जगन्नाथपुरी के अलावा लखनऊ में भी स्थापित है भगवान जगन्नाथ का सिद्ध मंदिर, 200 वर्ष पहले नवाब ने कराया था निर्माण, जानें इतिहास

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ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मन्दिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है. लेकिन, इसके अलावा, यूपी की राजधानी लखनऊ में भी ‘भगवान जगन्नाथ’ का सिद्ध मंदिर स्थापित है. यह मंदिर 200 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण अवध के नवाब आसिफ उद्दौला ने करवाया था. इस प्राचीन मंदिर में भगवान गणेश और गरुड़ की मूर्ति भी स्थापित है. इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है. तो आइये जानते है इस मंदिर के मान्यता और इतिहास के बारे में.

Lord Jagannath Temple Lucknow

 

कहां स्थापित है ये मंदिर…

भगवान जगन्नाथ का मंदिर लखनऊ के चिनहट और मल्हौर रेलवे स्टेशन के थोड़ी दूर पर बना हुआ है. अब यह पूरा इलाका सराय शेख नाम से प्रसिद्ध है. 200 वर्ष पुराने मंदिर का निर्माण अवध के नवाब आसिफ उद्दौला ने करवाया था. उन्होंने इस मंदिर का निर्माण पूरा हो जाने के बाद इसके गुंबद पर चांद लगवाया था, जो आज भी मौजूद है. यह पूरी मंदिर लखौरी ईटों से बनाया गया है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही दाएं ओर भगवान गणेश हैं और बाईं ओर गरुड़ भगवान हैं. सामने जगन्नाथ बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजमान हैं. शालिग्राम भगवान भी हैं. इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के ऊपर काले रंग की चतुर्भुज भगवान विष्णु की एक प्रतिमा है.

Lord Jagannath Temple Lucknow

मंदिर का इतिहास…

इस मंदिर के महंत चंद्रदेव दास ने बताया

‘इस इलाके में पहले एक विधवा स्त्री रहती थी, जोकि उड़ीसा पुरी यात्रा से लौटी थी. उसका दोबारा जाने का बहुत मन था. लेकिन, बुढ़ापे की वजह से वह जगन्नाथपुरी नहीं जा पाई. वह भगवान जगन्नाथ को अपना इष्ट देव मानती थी. एक दिन भगवान जगन्नाथ उसके सपने में गए और उन्होंने बताया कि यहां पर एक रामगंगा है, उसमें उनकी चतुर्भुज काले रंग की प्रतिमा है. उसको वहां से निकालकर मूर्ति के दर्शन के लिए एक मंदिर में स्थापित करें. इस सपने के आने के बाद जब अगले दिन विधवा स्त्री वहां गई तो रामगंगा में सच में काले रंग की भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली, जिसे उसने इस मंदिर में स्थापित करा दिया. जो आज भी इस मंदिर में मौजूद है.’

प्रसिद्ध इतिहासकार स्व. डॉ. योगेश प्रवीण ने भी इसी कहानी को हकीकत माना. उन्होंने अपनी किताब लखनऊ नामा में बताया कि इस कहानी से प्रभावित होकर आसफ़ुद्दौला ने इस मंदिर को भव्य बनवाया, जबकि पहले मात्र भगवान विष्णु के चतुर्भुज प्रतिमा यहां पर मौजूद थी. वर्तमान में रामगंगा कही जाने वाली नदी अब एक नाला बन चुकी है जो कि इसी मंदिर के पास में मौजूद है.

परिक्रमा की मान्यता और मंदिर का समय…

जगन्नाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर की सात परिक्रमा करने वाले की किस्मत खुल जाती है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर सुबह 06:00 बजे खुलता है और रात में 09:30 बजे बंद होता है. सुबह 08:00 बजे और रात में 08:00 बजे आरती होती है. सोमवार, मंगलवार और शुक्रवार यहां विशेष पूजा अर्चना करने के लिए लोग आते हैं. यहां पर भगवान जगन्नाथ का मुख पूर्व दिशा की ओर है.

 

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