसी चौरी – चौरा की ऐतिहासिक घटना को 100 साल पूरे हो गए हैं। जिसके उपलक्ष में चौरी – चौरा शताब्दी शहादत दिवस देशभर में मनाया जा रहा है और लोग उस लड़ाई में शहीद हुए क्रांतिकारियों को अपनी श्रद्धांजलि भी अर्पित कर रहे हैं।

जानिए, क्या है चौरी – चौरा कांड…

-चौरी-चौरा दरअसल उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में दो अलग-अलग गांवों के नाम थे। वहां के रेलवे ट्रैफिक मैनेजर ने इन गांवों का नाम एक साथ किया था और उन्होंने जनवरी 1885 में यहाँ एक रेलवे स्टेशन की स्थापना की थी। इसलिए शुरुआत में सिर्फ़ रेलवे प्लेटफॉर्म और मालगोदाम का नाम ही चौरी-चौरा था। बाद में जो बाज़ार लगने शुरू हुए, वो चौरा गांव में लगने शुरू हुए तो इसे संक्युत रूप से चौरी – चौरा कहा जाने लगा गया।

-दरअसल महात्मा गांधी की अगुवाई में 1 अगस्त 1920 को अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई थी। इसी को आगे बढ़ाते हुए स्वयंसेवकों ने 4 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा गांव में एक बैठक की और पास के बाजार में जुलूस निकालने का फैसला किया। सुबह आठ बजे लगभग 800 लोग एक जगह जमा हुए जहां चर्चा हो रही थी कि बदला कैसे लिया जाए।

-मीटिंग में भी अपने कुछ आदमियों को भेजकर पुलिस ने कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की लेकिन कार्यकर्ताओं ने बात नहीं मानी तब पुलिस ने उनके जुलूस को रोकने का प्रयास किया और गोलियां बरसाने लगे, जिसकी वजह से भीड़ और भी ज्यादा उग्र हो गई जिससे इस घटना में कुछ निहत्थे लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। पुलिस के इस आक्रामक और बर्बर बर्ताव से लोगों का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने चौरी-चौरा पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया। आपको बता दें इस घटना में 23 पुलिसकर्मियों की मौत हुई और कुल 7 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।

गांधी जी ने वापस लिया था असहयोग आंदोलन

हिंसा के बाद महात्मा गांधी ने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन वापल ले लिया था। गांधी के फैसले के बावजूद, अंग्रेजी सरकार ने प्रतिक्रिया में 19 गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों को ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा मौत की सजा और 14 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। गांधी के असहयोग आंदोलन वापस लेने के इस फैसले को लेकर क्रांतिकारियों का एक दल नाराज़ भी हुआ था तब 16 फरवरी 1922 को गांधीजी ने अपने लेख ‘चौरी चौरा का अपराध’ में लिखा कि अगर ये आंदोलन वापस नहीं लिया जाता तो दूसरी जगहों पर भी ऐसी घटनाएँ होतीं रहती। इसके बाद अंग्रेज सरकार द्वारा महात्मा गांधी पर राजद्रोह का मुकदमा भी चलाया गया और उन्हें मार्च 1922 में गिरफ़्तार कर लिया गया था।

असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को पारित हुआ था। गांधी जी का मानना था कि अगर असहयोग के सिद्धांतों का सही से पालन किया गया तो एक साल के अंदर अंग्रेज़ भारत छोड़कर चले जाएंगे। चौरी चौरा की हिंसक घटना के लिए महात्मा गांधी ने एक तरफ जहाँ पुलिस वालों को ज़िम्मेदार ठहराया क्योंकि उनके उकसाने पर ही भीड़ ने ऐसा कदम उठाया था तो दूसरी तरफ घटना में शामिल तमाम लोगों को अपने आपको पुलिस के हवाले करने को कहा क्योंकि उन्होंने अपराध किया था।

चौरी – चौरा शहीद स्मारक

अंग्रेज सरकार ने मारे गए पुलिसवालों की याद में एक स्मारक का निर्माण किया था, जिस पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जय हिन्द और जोड़ दिया गया।स्थानीय लोग भी उन 19 लोगों को नहीं भूले जिन्हें मुकदमे के बाद फाँसी दे दी गयी थी। 1971 में उन्होने ‘शहीद स्मारक समिति’ का निर्माण किया इसके बाद 1973 में समिति ने झील के पास 12.2 मीटर ऊँची एक त्रिकोणीय मिनार निर्मित की जिसके तीनों फलकों पर गले में फाँसी का फन्दा चित्रित किया गया। बाद में सरकार ने उन शहीदों की स्मृति में एक स्मारक बनवाया। इस स्मारक पर उन लोगों के नाम खुदे हुए हैं जिन्हें फाँसी दी गयी थी। स्मारक के पास ही स्वतंत्रता संग्राम से सम्बन्धित एक पुस्तकालय और संग्रहालय भी बनाया गया है। जानकारी हेतु बता दें कि उस घटना के क्रांतिकारियों की याद में भारत सरकार द्वारा कानपुर से गोरखपुर के मध्य में ‘चौरी-चौरा एक्सप्रेस’ नामक एक रेलगाड़ी चलाई गई।

रिपोर्ट :- विकास चौबे

 

Also Read: सेप्टिक टैंक की सफाई का बजट में प्रावधान। क्या सफाईकर्मियों की स्तिथि सुधार पाएगी सरकार ?

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More